जिले के 1.10 लाख बच्चों व किशोर-किशोरियों को खिलाई जाएगी अल्बेंडाजोल की दवा: डीआईओ
- कृमि मुक्ति अभियान के तहत सदर प्रखंड के बीआरसी में निजी स्कूलों के शिक्षकों को दिया गया प्रशिक्षण
- शून्य से लेकर 19 साल तक के बच्चों को कृमि की दवा खिलाने की दी गई जानकारी
बक्सर | जिले के बच्चों और किशोर-किशोरियों को कृमि से बचाने के लिए 16 मार्च को कृमि मुक्ति दिवस मनाया जाने वाला है। इस क्रम में स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग और एकीकृत बाल विकास सेवा विभाग के समन्वय से विशेष अभियान चलाया जाएगा। जिसके तहत सरकारी और निजी स्कूलों के साथ-साथ आंगनबाड़ी केंद्रों पर शून्य से 19 साल तक के बच्चों को कृमि मुक्ति की दवा (अल्बेंडाजाेल) खिलाई जाएगी। जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग और सहयाेगी विभाग अपनी अपनी ओर से तैयारी में जुट गए हैं। इस क्रम में शुक्रवार को सदर प्रखंड स्थित ब्लॉक रिसोर्स सेंटर (बीआरसी) में निजी स्कूलों के शिक्षकों को कृमि मुक्ति अभियान के तहत प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें उन्हें बच्चों को उम्र के हिसाब से अल्बेंडाजोल की दवा खिलाने के साथ रिपोर्ट अपडेट करने के संबंध में बताया गया। मौके पर प्रभारी सिविल सर्जन सह जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी (डीआईओ) डॉ. राज किशोर सिंह ने शिक्षकों का उन्मूखीकरण किया। इस दौरान प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. मिथिलेश सिंह, बीईई मोनज चौधरी, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अजय प्रसाद, निजी स्कूलाें शिक्षक मौजूद रहे।
तीन से 19 साल तक के बच्चों को एक गोली चबाकर खिलानी है :
डीआईओ डॉ. आरके सिंह ने शिक्षकों को बताया कि सरकार से प्राप्त निर्देश के तहत जिले में 16 मार्च को कृमि मुक्ति अभियान चलाया जाएगा। जिसमें जिले के शून्य से लेकर 19 साल तक के एक लाख 10 हजार बच्चों और किशोर-किशोरियों को अल्बेंडाजोल की दवा दी जाएगी। इनमें सरकारी स्कूल के 82 हजार और निजी स्कूलों के 28 हजार निजी स्कूलों के बच्चों को लक्षित किया गया है। इन बच्चों को उम्र के हिसाब से दवा की खुराक दी जानी है। उन्होंने बताया कि एक से दो साल तक के बच्चों कों आधी गोली पीसकर और दो से तीन साल तक के बच्चों को एक गाेली पीसने के बाद उसे पानी में मिलाकर बच्चों को देनी है। वहीं, तीन से 19 साल तक के बच्चों को एक गोली चबाकर खिलानी है। उन्होंने बताया कि इसके लिए अभियान के सभी प्रखंडों में एक चिकित्सा दल तैनात किया जाएगा। जो किसी आपात स्थिति उत्पन्न होने की स्थिति में मौके पर पहुंचेगी। इसके लिए आरबीएसके की टीम को प्रतिनियुक्त किया जाएगा। वहीं, 16 मार्च को यदि कोई लाभार्थी दवा खाने से वंचित रह गया तो ऐसे बच्चों के लिए 20 मार्च को मॉपअप राउंड चलाया जाएगा।
पेट में कृमि को समाप्त करने के लिए दी जाती है दवा :
डीआईओ डॉ. आरके सिंह ने बताया, कृमि को नष्ट करने के लिए कृमि नाशक अल्बेंडाजोल की दवा का सेवन कराया जाता है। इस दवा से कोई भी साइड-इफेक्ट नहीं होता। दवा पेट में कृमि को समाप्त करने के लिए दी जाती है। पेट में अधिक कीड़े या कृमि होने से उनमें दवा देने पर कुछ बच्चों एवं किशोर-किशोरियों में प्रतिकूल प्रभाव जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट या उल्टी हो सकती है। जो दो से चार घंटे में समाप्त हो जाती है। यह पेट में कीड़े की मौजूदगी का सबूत है। उन्होंने बताया कि दवा के थोड़े प्रतिकूल प्रभाव दिखने पर घबराने की आवश्यकता नहीं है। बच्चे को थोड़े समय के लिए खुली हवा में लेटा दें और पानी पिला दें। कुछ समय में दवा खाने वाला बच्चा सामान्य अवस्था में आ जाता है। दवा को नियमानुसार खाना अनिवार्य है। इस दवा के सेवन न करने से पेट में होने वाले कीड़े या कृमि से बच्चों के शरीर में खुराक नहीं लगती और बच्चे शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगते हैं। बच्चे के कमजोर शरीर में विभिन्न प्रकार की बीमारियां होने लगती हैं। साथ ही, बच्चों में एनीमिया की संभावना बढ़ जाती है।