56 भोग, देसी केक और लोकगीतों के संग याद किए गए भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर

भोजपुरी लोकसंस्कृति के अप्रतिम साधक और “भोजपुरी के शेक्सपियर” कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की जयंती इस बार बक्सर में बिल्कुल अलग रंग और अंदाज़ में मनाई गई। डिस्ट्रिक्ट आर्टिस्ट एसोसिएशन ऑफ बक्सर (डाब) के तत्वावधान में स्थानीय रेडक्रॉस भवन का सभागार लोककला, साहित्य और सम्मान के त्रिवेणी संगम का साक्षी बना।

56 भोग, देसी केक और लोकगीतों के संग याद किए गए भोजपुरी के शेक्सपियर भिखारी ठाकुर

-- संगोष्ठी, सम्मान और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजी जयंती, लोककला के पुरोधा को नमन

केटी न्यूज/बक्सर

भोजपुरी लोकसंस्कृति के अप्रतिम साधक और “भोजपुरी के शेक्सपियर” कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की जयंती इस बार बक्सर में बिल्कुल अलग रंग और अंदाज़ में मनाई गई। डिस्ट्रिक्ट आर्टिस्ट एसोसिएशन ऑफ बक्सर (डाब) के तत्वावधान में स्थानीय रेडक्रॉस भवन का सभागार लोककला, साहित्य और सम्मान के त्रिवेणी संगम का साक्षी बना।कार्यक्रम की शुरुआत भिखारी ठाकुर के तैल्यचित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। उद्घाटन प्रख्यात चिकित्सक व साहित्यकार डॉ. महेंद्र प्रसाद और वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अरुण मोहन भारवि ने संयुक्त रूप से किया। इसके बाद 56 प्रकार के देसी व्यंजनों का भोग अर्पित कर और देसी केक काटकर लोक कलाकार को श्रद्धांजलि दी गई। यह दृश्य अपने आप में अनूठा और भावनात्मक रहा।

-- लोककला से लोकचेतना तक की यात्रा

इस मौके पर भिखारी ठाकुर, क्रांति-दर्शिता विषयक संगोष्ठी में वक्ताओं ने उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को सामाजिक बदलाव के औज़ार के रूप में रेखांकित किया। मुख्य वक्ता डॉ. अरुण मोहन भारवि ने कहा कि भिखारी ठाकुर सिर्फ कलाकार नहीं, बल्कि लोकजागरण के अग्रदूत थे, जिन्होंने मंच को समाज का आईना बना दिया। विशिष्ट अतिथि सत्यदेव प्रसाद, सुरेश अग्रवाल, डॉ. श्रवण कुमार तिवारी, बृजकिशोर सिंह और डॉ. शशांक शेखर ने भी उनके सामाजिक सरोकारों पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाब के अध्यक्ष सुरेश संगम ने कहा कि बीते 32 वर्षों से संस्था कलाकारों के उत्थान और उनकी समस्याओं के समाधान के लिए निरंतर कार्य कर रही है और भिखारी ठाकुर की परंपरा को आगे बढ़ाना ही उसका उद्देश्य है।

-- गीतों में गूंजा विरह, भावुक हुआ सभागार

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। भिखारी ठाकुर रचित गीतों की प्रस्तुति के क्रम में प्रख्यात भोजपुरी गायक-नायक गोपाल राय का विरह गीत सुनकर पूरा सभागार भाव-विभोर हो उठा। लोकधुनों के साथ उनकी आवाज़ ने मानो भिखारी ठाकुर को मंच पर सजीव कर दिया।

-- सम्मान के साथ कृतज्ञता

इस अवसर पर पत्रकारिता, साहित्य, रंगकर्म और समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई विभूतियों को मोमेंटो, पगड़ी और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में मनोज सिंह, राम एकबाल ठाकुर, अजय कुमार मिश्रा, गिरधारी अग्रवाल, रागिनी जायसवाल, प्रदीप जायसवाल और ओमजी यादव शामिल रहे।कार्यक्रम के अंत में वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि ‘बिदेसिया’ से लेकर ‘गबरघिचोर’ तक भिखारी ठाकुर की रचनाएं आज भी समाज को सोचने पर मजबूर करती हैं। यही कारण है कि वे सिर्फ अतीत नहीं, वर्तमान और भविष्य की भी आवाज़ हैं।