एक जुलाई को भारत बंद का ऐलान, बहुजन संगठनों ने उठाई पांच प्रमुख मांगें
भारत मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा, राष्ट्रीय परिवर्तन मोर्चा, बहुजन क्रांति मोर्चा सहित कई बहुजन संगठनों ने एक जुलाई को भारत बंद का ऐलान किया है। यह बंद लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और मूलनिवासी अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से बुलाया गया है। भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. चौधरी विकास पटेल के नेतृत्व में यह आंदोलन देशव्यापी रूप से आयोजित होगा।

केटी न्यूज/केसठ
भारत मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा, राष्ट्रीय परिवर्तन मोर्चा, बहुजन क्रांति मोर्चा सहित कई बहुजन संगठनों ने एक जुलाई को भारत बंद का ऐलान किया है। यह बंद लोकतंत्र, सामाजिक न्याय और मूलनिवासी अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से बुलाया गया है। भारत मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष वामन मेश्राम और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा. चौधरी विकास पटेल के नेतृत्व में यह आंदोलन देशव्यापी रूप से आयोजित होगा।
बंद की प्रमुख मांगों में ईवीएम के विरोध में बैलेट पेपर की वापसी सबसे अहम है। संगठनों का कहना है कि ईवीएम से चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता खत्म हो गई है और जनता का भरोसा डगमगाया है। दूसरी मांग है ओबीसी की जातिगत जनगणना कराना, जिसे केंद्र सरकार लगातार टालती रही है। इससे सामाजिक योजनाओं के लाभ से पिछड़ा वर्ग वंचित हो रहा है।
तीसरा बड़ा मुद्दा आरएसएस और बीजेपी द्वारा बहुजन महापुरुषों के अपमान का है। संगठन इसे सुनियोजित सांस्कृतिक हमला बता रहे हैं। चौथे मुद्दे के रूप में बोधगया टेम्पल एक्ट 1949 को समाप्त करने की मांग की गई है, जिसे बौद्ध अनुयायियों की आस्था के खिलाफ बताया गया है। वहीं, वक्फ संशोधन विधेयक 2025 को असंवैधानिक बताते हुए उसका विरोध किया गया है।
बहुजन मुक्ति पार्टी के प्रदेश महासचिव गोरखनाथ पासवान ने बहुजन संगठनों ने आम जनता, छात्रों, मजदूरों और जागरूक नागरिकों से 1 जुलाई को बंद को शांतिपूर्वक सफल बनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए है। उन्होंने हजारों हजारों की संख्या में लोगों से भाग लेने का अपील किया। उन्होंने कहा कि ये बंदी बक्सर में डीएम ऑफिस के सामने की जाएगी।