फर्स्ट आइडिया की कार्यशैली व जिला प्रशासन की सुस्ती से सफाईकर्मियों में गहराया आक्रोश
नावानगर, डुमरांव व इटाढ़ी प्रखंडो में कार्यरत हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया को लेकर सरकारी विद्यालयों के सफाईकर्मियों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। एक तरफ बहुत कम मजदूरी पर वे कार्य कर रहे है, दूसरा कि उन्हें कई महीने से मजदूरी नहीं मिली है। लेकिन, सफाई कर्मियों में सबसे बड़ा संशय हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया के भविष्य को लेकर है।

-- डुमरांव के सफाईकर्मियों ने स्थानीय विधायक से लगाई गुहार, विधायक ने डीएम से स्थिति स्पष्ट करने को कहा
केटी न्यूज/बक्सर
नावानगर, डुमरांव व इटाढ़ी प्रखंडो में कार्यरत हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया को लेकर सरकारी विद्यालयों के सफाईकर्मियों में उहापोह की स्थिति बनी हुई है। एक तरफ बहुत कम मजदूरी पर वे कार्य कर रहे है, दूसरा कि उन्हें कई महीने से मजदूरी नहीं मिली है। लेकिन, सफाई कर्मियों में सबसे बड़ा संशय हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया के भविष्य को लेकर है।
मजदूर यह नहीं समझ पा रहे है कि यह एजेंसी आगे काम करेगी या फिर किसी दूसरी एजेंसी का चयन होगा। सफाईकर्मियों में इस बात का डर बना हुआ है कि जांच में दोषपूर्ण चयन सिद्ध होने के बाद कही आगे एजेंसी को काम से रोक नहीं दिया जाए, तब इस एजेंसी के माध्यम से किए गए सफाई कार्यों का भुगतान का पेंच फंस सकता है।
इस मामले में डुमरांव नगर के सरकारी स्कूलों के सफाईकर्मियों ने गुरूवार को डुमरांव विधायक से मिल अपनी समस्याओं का रखा तथा आशंका को दूर करने की गुहार लगाई। सफाईकर्मियों की मांग पर विधायक ने तत्काल जिलाधिकारी डॉ. विद्यानंद सिंह को फोन कर फर्स्ट आइडिया के संबंध में स्थिति स्पष्ट करने को कहा।
बता दें कि पहले शिक्षा विभाग के अधिकारियों और बाद में सांसद सुधाकर सिंह केे कहने पर अपर समाहर्ता (विभागीय जांच) गिरिजेश कुमार के नेतृत्व में प्रशासनिक अधिकारियों की टीम ने भी यह माना है कि फर्स्ट आइडिया का चयन गलत तरीके से हुआ है तथा पूर्व की हाउस कीपिंग एजेंसी जेकेएसबी स्कील इंडिया प्राइवेट लिमिटेड को बिना किसी ठोस वजह के हटा उसके जगह नावानगर, डुमरांव तथा इटाढ़ी प्रखंडो में फर्स्ट आइडिया को वर्क ऑर्डर दे दिया गया था।
इस दौरान नियमों को ताक पर रखने में शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी तथा जेकेएसबी को शो-कॉज को कोरम पूरा करने से पहले ही फर्स्ट आइडिया से सहमति पत्र ले लिया गया था। वहीं, शो-कॉज का जबाव मिले बिना ही जेकेएसबी को हटाकर तीन प्रखंडो में उसके जगह फर्स्ट आइडिया को चयनित कर लिया गया था।
-- डीईओ के जबाव पर उठ रहे है सवाल
बता दें कि शिक्षा विभाग द्वारा न सिर्फ गलत तरीके से फर्स्ट आइडिया का चयन कर लिया गया था, बल्कि स्थापना डीपीओ विष्णुकांत राय द्वारा जांच के दौरान सबसे पहले उक्त एजेंसी को 40 लाख रूपए का भुगतान भी कर दिया गया था। जब यह मामला उठा तथा जिलाधिकारी द्वारा डीईओ से जांच के दौरान भुगतान पर जबाव मांगा गया तो डीईओ ने अपने जबाव में जांच के दौरान फर्स्ट आइडिया के भुगतान को जायज बताते हुए जिलाधिकारी को जबाव सौंपा है।
जिलाधिकारी को दिए जबाव में डीईओ ने जिक्र किया है कि चूकी जांच के दौरान किसी भी स्तर से भुगतान पर रोक नहीं लगाई गई थी, जिस कारण भुगतान किया गया। वहीं, डीईओ ने लिखा है कि फर्स्ट आइडिया को काम के बदले भुगतान किया गया है। अब सवाल उठता है कि जब एजेंसी का चयन ही दोषपूर्ण है तो भुगतान में इतनी जल्दबाजी क्यों दिखाई गई। वहीं, जानकारों का कहना है कि सफाई एजेंसियों के भरोसे स्कूलों में सफाई की सतही स्थिति एकदम दयनीय है। यदि एजेंसी द्वारा कराए गए सफाई कार्यों की जांच की जाए तो अभी और कई चौकाने वाले मामले सामने आ सकते है।
-- सरकार के इशारे पर नहीं हो रही है कार्रवाई
इस संबंध में केशव टाइम्स से बातचीत के दौरान डुमरांव विधायक डॉ. अजित कुमार सिंह ने बताया कि सरकार के इशारे पर भ्रष्ट व गलत तरीके से चयनित एजेंसी पर कार्रवाई नहीं हो रही है। विधायक ने कहा कि जांच के दौरान यह साफ हो गया है कि फर्स्ट आइडिया का चयन गलत तरीके से किया गया है तथा जांच रिपोर्ट भी जिलाधिकारी को सौंप दी गई है।
बावजूद एक पखवाड़े बाद भी उक्त एजेंसी को चयनमुक्त नहीं किया जाना यह दर्शाता है कि यह सब राज्य सरकार के इशारे पर हो रहा है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के सरकार में भ्रष्टाचार को खुलेआम बढ़ावा दिया जा रहा है। हाउस कीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया के मामले में यह साफ हो रहा है।