आबूधाबी से एक पखवाड़े बाद पहुंचा सोवां के कामगर का शव, परिजनों क चित्कार से गमगीन हुआ माहौल

आबूधाबी से एक पखवाड़े बाद पहुंचा सोवां के कामगर का शव, परिजनों क चित्कार से गमगीन हुआ माहौल

- 18 सितंबर को आबूधाबी में हो गई थी सोवां के अजय की मौत

केटी न्यूज/कृष्णाब्रह्म

सोवां के बलिराम सिंह के 36 वर्षीय पुत्र अजय सिंह का शव एक पखवाड़े बाद पैतृक गांव पहुंचा। ताबूत में बंद शव के दरवाजे पर पहुंचते ही परिजनों के क्रंदन चित्कार से माहौल गमगीन हो गया। घंटो क्रंदन चित्कार के बाद किसी तरह अंतिम संस्कार किया गया। बता दें कि अजय 23 जून को संयुक्त अरब अमीरात की राजधानी आबूधानी गया था। 17 सितंबर को संदेहास्पद परिस्थिति में उसकी मौत हो गई थी, 18 सितंबर को वह जिस कंपनी में काम करता था उसके बगल से उसका शव बरामद हुआ था। हालांकि कंपनी वालों ने उसकी मौत की जानकारी परिजनों को नहीं दी थी। उसे विदेश भेजने वाले एजेंट के माध्यम से स्वजनों को इस मनहूस घटना की जानकारी हुई।

उसके बाद से अजय के परिवार वालों का रो रोकर बुरा हाल हो गया था शनिवार को खाड़ी देश से शव को पटना एयरपोर्ट भेजा गया जहां से सड़क मार्ग से शव को देर शाम उनके पैतृक गांव सोवा लाया गया। जहां उनके अंतिम दर्शन करने के बाद उनके शव बक्सर स्थित श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। 

कमाउ पूत की मौत से परिजनों पर टूटा दुखों का पहाड़

अजय अपने परिवार की माली हालत सुधारने के लिए विदेश गया था। वह कुछ महीनों तक मोटी रकम भी भेजा था। जिससे परिवार की खुशी बढ़ गई थी। वही उसकी मौत से परिवार पर गमो का पहाड़ टूट गया है। बेटे की मौत से पिता बलिराम सिंह भारी सदमे में है कि उनके मुंह से आवाज नहीं निकल पा रहा है तो मां लक्ष्मी देवी व पत्नी प्रतिमा देवी दहाडे़ मारकर रोती रही। दोनों रह रहकर बेसुध हो जाती थी तो कभी अजय को याद कर विलाप करने लगती थी। अजय की मात्र दो पुत्रियां है बड़ी की उम्र 5 वर्ष तथा छोटी बेटी मात्र 2 वर्ष की है। मासूम बेटियों के सर से भी बाप का छाया उठ गया है। आलम यह था कि उन्हें ढांढस बंधाने आने वाले खुद रो पड़ते थे।