अतीक अहमद का सच ! साबरमती जेल में बनी थी उमेश पाल हत्याकांड की योजना ..और कोड वर्ड में होती थी ऑनलाइन चौटिंग

अतीक अहमद का सच ! साबरमती जेल में बनी थी उमेश पाल हत्याकांड की योजना ..और कोड वर्ड में होती थी ऑनलाइन चौटिंग

- अतीक का कबूलनामा, शाइस्ता भी थी साजिश में शामिल

केटी न्यूज/ वराणसी/प्रयागराज

बहुचर्चित उमेश पाल हत्याकांड में नामजद माफिया अतीक अहमद अपने बेटे असद अहमद के मुठभेड़ में मारे जाने से खून के आंसू रो रहा है। वह टूट चुका है। अतीक ने कबूल कर लिया कि उसने ही उमेश पाल के हत्या की साजिश साबरमती जेल से रची थी। पुलिस की रिमांड कॉपी के मुताबिक अतीक अहमद ने 12 अप्रैल 2023 को पुलिस को अपने बयान में बताया कि मैंने उमेश पाल हत्याकांड की पूरी साजिश जेल में बैठकर रची।अतीक ने यह भी कबूल किया कि इसके लिए उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन ने मोबाइल और सिमकार्ड का इंतज़ाम किया था। पुलिस ने सीआरपीसी 161 से तहत माफिया अतीक अहमद का बयान लिया था। इस दौरान अतीक कई बार रोया।अतीक ने कहा कि अब तो हम मिट्टी में मिल गए हैं। सब मेरी गलती है। असद की कोई गलती नही थी। दुनिया का सबसे बड़ा गम बुजुर्ग पिता के कंधों पर जवान बेटे का शव होता है।

मोबाइल व सिमकार्ड बदलने में शाइस्ता ने की मदद

अतीक अहमद ने कहा कि मुझसे मिलने मेरी पत्नी जेल में आती थी। मैंने उसको समझाया कि दूसरे लोगों के नाम से सिम ले लो, नए मोबाइल ले लो, मेरे लिए एक मोबाइल और नया सिमकार्ड भेज देना। एक मोबाइल और सिम अशरफ को भी भेज देना। मैंने साबरमती जेल में किस सरकारी आदमी के जरिए मोबाइल भेजना है, उसका नाम भी शाइस्ता को बता दिया था। उसे यह भी बता दिया था कि अशरफ को केवल खबर कर देना, तो वह जेल के अपने आदमी के जरिए मोबाइल और सिम मंगवा लेगा।

अतीक व उसका परिवार फेसटाइम कॉल, नेट कॉल व व्हाट्सएप कॉल से करते थे बात

पुलिस के सामने अतीक अहमद ने कबूल किया कि यह तय हुआ था कि जेल में रहकर हम लोग फेसटाइम कॉल, नेट कॉल, व्हाट्सएप कॉल से बात करते रहेंगे। उमेश के कत्ल की तैयारी और पूरी साजिश तैयार करेंगे।क्योंकि फेसटाइम कॉल, नेट कॉल, व्हाट्सएप कॉल सर्विलांस से पकड़ नहीं आता है। शाइस्ता ने बताया कि उमेश के साथ दो पुलिस वाले हथियारबंद चलते हैं और मैंने कहा कोई बात नहीं, हथियारबंद तो राजू पाल के साथ भी रहते थे।

शाइस्ता पर थी हथियार खरीदने और उसे ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी

अतीक अहमद ने आगे कहा कि राजू पाल के टाइम में पुलिस वालों को छोड़ दिए थे। अबकी बार पुलिस वालों को पहले मारेंगे। इसके बाद शाइस्ता से सारे लड़कों के बीच तालमेल रखने, हथियार की व्यवस्था करके लड़कों को देना और हत्या के बाद हथियार को वापस लेकर हिफाजत से रखवाना और लड़कों को फरारी कटवाने के बारे में गहराई से बातचीत हुई। मैंने ही शाइस्ता को बताया था कि कहां से हथियार मिलेंगे और कौन-कौन से लड़के कत्ल में रहेंगे। कत्ल के बाद हथियार लड़के कहां वापस रखेंगे और वहां से हथियार फिर हटा कर कहां रखने हैं। वह जगह भी मैंने शाइस्ता को बता दी थी।जगह के बारे में अशरफ को भी मालूम था। कत्ल के दौरान रुपये की व्यवस्था कहां-कहां से होगी यह भी बता दिया था।

..और कोड वर्ड में होती थी ऑनलाइन चौटिंग

पुलिस और खुफिया एजेंसी को चकमा देने के लिए अतीक अहमद ने बाकायदा कोड वर्ड का इस्तेमाल किया था।अतीक का कोड था बड़े,अशरफ कोश्छोटे कोड वर्ड से बुलाया जाता था।असद का कोड था ठाकुर।अतीक ने बताया कि लड़कों को किस कोड से पुकारा जाएगा या मोबाइल पर बात की जाएगी, इसकी भी प्लानिंग की गई थी। मैंने अपना कोड (बड़े) अशरफ का (छोटे), गुलाम का (गुल्लू), असद का (ठाकुर) और अन्य का पतले वगैरह के नाम से बनवाया।बम का जखीरा कहां रखा है, इस बारे में मैंने लड़कों को बता दिया था कि मैं तो जेल में बंद हूं।अशरफ को भी पता है,लेकिन वह भी जेल में है।अब इसकी जानकारी शाइस्ता और असद से कर लेना।

अतीक ने कबूल किया ISI और लश्कर से है संबंध

-अतीक अहमद ने कबूल किया कि मेरे पास हथियार की कोई कमी नहीं है। क्योंकि मेरे संबंध सीधे पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से हैं। पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए पंजाब की सीमा में हथियार गिराए जाते हैं,जिसको लोकल कनेक्शन इकट्ठा कर लेता है। उन्हीं खेतों से जम्मू-कश्मीर के दहशतगर्दी को भी हथियार मिलते हैं।आप मुझे ले चले, तो मैं उन रुपयों को और घटना में इस्तेमाल हथियार बरामद करा सकता हूं।

अतीक के भाई अशरफ का कबूलनामा

-अतीक अहमद के छोटे भाई अशरफ ने भी बयान दिया है। उसने पुलिस को बताया कि असलहे और कारतूस जिस जगह पर रखे हैं, उस जगह को यहां से बताना मुमकिन नहीं है। कुछ जगहों को मैं जानता हूं और कुछ जगहों को भाईजान अतीक जानते हैं, जिन ठिकानों पर हथियार रखे जाते हैं। वहां जो आदमी रहता है, वह सब स्थान हमें और भाईजान को मालूम है, लेकिन वह जगह खेतों में बने फार्महाउस जैसे हैं। वहां चलकर ही पता बताया जाना मुमकिन है।जेल में रहकर वहां का पता बताया जाना मुमकिन नहीं है।उमेश पाल की हत्या में प्रयोग किए गए सारे हथियार घटना के बाद वापस जगह पर पहुंचा दिए गए। केवल 0.48 बोर की पिस्टल वापस नहीं पहुंच सकी। क्योंकि घटना के बाद लड़के शहर छोड़ने की जल्दबाजी में थे। उस पिस्टल को करैली थाना क्षेत्र में मलिन बस्ती में कल्लू रहता है, उसके घर पर रख दिया गया है। उसका घर बता सकता हूं।