टीबी के कारण महिलाओं में बढ़ जााती है बांझपन की संभावना, जानकारी जरूरी
- गर्भवती महिलाओं में टीबी का खतरा अधिक, रखें विशेष ध्यान
केटी न्यूज/बक्सर : जानकारी के अभाव में आमतौर पर लोगों को लगता है कि टीबी सिर्फ फेफड़ों की बीमारी है। लेकिन ऐसा नहीं है, क्योंकि टीबी एक ऐसी बीमारी है, जो फेफड़ों से लेकर दिमाग और यूटरस आदि में भी आसानी से हो सकती है। महिलाओं में होने वाली टीबी की बीमारी यानी ट्यूबरकुलोसिस गर्भाशय पर काफी बुरा असर डालती, जो भारत में तेजी से बढ़ रहा है। इसके कारण महिलाएं बांझपन की शिकार भी हो जाती हैं। माइको बैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नाम के बैक्टीरिया के कारण होने वाला यह रोग फेफड़ों को अधिक प्रभावित करता है। महिलाओं में भी टीबी संक्रमण के मामले अधिक हैं। विशेषकर गर्भावस्था में टीबी एक महत्वपूर्ण विषय है जिसके बारे में जरूरी जानकारी रखी जानी चाहिए। अगर किसी महिला को टीबी है और वह गर्भवती है तो उसका सही समय पर निदान आवश्यक है। सही इलाज से गर्भवती महिला व शिशु को सुरक्षित रखने में मदद मिलती है। यदि सही समय पर इसका इलाज नहीं हुआ तो भविष्य में उन्हें और भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
बीमारी को न करें नजरअंदाज :
सिविल सर्जन सह सीडीओ डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा ने बताया कि अगर लड़की शादीशुदा है और पीरियड में किसी भी तरह की दिक्कत हो रही या यौन संबंधों के समय बहुत ज्यादा दर्द हो रहा , वेजाइनल डिस्चार्ज भी ज्यादा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। किसी भी तरह के टीबी की शिकार महिलाओं के यूटरस में टीबी होने की आशंका 30% बढ़ जाती है। 5-10% महिलाओं में हाइड्रो साल्पिंगिटिस की समस्या होती है, जिसमें फैलोपियन ट्यूब में पानी भर जाता। यह भी इन्फर्टिलिटी की वजह बनता है। टीबी बैक्टीरिया मुख्य रूप से फैलोपियन ट्यूब को बंद कर देता है, जिससे माहवारी (पीरियड्स) नियमित नहीं आते। महिला में पेट के निचले हिस्से में बहुत दर्द होता है और महिला गर्भधारण नहीं कर पाती।
लक्षण दिखने पर टीबी जांच आवश्यक :
डॉ. सिन्हा ने बताया, गर्भवती महिलाओं के टीबी संक्रमित होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें घर में टीबी के किसी अन्य व्यक्ति के लगातार संपर्क में आने, टीबी संक्रमित क्षेत्र में रहने, एचआईवी होने, कुपोषित तथा बहुत अधिक वजन कम होने, शराब व मादक पदार्थ जैसे सिगरेट, गुटखा सेवन शामिल हैं। टीबी के कुछ ऐसे लक्षण आमतौर पर जाहिर होते हैं जिसके दिखने पर टीबी जांच आवश्यक है। इनमें एक सप्ताह से अधिक समय तक खांसी रहना, तेज बुखार रहना, भूख की कमी, बहुत अधिक थकान तथा लंबे समय तक अस्वस्थ रहना, बलगम में खून आना तथा गर्दन की ग्रंथियों में सूजन व दर्द रहना है।
ट्यूबरकूलीन स्किन टेस्ट तथा टीबी ब्लड टेस्ट दोनों सुरक्षित :
सेंटर फार डिजिज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक गर्भवती महिलाओं में टीबी खतरनाक है। गर्भावस्था में टीबी का इलाज जटिल होता लेकिन इसका इलाज नहीं किये जाने पर यह गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक होता है। गर्भावस्था में ट्यूबरकूलीन स्किन टेस्ट तथा टीबी ब्लड टेस्ट दोनों सुरक्षित हैं। इसके अलावा बलगम की जांच और फेफड़ों का एक्सरे किया जाता है। गर्भवती महिलाओं में टीबी का सही समय पर पता चल जाने से इलाज संभव है। गर्भवती के टीबी का इलाज नहीं होने से शिशु को भी टीबी की संभावना रहती है।