बिहार के कई जिलों में लंपी वायरस के प्रसार की हुई पुष्टि, दुधारू पशुओं में बढ़ा वायरस का प्रकोप
कई राज्यों में तबाही मचाने के बाद अब बिहार के कई जिलों में लंपी वायरस के अटैक की पुष्टि हो गई है। बिहार में टीकाकरण अभियान के बावजूद दुधारू पशुओं में लंपी बीमारी के फैलाने का क्रम कम नहीं हो रहा है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने कई जिलों में लंपी के संग्रहित नमूनो को जांच के लिए भोपाल और कोलकाता भेजा था। अब रिपोर्ट के बाद लंपी से पशुओं के ग्रसित होने की पुष्टि हो गई है।
केटी न्यूज, पटना: कई राज्यों में तबाही मचाने के बाद अब बिहार के कई जिलों में लंपी वायरस के अटैक की पुष्टि हो गई है। बिहार में टीकाकरण अभियान के बावजूद दुधारू पशुओं में लंपी बीमारी के फैलाने का क्रम कम नहीं हो रहा है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने कई जिलों में लंपी के संग्रहित नमूनो को जांच के लिए भोपाल और कोलकाता भेजा था। अब रिपोर्ट के बाद लंपी से पशुओं के ग्रसित होने की पुष्टि हो गई है। बता दें कि पटना, नालंदा, पूर्णिया, दरभंगा, मधुबनी, शेखपुरा, नवादा, जहानाबाद, गया, बक्सर, कैमूर, रोहतास, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, सुपौल, बेगूसराय, नवादा आदि जिलों के नमूने पॉजिटिव पाए गए हैं। इस बीमारी से दुधारू पशुओं को बचाने के लिए जनवरी से ही टीकाकरण अभियान संचालित है।
वायरस की पहचान
पशुपालकों के लिए संकट यह है कि तीन महीने तक ही टीका प्रभावकारी रहता है। यदि कोई मवेशी लंपी वायरस से संक्रमित होता है तो उसे ठीक होने में दो से तीन सप्ताह लगते हैं। लंपी वायरस से ग्रसित मवेशियों को एक सप्ताह तक एंटी बायोटिक की दवा दी जाती है। इस संक्रमण के फैलने के बाद पशुओं को हल्का बुखार आता है, उनकी त्वचा पर छोटी-छोटी गाठें निकल आती है। दूध उत्पादन घट जाता है। पशुओं के मुंह से लार ज्यादा निकलती है और आंख-नाक से पानी बहता है। पैरों में सूजन हो जाती है।
वायरस से बचाव के उपाय
इस वायरस से बचाव के लिए जरूरी है कि जहां मवेशियों को रखा जाता है, वहां साफ-सफाई पर ध्यान देना चाहिए। मच्छरों को पनपने से रोके। संक्रमित पशुओं से अन्य मवेशी को अलग रखे और टीकाकरण जरूर कराएं। तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें।