बड़ी खबर: केशव टाइम्स की खबर पर लगी मुहर: शिक्षा माफियाओं को बड़ा झटका फर्स्ट आइडिया के चयन में गड़बड़ी पर प्रशासनिक जांच में हुई पुष्टि

बक्सर जिले का शिक्षा विभाग इन दिनों गहरे विवादों में घिरा हुआ है। विभाग में कथित माफियागिरी, एजेंसी चयन में गड़बड़ी और अवैध भुगतान जैसे गंभीर आरोपों पर केशव टाइम्स की लगातार प्रकाशित खबरों ने प्रशासन को हरकत में ला दिया है। खास बात यह है कि अब प्रशासनिक अधिकारियों की जांच रिपोर्ट ने भी इन गड़बड़ियों की पुष्टि कर दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग ने हाउसकीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया के चयन को पहले ही दोषमुक्त बताते हुए अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।

बड़ी खबर: केशव टाइम्स की खबर पर लगी मुहर: शिक्षा माफियाओं को बड़ा झटका फर्स्ट आइडिया के चयन में  गड़बड़ी पर प्रशासनिक जांच में हुई पुष्टि

- हाउसकीपिंग एजेंसी ‘फर्स्ट आइडिया’ के चयन में उजागर हुई अनियमितता, सांसद के दबाव पर बनी जांच टीम ने डीएम को सौंपी रिपोर्ट 

- लम्बे समय से शिक्षा विभाग में  दबंगो व माफियाओं का बना हुआ है वर्चस्व

- डीएम ने अपर समाहर्ता गिरिजेश कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम की थी गठित 

- पहले से काम कर रही कंपनी जेकेएसबी को बिना ठोस कारण बताए हटा कर नियम विरूध किया गया ‘फर्स्ट आइडिया’ का चयन 

केटी न्यूज/बक्सर

बक्सर जिले का शिक्षा विभाग इन दिनों गहरे विवादों में घिरा हुआ है। विभाग में कथित माफियागिरी, एजेंसी चयन में गड़बड़ी और अवैध भुगतान जैसे गंभीर आरोपों पर केशव टाइम्स की लगातार प्रकाशित खबरों ने प्रशासन को हरकत में ला दिया है। खास बात यह है कि अब प्रशासनिक अधिकारियों की जांच रिपोर्ट ने भी इन गड़बड़ियों की पुष्टि कर दी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग ने हाउसकीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया के चयन को पहले ही दोषमुक्त बताते हुए अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। लेकिन बक्सर सांसद सुधाकर सिंह ने इस रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज कराई और जिलाधिकारी से स्वतंत्र जांच की मांग की। सांसद का कहना था कि विभाग की जांच पक्षपाती है और इसमें शिक्षा माफियाओं की संलिप्तता को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।सांसद के दबाव के बाद जिलाधिकारी डॉ. विद्यानंद सिंह ने गंभीरता दिखाते हुए अपर समाहर्ता गिरिजेश कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम गठित की। उम्मीद जताई जा रही थी कि यह टीम पूरे मामले की तह तक जाकर सच्चाई सामने लाएगी।

-- जांच में भी दोहराई गई पुरानी रिपोर्ट

लेकिन हैरत की बात यह रही कि तीन सदस्यीय टीम ने भी विभागीय अधिकारियों की पुरानी रिपोर्ट पर ही मोहर लगा दी। टीम ने कहा कि हाउसकीपिंग एजेंसी फर्स्ट आइडिया का चयन नियमों के तहत नहीं हुआ है। रिपोर्ट में जांच टीम ने स्वीकार किया है कि पहले से काम कर रही कंपनी जेकेएसबी को बिना ठोस कारण बताए हटाया गया और तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी अनिल कुमार द्विवेदी ने संवैधानिक प्रावधानों को ताक पर रखकर फर्स्ट आइडिया को कार्यादेश जारी कर दिया।

-- केशव टाइम्स ने पहले ही उठाए थे सवाल

गौरतलब है कि केशव टाइम्स ने अपने पूर्व प्रकाशित अंकों में विस्तृत साक्ष्यों के साथ यह उजागर किया था कि फर्स्ट आइडिया का चयन कथित शिक्षा माफिया अजय सिंह के दबाव में कराया गया। रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि शो कॉज नोटिस सिर्फ खानापूर्ति के लिए जारी किए गए और बिना नियमानुसार प्रक्रिया अपनाए सीधे फर्स्ट आइडिया को वर्क ऑर्डर दे दिया गया।

जिले में अब बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जब जांच टीम ने भी माना कि जेकेएसबी को बिना कारण हटाया गया और प्रक्रिया में खामी रही, तो फिर दोषी पर कारवाई कब होगी। 

-- शिक्षा माफिया की जड़ों तक पहुंचने की जरूरत

जिले में लंबे समय से यह चर्चा है कि शिक्षा विभाग में कुछ तथाकथित माफियाओं का वर्चस्व बना हुआ है। ये लोग एजेंसियों के चयन, बिल भुगतान और अनुबंध प्रक्रिया में अपनी मनमर्जी चलाते हैं। फर्स्ट आइडिया का मामला भी इसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है। सामाजिक संगठनों का कहना है कि केवल एजेंसी चयन तक सीमित जांच से सच्चाई सामने नहीं आएगी। इसके पीछे जो रसूखदार लोग हैं, उनकी भूमिका भी उजागर होनी चाहिए।

-- आगे की राह

जिलाधिकारी ने जांच टीम की रिपोर्ट प्राप्त कर ली है। अब देखना यह होगा कि इस रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन क्या कदम उठाता है। क्या जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होगी? क्या शिक्षा माफियाओं की जड़ें काटी जाएंगी? या फिर यह मामला भी अन्य विवादों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा। फिलहाल इतना तय है कि केशव टाइम्स द्वारा उठाए गए सवाल और प्रकाशित खबरों ने शिक्षा विभाग की नींव को हिला दिया है। जांच रिपोर्ट ने चाहे अनियमितताओं को सामान्य बताने की कोशिश की हो, लेकिन जनता के बीच यह धारणा गहरी हो गई है कि विभाग में सबकुछ ठीक नहीं है।