नदी में डूबे मासूम सिंटू का शव 48 घंटे बाद बरामद

जीवित पुत्रिका पर्व के दिन धनसोई गांव के समीप कंचन नदी में डूबे दस वर्षीय मासूम सिंटू कुमार का शव घटना के पूरे 48 घंटे बाद मंगलवार को एसडीआरएफ की टीम ने बरामद किया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं स्थानीय मुखिया तुलसी साह ने मृतक के परिजनों को कबीर अंत्येष्टि के लिए तीन हजार रुपये की आर्थिक मदद दी।

नदी में डूबे मासूम सिंटू का शव 48 घंटे बाद बरामद

-- जीवित पुत्रिका पर्व पर घटा था दर्दनाक हादसा, गांव में पसरा मातमी सन्नाटा

केटी न्यूज/बक्सर

जीवित पुत्रिका पर्व के दिन धनसोई गांव के समीप कंचन नदी में डूबे दस वर्षीय मासूम सिंटू कुमार का शव घटना के पूरे 48 घंटे बाद मंगलवार को एसडीआरएफ की टीम ने बरामद किया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। वहीं स्थानीय मुखिया तुलसी साह ने मृतक के परिजनों को कबीर अंत्येष्टि के लिए तीन हजार रुपये की आर्थिक मदद दी।

मृतक की पहचान धनसोई निवासी बुद्धदेव साह के पुत्र सिंटू कुमार के रूप में हुई। परिजनों के अनुसार बीते शनिवार की सुबह सिंटू नदी किनारे शौच के लिए गया था। इसी दौरान हाथ धोते समय अचानक उसका पैर फिसल गया। तेज बहाव और गहराई के कारण वह गहरे पानी में समा गया और बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा। परिजन और ग्रामीण शोर मचाकर मदद करने की कोशिश करते रहे, लेकिन कोई उसे बचा नहीं सका। इस दर्दनाक हादसे के बाद से ही गांव में सन्नाटा पसर गया।

घटना के बाद ग्रामीणों ने स्थानीय स्तर पर खोजबीन की, लेकिन असफल रहे। सूचना मिलने पर प्रशासन ने एसडीआरएफ की टीम को बुलाया। दो दिनों तक लगातार खोज के बाद मंगलवार को टीम ने नदी से मासूम का शव बाहर निकाला। शव मिलते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया।

मिली जानकारी के अनुसार मृतक चार भाई-बहनों में सबसे छोटा था। मासूम की असमय मौत से पूरा परिवार गहरे सदमे में है। पिता बुद्धदेव साह और मां रिंकू देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजन बार-बार यही कह रहे थे कि अगर सिंटू को समय रहते बचा लिया जाता तो आज घर में खुशियां होतीं। पूरा गांव इस घटना से गमगीन है।

इस घटना के बाद से ही गांव के लोग लगातार पीड़ित परिवार के साथ खड़े हैं। ग्रामीणों ने बताया कि सिंटू पढ़ाई में होशियार और स्वभाव से बहुत मिलनसार था। उसकी मौत ने सभी को हिला कर रख दिया है। मुखिया तुलसी साह ने भी परिजनों को ढांढस बंधाते हुए हर संभव मदद का भरोसा दिया।

इस घटना के बाद ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि नदी किनारे सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। स्थानीय लोगों का कहना है कि अक्सर बच्चे नहाने या अन्य कारणों से नदी किनारे जाते हैं और हादसे का शिकार हो जाते हैं। यदि किनारे पर सुरक्षा दीवार या बैरिकेडिंग हो, तो ऐसी घटनाओं से बचा जा सकता है।