छठिया पोखरा पानी टंकी के पास कचरा डंप किये जाने को लेकर लोगों ने किया विरोध प्रदर्शन
नगर में मंगलवार की सुबह छठिया पोखरा पानी टंकी के पीछे जबरन कूड़ा गिराए जाने को लेकर स्थानीय लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। नाराज लोगों का कहना था कि पूरी आबादी दुर्गंध से त्रस्त है बारिश होने के कारण अब महामारी फैलने का खतरा मंडराने लगा है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि नगर परिषद की सफाई एजेंसी की लापरवाही और उदासीन रवैये के कारण मोहल्ले का माहौल बदतर हो चुका है।

-- सफाई एजेंसी और नगर परिषद की कार्यशैली पर उठे सवाल, सख्ती नहीं सिर्फ स्पष्टीकरण तक सिमटा नप प्रशासन
केटी न्यूज/डुमरांव।
नगर में मंगलवार की सुबह छठिया पोखरा पानी टंकी के पीछे जबरन कूड़ा गिराए जाने को लेकर स्थानीय लोगों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। नाराज लोगों का कहना था कि पूरी आबादी दुर्गंध से त्रस्त है बारिश होने के कारण अब महामारी फैलने का खतरा मंडराने लगा है। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि नगर परिषद की सफाई एजेंसी की लापरवाही और उदासीन रवैये के कारण मोहल्ले का माहौल बदतर हो चुका है।
स्थानीय निवासियों ने बताया कि बार-बार स्वच्छता पदाधिकारी और नगर परिषद के पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी को शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इसके विपरीत, नगर का कूड़ा नगर के भीतर ही गिराया जा रहा है। लोगों ने कहा कि नगर परिषद ने शहर की सीमा से बाहर कूड़ा निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं की है, जिसके कारण रिहायशी इलाकों में ही कूड़े के ढेर लगाए जा रहे हैं।
मालूम हो कि इस मामले में पूर्व में ही छठिया पोखरा निवासी सत्यव्रत राय पिता, धीरेंद्र राय ने डुमरांव अनुमंडल लोक शिकायत कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने लोक अदालत को बताया था कि नगर परिषद की सफाई एजेंसी ने छठिया पोखरा पानी टंकी के पीछे के भूखंड को अवैध रूप से डंपिंग यार्ड बना दिया है। यह शिकायत 13 अगस्त को दर्ज की गई थी।
मामले की जांच में नगर परिषद के लोक स्वच्छता पदाधिकारी राजीव रंजन ने सफाई एजेंसी से स्पष्टीकरण मांगा और उक्त स्थल से कूड़े का अंबार हटाने का निर्देश भी जारी किया। एजेंसी ने जवाब तो दिया, लेकिन वास्तविक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। आज भी वहां गंदगी और कचरे का ढेर लगा हुआ है। स्थानीय लोग कहते हैं कि नगर परिषद के आदेश केवल कागजों तक सीमित रहते हैं, जमीन पर उसका असर देखने को नहीं मिलता।
समाजसेवी सह वार्ड पार्षद प्रतिनिधि सोनू राय ने कहा कि नगर परिषद की एजेंसी का असली काम कचरा हटाना नहीं, बल्कि कचरे का स्थानांतरण करना है। लोक स्वच्छता पदाधिकारी राजीव रंजन ने मंगलवार को फिर बताया कि मामला संज्ञान में है और वहां डंपिंग रोकी जाएगी। लेकिन लोगों को शायद इस वादे पर भरोसा नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी ऐसे ही आश्वासन दिए गए थे जिनका नतीजा सिफर रहा।
डेढ़ माह पहले जारी हुए स्पष्टीकरण के पत्र का नतीजा कुछ दिनों तक भी नहीं टिक सका और जिम्मेदारों के निर्देश के बाद पुनः उक्त स्थल पर कचरे का निस्तारण शुरू हो गया। विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि शहर का सफाई तंत्र पूरी तरह फेल हो चुका है। प्रतिमाह 90 लाख रुपये का भुगतान लेने वाली निजी एजेंसी शहर को साफ करने के बजाय जगह-जगह कूड़े की बस्तियां बसा रही है। फोरलेन से लेकर रैयती जमीनों, आहरों और पोखरों तक कचरे के अंबार फैले हुए हैं। फोरलेन किनारे, खिरौली के पीछे स्थित आहर, सफाखाना रोड और मिशन स्कूल के पास पुराना भोजपुर क्षेत्र में भी यही हाल है।
लोगों का कहना है कि 90 लाख मासिक खर्च रू बदहाली से निजात क्यों नहीं मिल रहा है। अगर नगर परिषद ने जल्द ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे सामूहिक रूप से आंदोलन करेंगे। शहर के बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी सवाल उठाया है कि जब नगर परिषद नियमित रूप से एजेंसी को लाखों रुपये महीने का भुगतान कर रही है, तो फिर शहर की गंदगी क्यों नहीं हट रही? विरोध प्रदर्शन में उपस्थित लोगों ने मांग की कि तत्काल छठिया पोखरा, पानी टंकी और अन्य प्रभावित स्थलों से कचरा हटाया जाए तथा सफाई एजेंसी पर जुर्माना लगाकर ठोस कार्रवाई की जाए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द से जल्द डंपिंग नहीं रुकी, तो नगर परिषद कार्यालय के समक्ष धरना प्रदर्शन किया जाएगा। सवाल यह है कि जब जनता के पैसे से शहर को स्वच्छ बनाने का दावा किया जाता है, तो आखिर डुमरांव के लोग अब भी गंदगी और दुर्गंध के बीच क्यों जीने को मजबूर हैं।
क्या कहते हैं स्वच्छता पदाधिकारी राजीव रंजन-
इस संबंध में जब स्वच्छता पदाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया की मामला संज्ञान में आया है। पानी टंकी के पीछे कूड़ा डंप किसी भी हाल में नहीं होने दिया जाएगा। एजेंसी को स्पष्ट निर्देश दिए गए है। कारवाई भी की जाएगी।