2023 तक खसरा रुबेला को जड़ से खत्म करने में जुटा जिला स्वास्थ्य विभाग
आशा कर्मी घर घर जा कर पांच वर्ष से कम वैसे बच्चो का पता लगा रही ही जिन्हें खसरा और रुबेल का प्रथम और दूसरे डोज टीका नही पड़ा है।
- खसरा-रुबेला टीका से वंचित बच्चों का खोजी अभियान हुआ शुरू
सासाराम | पोलियो उन्मुलन के जैसे ही खसरा व रूबेला बीमारी को जड़ से ख़त्म करने के किये अब केंद्र सरकार ने कमर कस ली है। इस खसरा -रुबेला बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए दिसंबर 2023 का लक्ष्य रखा है। इसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गई है। खसरा और रूबेला पीड़ित बच्चों की पहचान करने के लिए जिला स्वास्थ समिति द्वारा अभियान चला कर खसरा रूबेला टीका से वंचित बच्चो का पता लगाने के लिए डोर टू डोर सर्वे का कार्य शुरू कर दिया गया है। आशा कर्मी घर घर जा कर पांच वर्ष से कम वैसे बच्चो का पता लगा रही ही जिन्हें खसरा और रुबेल का प्रथम और दूसरे डोज टीका नही पड़ा है।
क्या है खसरा रुबेला और इसके लक्षण :
खसरा और रूबेला दो अलग अलग वायरल रोग है। आमतौर पर रूबेला खसरे की तुलना में हल्के संक्रमण का कारण बनता है, लेकिन इसके परिणाम स्वरूप गंभीर जन्म दोष होते हैं। खसरा रोग संक्रामक रोग के कारण होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलने वाला बीमारी है। खसरा होने पर इसमें पूरे शरीर पर लाल चकत्ते उभर आते हैं। शुरुआत में दो चार जगहों पर दाने दिखाई देते है फिर धीरे धीरे पुरे शरीर पर फैल जाते है। वही रुबेला भी एक वायरल बीमारी है जिसे जर्मन खसरा भी कहते हैं।
10 जनवरी तक सर्वे का लक्ष्य :
यूनिसेफ के एसएमसी डॉक्टर असजद इकबाल सागर ने बताया कि खसरा और रुबेला बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए देशव्यापी अभियान को सफल बनाने के लिए अभियान की शुरुआत कर दी गई है। उन्होंने बताया कि टीका से वंचित पांच साल से कम बच्चो का सर्वे किया जा रहा है। 10 जनवरी तक सर्वे का कार्य पूरा कर लेना है। वही 16 जनवरी को सर्वे का रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज देना है। वही सर्वे के बाद टीका से वंचित सभी बच्चो को 31 जनवरी तक टीकाकरण भी कर देना है।
अभियान में सब की सहभागिता अहम :
रोहतास सिविल सर्जन डॉ के एन तिवारी ने बताया कि दिसम्बर 2023 तक खसरा रूबेला को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें रोहतास जिला स्वास्थ्य समिति अपनी सहभागिता निभा रहा है। उन्होंने बताया कि इस अभियान में आम लोगों की सहभागिता भी जरूरी है। क्योंकि जब तक आम लोगों में जागरूकता नही आएगी तब तक किसी भी अभियान को सफलता नही मिल सकती। सिविल सर्जन ने लोगों से अपील किया कि खसरा रूबेला जैसी बीमारी की लिए लगाए जाने वाले टीकाकरण सर्वे में सही जानकारी उपलब्ध कराए ताकि वंचित बच्चो को टीकाकरण किया जा सके।