आचार्य कुणाल किशोर का असामयिक निधन बिहार में धर्म, सभ्यता -संस्कृति और साहित्य का भयंकर नुकसान - प्रदीप राय
आचार्य कुणाल किशोर के असामयिक निधन से बिहार के धर्म, संस्कृति, सभ्यता और साहित्य को भयंकर नुकसान पहुंचा है। वे आजीवन धर्म व संस्कृति के उत्थान का प्रयास करते रहे थे। उक्त बातें बक्सर भाजपा के वरिष्ठ नेता और होटल व्यवसायी प्रदीप राय ने कही।
- आचार्य कुणाल किशोर के अंतिम यात्रा में शामिल हुए भाजपा नेता सह होटल व्यवसायी, अर्पित किए श्रद्धा सुमन
केटी न्यूज/बक्सर
आचार्य कुणाल किशोर के असामयिक निधन से बिहार के धर्म, संस्कृति, सभ्यता और साहित्य को भयंकर नुकसान पहुंचा है। वे आजीवन धर्म व संस्कृति के उत्थान का प्रयास करते रहे थे। उक्त बातें बक्सर भाजपा के वरिष्ठ नेता और होटल व्यवसायी प्रदीप राय ने कही। वे आचार्य कुणाल किशोर के अंतिम यात्रा में शामिल होने गए थे तथा उनके पार्थिव पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए। उन्होंने बताया कि पटना स्थित हनुमान मंदिर से उनकी शव यात्रा निकाली गई।
वही, अंतिम संस्कार हाजीपुर के कौनहारा घाट पर किया गया। जहां, उनके बड़े पुत्र सायन कुणाल ने मुखाग्नि दी। उन्होंने बताया कि अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए थे। प्रदीप राय ने बताया कि आचार्य कुणाल किशोर का निधन उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है। उन्होंने कहा कि धर्म व संस्कृतिक की रक्षा के लिए उन्होंने अपने जीवन को बलिदान कर दिया था। उनका ही देन है कि आज बिहार के कई मंदिर सुरक्षित बचे है तथा मंदिरों की संपति पर भी किसी ने आंख नहीं उठाई है। श्री राय ने कहा कि उनका निधन समस्त सनातन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।