बंगाल में हिन्दुओं पर हो रहा अत्याचार बेहद चिंता का विषय-देवकीनंदन ठाकुर

बक्सर में अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज की कथा मंगलवार को संपन्न हो गई। अंतिम दिन की कथा के बाद उन्होंने इस कथा के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले श्रद्धालुओं को अपने हाथों सम्मानित किया। कथा में पूज्य श्री चिन्मयानंद बापू जी महाराज एव श्री गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज शामिल हुए व व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त कर कथा श्रवण किया एवं कथा पंडाल में उपस्थित भक्तों को संबोधित किया।

बंगाल में हिन्दुओं पर हो रहा अत्याचार बेहद चिंता का विषय-देवकीनंदन ठाकुर

- धर्म की रक्षा तभी संभव है जब हम अपनी संस्कृति और परंपराओं को घर-घर में पुनर्जीवित करें

- मंगलवार को संपन्न हो गया देवकीनंदन ठाकुर जी की कथा

केटी न्यूज/बक्सर

बक्सर में अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुरजी महाराज की कथा मंगलवार को संपन्न हो गई। अंतिम दिन की कथा के बाद उन्होंने इस कथा के आयोजन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले श्रद्धालुओं को अपने हाथों सम्मानित किया। कथा में पूज्य श्री चिन्मयानंद बापू जी महाराज एव श्री गंगापुत्र त्रिदंडी स्वामी जी महाराज शामिल हुए व व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त कर कथा श्रवण किया एवं कथा पंडाल में उपस्थित भक्तों को संबोधित किया। 

कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ठाकुर जी महाराज ने बताया कि पहले हमारे घरों में गाय जैसे पवित्र पशुओं को स्थान दिया जाता था, जो हमारी संस्कृति और सनातन परंपरा के प्रतीक माने जाते हैं, लेकिन आजकल लोग कुत्ते पालने को अधिक महत्व दे रहे हैं। ठाकुरजी महाराज ने कहा कि ऐसे घर जहां कुत्ते की पूजा की जाती हैं, वहां देवी-देवता और पितृगण अपनी उपस्थिति स्वीकार नहीं करते। यह हमारी सांस्कृतिक मूल्यों से दूर जाने का प्रतीक है। 

उन्होंने बंगाल में हिन्दुओं पर लगातार हो रहे हमले पर चिंता जताते हुए कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को बंगाल की मुख्यमंत्री से यह प्रश्न करना चाहिए कि वहां के हिन्दू नागरिकों की रक्षा क्यों नहीं हो रही है, क्या वे इस देश के नागरिक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी मुख्यमंत्री से अपने राज्य के नागरिकों की सुरक्षा नहीं हो रही, चाहे वे किसी भी धर्म के हों, तो यह उनकी विफलता है और उन्हें त्यागपत्र दे देना चाहिए।

अतिथि देवो भव के विपरित आचरण कर रहे है लोग

कथा के दौरान स्वामी जी महाराज ने कहा कि पहले जब घर में मेहमान आते थे तो घरवाले खुशी से स्वागत करते थे, परंतु आज के समय में मेहमानों को बोझ समझा जाता है। यह मानसिकता हमारे समाज के मूल स्वभाव - अतिथि देवो भव के विपरीत है।

बाएं हाथ से जल पीना शास्त्रों में मदिरा सेवन के समान माना गया है। इसी प्रकार खड़े होकर जल या भोजन करना भी अनुचित बताया गया, क्योंकि यह पशुवत व्यवहार है। मानव को भोजन और जल का सेवन हमेशा शांति से, आसन में बैठकर करना चाहिए।

अधर्म के बढ़ने पर होता है भगवान का अवतार

उन्होंने कहा कि जब भी पृथ्वी पर अधर्म बढ़ता है, तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार लेकर धर्म की स्थापना करते हैं। यह सनातन धर्म का मूल सिद्धांत है, धर्म की रक्षा के लिए भगवान स्वयं अवतरित होते हैं। जब बांग्लादेश में हिन्दुओं की हत्या हुई, तब भी हम मौन रहे, और आज स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि हमारे ही देश के राज्य बंगाल में हिन्दुओं के साथ हिंसा हो रही है और देश चुप है। उन्होंने यह आह्वान किया कि अब मौन रहने का समय नहीं है ।

उन्होंने कहा कि शास्त्रों में तीन वध शिशु वध, ब्राह्मण वध और स्त्री वध को सख्त निषेध माना गया है। इन चारों का वध अधर्म की पराकाष्ठा मानी गई। हर सनातनी अपने घरों में सनातन संस्कृति को जीवित रखे, स्वयं भी एक सच्चा सनातनी बने और अपने बच्चों को भी रामायण और गीता जैसे ग्रंथों का अध्ययन कराए।

रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, उपनिषद, महाभारत जैसे ग्रंथों का अध्ययन केवल धार्मिक उद्देश्य से नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला सीखने के लिए किया जाना चाहिए। ये ग्रंथ हमारे जीवन का मार्गदर्शन करते हैं। कथा के दौरान हजारों श्रद्धालु मौजूद थे।