ढाई घंटों से अधिक देरी तक बंद था अल्ट्रासाउंड कक्ष, अस्पताल में आए मरीजों को हुई परेशानी
डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल की अव्यवस्थाओं और लापरवाही खत्म नहीं हो रही है। इस क्रम में सोमवार को प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के दिन अस्पताल में आईं दर्जनों गर्भवती महिलाओं को घंटों इंतजार करना पड़ा।

- डुमरांव अस्पताल में इस तरह की लापरवाही लगातार आ रही है सामने, अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर कोई सूचना चिपकाई गई
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल की अव्यवस्थाओं और लापरवाही खत्म नहीं हो रही है। इस क्रम में सोमवार को प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) के दिन अस्पताल में आईं दर्जनों गर्भवती महिलाओं को घंटों इंतजार करना पड़ा, क्योंकि अल्ट्रासाउंड कक्ष का ताला सुबह 11:38 बजे तक नहीं खुला था। यह स्थिति तब सामने आई जब महिलाएं सुबह से लाइन में लगी थीं और डॉक्टर द्वारा अल्ट्रासाउंड जांच के लिए पर्ची भी दी जा चुकी थी, लेकिन कक्ष बंद पड़ा रहा।उल्लेखनीय है कि इस अस्पताल में हर माह 9 और 21 तारीख को प्रसव पूर्व जांच की जाती है। इन तारीखों को आसपास के क्षेत्रों से भारी संख्या में महिलाएं अस्पताल पहुंचती हैं। इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन की उदासीनता साफ नजर आई।
जब इस मामले की जानकारी सिविल सर्जन डॉ शिव प्रसाद चक्रवर्ती को दी गई तो उन्होंने केवल इतना कहा कि आप उपाधीक्षक से बात कीजिए। इसके बाद उपाधीक्षक डॉ गिरीश कुमार सिंह को 11:44 में कॉल किया गया तो उन्होंने बताया कि वे ब्रह्मपुर में हैं और व्यवस्था देख रहे हैं। उनके निर्देश पर ही कक्ष का ताला खोला गया और अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया शुरू हुई। यह कोई पहली बार नहीं है जब डुमरांव अस्पताल में इस तरह की लापरवाही सामने आई हो। अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कक्ष सुबह 8 बजे खुलना चाहिए, लेकिन अक्सर यह देर से खुलता है। सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यह कक्ष समय पर खुलता नहीं, लेकिन दोपहर 2 बजे समय पर बंद जरूर हो जाता है। अस्पताल कर्मियों में काम के प्रति जिम्मेदारी का स्पष्ट अभाव है, जबकि छुट्टी लेने और समय से घर जाने में वे बेहद सजग रहते हैं।
महिलाओं को समय से सेवा मिलने का आश्वासन दिया :
इस दिन अस्पताल में न तो अल्ट्रासाउंड कक्ष के बाहर कोई सूचना चिपकाई गई थी, न ही किसी स्वास्थ्यकर्मी ने महिलाओं को समय से सेवा मिलने का आश्वासन दिया। महिलाएं घंटों दरवाजे के सामने बैठी रहीं, कुछ खड़े-खड़े थक कर जमीन पर बैठ गईं। महिला डॉक्टर जांच के लिए अल्ट्रासाउंड लिखती रहीं और मरीज कक्ष खुलने का इंतजार करते रहे। ऐसी स्थिति में महिलाओं के धैर्य और स्वास्थ्य दोनों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। गर्भवती महिलाओं ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब जांच की तारीख पहले से तय होती है तो स्वास्थ्यकर्मियों को भी पूरी तैयारी के साथ मौजूद रहना चाहिए। उनका कहना था कि यदि अल्ट्रासाउंड समय पर नहीं हुआ तो कई जरूरी जांचें छूट सकती हैं, जिससे मां और गर्भस्थ शिशु दोनों के स्वास्थ्य पर खतरा हो सकता है।
मां और बच्चों की सेहत की निगरानी के लिए एएनसी बेहद जरूरी :
गौरतलब है कि प्रसव पूर्व जांच गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चों की सेहत की निगरानी के लिए बेहद जरूरी प्रक्रिया है। अल्ट्रासाउंड से गर्भ में पल रहे शिशु की स्थिति, विकास और संभावित जटिलताओं का पता चलता है। यदि इस प्रक्रिया में देरी होती है तो गर्भवती महिलाओं को अनावश्यक मानसिक तनाव और शारीरिक असुविधा का सामना करना पड़ता है। उपाधीक्षक डॉ गिरीश कुमार सिंह ने आश्वासन दिया कि इस लापरवाही की जांच की जाएगी और दोषी कर्मियों पर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने ऐसा वादा किया हो। अब देखना यह होगा कि वाकई में इस बार कोई ठोस कदम उठाया जाता है या फिर यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह कागजों में ही दफन होकर रह जाएगा। बहरहाल, डुमरांव अस्पताल की इस लचर व्यवस्था ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर इन स्वास्थ्य संस्थानों में जवाबदेही तय करने वाला कोई है भी या नहीं।