डकैती एक मामले में 30 वर्ष के बाद आया फैसला, कोर्ट ने नौ अभियुक्तों को आजीवन कारावास का सुनाया सजा
- सभी अभियुक्तों पर लगाया गया दस-दस हजार का जुर्माना, 17 अगस्त 1993 की रात तिलक राय के हाता गांव में हुई थी भीषण डकैती
केटी न्यूज/बक्सर
शुक्रवार को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ विजेंद्र कुमार की अदालत ने 30 वर्ष पुराने डकैती के एक मामले में सजा सुनाते हुए कुल 9 अभियुक्तों को आजीवन कारावास के साथ ही 10-10 हज़ार रूपए अर्थ दंड की सजा सुनाई है। अर्थ दंड नहीं देने पर 6 माह का अतिरिक्त सजा भुगतना पड़ेगा।
मामला सिमरी थाना क्षेत्र के तिलक राय के हाता गांव का है। जहां 17 अगस्त की रात बुधन यादव के घर 9 की संख्या में हथियारबंद डकैतों ने धावा बोल दिया था तथा भीषण लूटपाट मचाई थी। वही विरोध करने पर बुधन के दो परिजनों सरल यादव व रामजन्म यादव को गोली मार जख्मी कर दिया था।
पीड़ित ने इस मामले में सिमरी थाने में एफआईआर दर्ज कराया था। जिससें कुल 11 गवाहों की गवाही तथा पुलिस द्वारा अनुसंधान के दौरान जो साक्ष्य कोर्ट को समर्पित किया गया था उसके आधार पर कोर्ट ने 22 दिसंबर को ही सभी अभियुक्तों को दोषी करार दे दिया था। जबकि शुक्रवार को इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया।
जिसमें उसी गांव के रहने वाला वाले बिहारी अहीर, लालू अहीर, शिवसागर अहीर, मंगल अहीर, बागेसर अहीर, विजय यादव, गंगासागर, बड़क यादव एवं रघुवर यादव को आजीवन कारावास के साथ 10-10 हजार रुपए का अर्थ दंड भी लगाया गया है, जिसे नहीं देने पर 6 माह अतिरिक्त जेल में बिताने होंगे।
इस संबंध में जानकारी देते हुए कहा कि लंबी गवाही तथा मजबूत साक्ष्यों के आधार पर आरोपियों को दोषी करार दिया गया है। उन्होंने बताया कि अभियुक्तों के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 395 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। इसके प्रावधानों के तहत ही कोर्ट ने उन्हें सजा सुनाया है।