इलाज के इंतजार में प्रसव कराने आई महिला की मौत, बच्चे की गर्भ में ही चली गई जान

इलाज के इंतजार में प्रसव कराने आई महिला की मौत, बच्चे की गर्भ में ही चली गई जान

- परिजनों ने चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियों पर इलाज में लापरवाही का आरोप 

- लोगों ने जमकर काटा बवाल, एएसपी के के समझाने पर शांत हुआ मामला

- सिविल सर्जन ने कहा - जाांच कराई जाएगी, जिसने लापरवाही की होगी कार्रवाई

केटी न्यूज/आरा

जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में मौत और हंगामे का दौर थम नहीं रहा है। शुक्रवार की रात एक बार फिर इलाज के इंतजार में एक गर्भवती की जान चली गई। लगभग तीन घंटों तक वह दर्द से छटपटाती रही, जिसके बाद उसने दम तोड़ दिया। जिसके कारण उसका बच्चा भी पेट में ही रह गया। ऐसे में एक साथ जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो गई। मृत महिला शाहपुर थाने के सुहिया गांव निवासी कुणाल सिंह की पत्नी अनीता देवी थी। इधर, महिला की मौत के बाद उसके परिजन भड़क उठे और खूब हंगामा मचाया। परिजनों ने चिकित्सक और नर्सों पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया। इधर, हंगामे के कारण अस्पताल में अफरातफरी मच गई। सूचना मिलते ही सिविल सर्जन डॉ. रामप्रीत सिंह पहुंचे और समझाने में जुट गए। लेकिन हंगामा शांत नहीं हो रहा था। स्थिति देखते हुए खुद एएसपी हिमांशु को अस्पताल पहुंचना पड़ा। देर रात करीब दो बजे एएसपी और नगर थानाध्यक्ष अनिल सिंह दलबल के साथ पहुंचे। उसके बाद समझा-बुझाकर कर परिजनों को शांत कराया गया। उन्होंने मृत महिला के परिजन, सीएस और डाक्टर से घटना की पूरी जानकारी ली। 

मौत के बाद किया गया रेफर 

परिजनों का कहना था कि करीब तीन घंटे तक महिला बेड पर पड़ी रही, लेकर महिला चिकित्सक उसे देखने नहीं आई। नर्स भी मात्र इंजेक्शन देने के बाद गायब हो गई। यहां तक कि परिजनों को चिकित्सक से मिलने तक नहीं दिया गया। मामले में सबसे आश्चर्यजनक बात तो यह रही कि चिकित्सक और कर्मचारियाें ने महिला की मौत के बाद जानकारी नहीं दी और रेफर कर दिया। इस मामले में सिविल सर्जन रामप्रीत सिंह ने कहा कि देखा जायेगा कि किसने लापरवाही की है। भविष्य में इस तरह की कोई घटना नहीं हो, इसकी गहन समीक्षा की जाएगी। सभी डॉक्टर और नर्सों को आपस में तालमेल बनाए रखने को कहा गया है। सीरियस मरीज को फौरन देखा जाएगा और उनके परिजनों को बताया जाएगा। उसके बाद उनकी इच्छा होगी, तो रखेंगे नहीं तो वह बाहर ले जाएंगे। वैसे भी सीरियस मरीज को रेफर कर दिया जाता है। लेकिन आगे से इस चीज का विशेष ध्यान रखा जाएगा।

डेढ़ बजे पहुंची चिकित्सक और पटना रेफर कर दिया 

घटना के संबंध में मृत महिला के भाई डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि शुक्रवार की रात करीब 10 बजे उसे प्रसव के लिए आरा सदर अस्पताल के लेबर वार्ड लाया गया था। तब  महिला डाक्टर नहीं थी। ऐसे में उपस्थित नर्सों द्वारा देखा गया और एक इंजेक्शन दिया गया। उसके बाद रात फिर उसे कोई देखने नहीं आया। उन्होंने ने कई बार डॉक्टर से मिलने की कोशिश भी की।  लेकिन उन्हें मिलने नहीं दिया गया। मौजूद नर्सों द्वारा कहा गया कि डाक्टर साहब अभी नहीं है। रात करीब डेढ़ बजे डाक्टर आयी और उसे सीधे पटना रेफर कर दिया गया। इस पर वेलोग एंबुलेंस लेकर पहुंचे और मरीज को चढ़ा रहे थे। तब चालक द्वारा बताया गया कि मरीज जिंदा नहीं है‌। इससे लोगों का गुस्सा भड़क उठा।‌ भाई संजीव कुमार के अनुसार महिला चिकित्सक का कहना था कि नर्सो द्वारा 10 बजे के बाद किसी भी मरीज के आने की सूचना नहीं दी गयी थी। उन्हें 1:20 में सूचना दी गयी, तो नर्सों का कहना था कि सूचना दी गयी थी। संजीव कुमार ने डा.विजेता और लेबर वार्ड में मौजूद नर्सों की लापरवाही के कारण अपनी बहन के मौत होने का आरोप लगाया है। 

मौत और हंगामे के बावजूद अस्पताल व जिला प्रशासन ने साध रखी है चुप्पी 

आईएसओ मान्यता प्राप्त आरा सदर अस्पताल मरीजों की मौत और हंगामे को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहता है।  कुछ दिन के अंतराल पर इस तरह की घटनाएं हो रही है। इसके बावजूद अस्पताल और जिला प्रशासन मुकदर्शक बन है। सत्ताधारी महागठबंधन के माले विधायक मनोज मंजिल के बार-बार प्रयास के बाद भी अस्पताल की हालत में कोई ठोस बदलाव नहीं दिख रहा है। वहीं डीएम राजकुमार की निरीक्षण का भी कोई असर नहीं दिख रहा है। डीएम के निरीक्षण के महज 36 घंटे बाद ही डाक्टर और नर्सों की लापरवाही प्रसूता की मौत हो गयी। उसके बाद हंगामा मच गया। सदर अस्पताल में एक सप्ताह में प्रसव कराने पहुंची महिलाओं की मौत हो गयी। मां के दोनों के बच्चों की भी गर्भ में ही जान चली गई। बताते चलें कि पिछले डेढ़ माह में यह पांचवीं घटना है, जिसमें अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के कारण गर्भवती महिला की जान चली गई।