सुशील मोदी का आज पटना में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार, व्यवसाय छोड़ राजनीति में कैसे बन गए बड़ा चेहरा
पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी के निधन से बिहार राज्य को एक महत्वपूर्ण नेता की कमी महसूस हुई है। मोदी जी का निधन उनकी लंबे समय से चल रही बीमारी के बाद 72 वर्ष की उम्र में हुआ। उन्हें कैंसर का रोग था, जिसका इलाज दिल्ली के AIIMS में चल रहा था, लेकिन अंतिम सांस वहीं ली।
मोदी जी ने अपने राजनीतिक सफर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन किया। 1962 के चीन-भारत युद्ध के समय, उन्होंने स्कूल छात्रों को एकत्रित करने का कार्य किया और सिविल डिफेंस द्वारा उन्हें कमांडेंट के रूप में नियुक्त किया गया। इसके साथ ही, उन्होंने आरएसएस से जुड़कर भी काम किया। उन्होंने अपने छात्र जीवन में जय प्रकाश नारायण के आह्वान पर छात्र आंदोलन में भाग लिया और अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ दी।
राजनीतिक मैदान में भी मोदी जी का योगदान महत्वपूर्ण रहा। 1990 में वह पटना सेंट्रल विधानसभा सीट से चुने गए और फिर 2004 में भागलपुर से लोकसभा चुनाव जीते। उन्होंने बिहार के विधानसभा में भी नेता प्रतिपक्ष के रूप में काम किया।
सुशील कुमार मोदी का जन्म 5 जनवरी 1952 को पटना के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उन्होंने पटना साइंस कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और जेसी जॉर्ज से शादी की। उन्होंने बिहार की राजनीति में अपने महत्वपूर्ण योगदान के साथ-साथ कई किताबें भी लिखीं।
सुशील कुमार मोदी के निधन से बिहारी राजनीति में एक अटल नेता की कमी हो गई है, जिनका योगदान राज्य के विकास और समृद्धि में अविस्मरणीय रहेगा।
आज दिल्ली से पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का पार्थिव शरीर दोपहर 12 बजे पटना पहुंचेगा। पटना एयरपोर्ट से सीधे राजेंद्र नगर स्थित निजी आवास पर लाया जाएगा। अंतिम दर्शन के बाद शव यात्रा निकाली जाएगी। भाजपा कार्यालय, विधान पार्षद होते हुए शव गुलबी घाट पहुंचेगी। यहां पर अंतिम संस्कार होगा। इसमें सीएम नीतीश कुमार, दोनों डिप्टी सीएम समेत कई वरीय नेता शामिल होंगे।