सेंटिनल सर्विलांस कार्यक्रम के तहत 400 गर्भवती महिलाओं की होगी एचआईवी जांच
एचआईवी की रोकथाम के लिए देशभर में सेंटिनल सर्विलांस कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत क्रॉस चेक के माध्यम से गर्भवती महिलाओं में एचआईवी एड्स की स्थिति का पता लगाया जा रहा है। रोहतास जिले में 1100 के आसपास एड्स पीड़ित मरीज हैं।
- गर्भस्थ बच्चे को एचआईवी संक्रमण से बचाना मुख्य मकसद
- जिले में 1100 के करीब एचआईवी संक्रमित
सासाराम | देश में गर्भवती महिलाओं में बढ़ते एचआईवी एड्स की समस्या को देखते हुए सरकार इस बीमारी को खत्म करने और लोगों को इससे बचाने के लिए लगातार प्रयासरत है। एचआईवी की रोकथाम के लिए देशभर में सेंटिनल सर्विलांस कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके तहत क्रॉस चेक के माध्यम से गर्भवती महिलाओं में एचआईवी एड्स की स्थिति का पता लगाया जा रहा है। इस कार्यक्रम को वर्ष 1998 में देश के 1576 केंद्रों पर शुरू किया गया था। इसी अभियान के 18 वें चक्र की शुरुआत 1 जनवरी 2023 से देश भर के 1557 केंद्रों पर हुई जिसमें रोहतास जिला भी शामिल है। रोहतास जिले में 1100 के आसपास एड्स पीड़ित मरीज हैं। जिसमें महिलाओं की संख्या अधिक देखी जा रही है। हालांकि रोहतास जिले में गर्भवती महिलाओं में एचआईवी संक्रमण का मामला काफी कम रहा है। बावजूद इसके सभी गर्भवती महिलाओं का एचआईवी टेस्ट कराया जा रहा है।
400 गर्भवती महिलाओं का रखा गया है लक्ष्य
सदर अस्पताल के एसटीडी क्लीनिक सह गुप्त रोग विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 1 जनवरी से 31 मार्च तक आयोजित एचआईवी सेंटिनल सर्विलांस कार्यक्रम के तहत रोहतास जिले में कुल 400 गर्भवती महिलाओं का क्रॉस चेक के माध्यम से जांच करने का लक्ष्य रखा गया है। इसकी जानकारी देते हुए एसटीडी परामर्शी राजेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि सर्विलांस जांच जिला स्तर से लेकर केंद्र स्तर तक 3 चरणों में गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच की जाती है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच जिला स्तर पर होगी। उसके बाद उसी सैंपल की जांच राज्य स्तर पर फिर अंत में केंद्र स्तर पर की जाएगी। इससे यह मालूम होगा कि निचले स्तर की जो भी जांच हुई है उस रिपोर्ट की क्या क्वालिटी है। उन्होंने बताया कि इसका मुख्य मकसद एचआईवी पीड़ित गर्भवती महिलाओं के बच्चों को संक्रमित होने से बचाना है।
लोगों को असुरक्षित यौन संबंध से बचना चाहिए
एसटीडी परामर्शी राजेन्द्र प्रसाद सिंह ने बताया कि 85 प्रतिशत एचआईवी का खतरा असुरक्षित यौन संबंध के कारण होता और 15 प्रतिशत ब्लड या अन्य माध्यमों से होता है। इसलिए लोगों को असुरक्षित यौन संबंध से बचना चाहिए। यदि यौन संबंध बना भी रहे हैं तो कंडोंम का प्रोटेक्शन जरूर लें। उन्होंने बताया कि जिले में पिछले दो महीनों में गर्भवती महिलाओं में एचआईवी के मामले सामने नहीं आये हैं। इसके पूर्व जो भी मामले आए उसमें अधिकांशतः महिलाओं के पति माइग्रेंट्स रहे हैं। इस वजह से पुरुषों में संक्रमण के कारण महिलाएं भी संक्रमित हुई।
सदर अस्पताल में एचआईवी संक्रमित गर्भवती के प्रसव की सुविधा मौजूद
सिविल सर्जन डॉ के एन तिवारी ने बताया कि सासाराम सदर अस्पताल में अब एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिलाओं के प्रसव की व्यवस्था शुरू हो गई है। पहले यह व्यवस्था जिला में नहीं थी । इसलिए वैसी स्थिति में उन्हें गया रेफर किया जाता था। परंतु अब यह व्यवस्था जिला में मौजूद है। उन्होंने कहा कि जो भी संक्रमित गर्भवती महिलाएं हैं वे अपना इलाज सरकारी अस्पतालों में ही कराएं। क्योंकि यहां पर सभी सुविधाएं उन्हें नि:शुल्क प्रदान की जाती और प्रसव की भी बेहतर व्यवस्था है। सिविल सर्जन ने बताया कि रोहतास जिले में 4 से 5 एचआईवी पीड़ित गर्भवती महिलाओं का सफल प्रसव कराया जा चुका है। प्रसव के बाद सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ और एचआईवी रहित हैं ।