डुमरांव विस क्षेत्र में जेडीयू ने हाई कोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पर जताया भरोसा
लंबे समय के ऊपापोह के बाद जेडीयू ने डुमरांव विधानसभा क्षेत्र से अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी है। इस बार सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राहुल सिंह पर भरोसा जताया गया है। वहीं पिछले बार पटना हाई कोर्ट की अधिवक्ता अंजुम आरा को टिकट दिया था

केटी न्यूज/डुमरांव
लंबे समय के ऊपापोह के बाद जेडीयू ने डुमरांव विधानसभा क्षेत्र से अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी है। इस बार सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता राहुल सिंह पर भरोसा जताया गया है। वहीं पिछले बार पटना हाई कोर्ट की अधिवक्ता अंजुम आरा को टिकट दिया था। हालांकि अंजूम आरा को 46905 वोट मिले थे। उन्हें माले के प्रत्याशी डाॅ. अजीत सिंह से 24 हजार 415 वोट से हार का सामना करना पड़ा था।
अब रणनीति में अब यह देखना है कि राहुल सिंह अपने कौन से कानूनी दांव पेंच व जनता के सामने जिरह कर वोटरों को अपने पक्ष में करने सफल होते है। जनता की अदालत में उन्हें जीत नसीब होती है। हाई कोर्ट की अधिवक्ता अंजुम आरा पटना के फुलवारीशरीफ में लंबे समय से स्थानीय राजनीति में थी। इसके बाद महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी थी। पार्टी की प्रवक्ता जैसे अहम पदों रहते हुए कार्य किया था। वहीं दूसरी ओर सभी को पीछे छोड़कर पार्टी का टिकट लेने वाले राहुल सिंह सरकारी अफसर बनकर रहे। अफसरगिरी छोड़ने के बाद कानून का दांव-पेंच की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता है।
कार्यकर्ताओं में बढ़ी नाराजगी: जेडीयू के शीर्ष नेताओं के स्तर से लगातार कार्यकर्ताओं को दरकिनार करना महंगा पड़ सकता है। स्थानीय कार्यकर्ताओं में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है। स्थानीय कार्यकर्ताओं का कहना है कि बड़े नेता बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं से कार्य कराते है। पांच सालों तक पार्टी का झंडा ढ़ोते है। पार्टी के हर कार्यक्रम में भाग लेते है। अंतिम में हाथ क्या लगता है स्थानीय कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर अपनी मर्जी से प्रत्याशी को थोप दिया जाता है। एनडीए समर्थित कार्यकर्ताओं का कहना है कि इसी तरह के निर्णय से पहले विधानसभा हाथ से निकलता था इस बार लोकसभा भी गया। इस बार भी देखियेगा। पार्टी के शीर्ष नेता समझ ही जायेंगे कि स्थानीय कार्यकर्ताओं को दरकिनार करने से क्या फायदा और क्या नुकसान हो सकता है।