डुमरांव के देवी डिहरा गांव में इंसानियत की जीत, पुत्र की याद में अल्पसंख्यक समुदाय को कब्रिस्तान हेतु भूमि दान

चौसा प्रखंड के देवी डिहरा गांव से इंसानियत, सामाजिक सौहार्द और गंगा-जमुनी तहजीब को जीवंत करने वाली एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो आज के दौर में उम्मीद की नई रोशनी बनकर उभरी है। जब समाज में धर्म और जाति के नाम पर दूरी बढ़ने की चर्चा आम है, उसी समय गांव के निवासी जनार्दन सिंह ने अपने निजी दुख को सामाजिक सरोकार में बदलते हुए ऐसा कार्य किया, जो पूरे क्षेत्र के लिए मिसाल बन गया।

डुमरांव के देवी डिहरा गांव में इंसानियत की जीत, पुत्र की याद में अल्पसंख्यक समुदाय को कब्रिस्तान हेतु भूमि दान

केटी न्यूज/डुमरांव

चौसा प्रखंड के देवी डिहरा गांव से इंसानियत, सामाजिक सौहार्द और गंगा-जमुनी तहजीब को जीवंत करने वाली एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो आज के दौर में उम्मीद की नई रोशनी बनकर उभरी है। जब समाज में धर्म और जाति के नाम पर दूरी बढ़ने की चर्चा आम है, उसी समय गांव के निवासी जनार्दन सिंह ने अपने निजी दुख को सामाजिक सरोकार में बदलते हुए ऐसा कार्य किया, जो पूरे क्षेत्र के लिए मिसाल बन गया।अपने दिवंगत पुत्र की स्मृति में जनार्दन सिंह ने अल्पसंख्यक समुदाय के लिए एक बीघा भूमि कब्रिस्तान के रूप में दान कर दी। यह केवल जमीन का दान नहीं, बल्कि इंसानियत, समानता और आपसी सम्मान का मजबूत संदेश है।

उन्होंने इस भूमि को अपने पुत्र के नाम पर “शिवम धाम कब्रिस्तान” के रूप में समर्पित किया, जो आने वाले वर्षों तक भाईचारे की पहचान बना रहेगा।दरअसल, देवी डिहरा गांव में अल्पसंख्यक समुदाय के लिए कब्रिस्तान की कोई स्थायी व्यवस्था नहीं थी। पूर्व में अतिक्रमण और दबंगई के कारण कब्रिस्तान की जमीन समाप्त हो चुकी थी। इसके चलते समुदाय के लोगों को अपने परिजनों के अंतिम संस्कार में गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ता था। कई बार भय और असुरक्षा के माहौल में उन्हें अनुपयुक्त स्थानों पर शव दफनाने के लिए मजबूर होना पड़ता था, जिससे मानवीय गरिमा को ठेस पहुंचती रही।इस मानवीय पहल की जानकारी मिलने पर जनता दल यूनाइटेड की प्रदेश प्रवक्ता अंजुम आरा देवी डिहरा गांव पहुंचीं।

उन्होंने जनार्दन सिंह और उनके परिजनों से मुलाकात कर संवेदना व्यक्त की और इस निर्णय को संविधान की मूल भावना के अनुरूप बताया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्य समाज को जोड़ने का काम करते हैं और यह साबित करते हैं कि इंसानियत किसी एक धर्म या जाति की मोहताज नहीं होती।गांव में इस फैसले को लेकर सकारात्मक माहौल है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए सामाजिक समरसता और न्याय की प्रेरणा बनेगी। इस अवसर पर जदयू नेता सिद्धेश्वर चौधरी, बबलू शर्मा, सोहराब कुरैशी, महताब आलम, नीरज पटेल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में इसे भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब की सशक्त मिसाल बताया।