चौसा में फिर से उग्र हुए किसान, र्थमल पॉवर प्लांट के मुख्य गेट को किया जाम
- थर्मल प्लांट के लिए वाटर पाइप लाइन का काम शुरू होते ही बढ़ा किसानों का विरोध
केटी न्यूज/चौसा
चौसा में निर्माणाधीन 1320 मेगावॉट पॉवर प्लांट के निर्माण के दौरान किसानों का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को पॉवर प्लांट के संचालन के लिए महत्वपूर्ण वॉटर पाइप लाईन का निर्माण शुरू होते ही किसान एक बार फिर से उग्र विरोध पर उतर गए। इस दौरान किसानों ने थर्मल पॉवर प्लांट के मुख्य गेट को जाम कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। इधर कंपनी प्रबंधन ने विरोध को देखते हुए वाटर पाइप लाइन का निर्माण कार्य प्रशासन की देख-रेख कराया है।
अभी सरकारी भूमि से ही निर्माण प्रक्रिया की शुरूआत की गई है। कंपनी सूत्रों की मानें तो निर्माणधीन थर्मल पॉवर प्लांट के लिए मुख्य हिस्सा कच्चे माल के आवंटन हेतु रेल कॉरिडोर व पानी आपूर्ति के वाटर पाइप लाइन निर्माण अहम है। इसी निर्माण की जरूरी भूमि को लेकर बहुत दिनों से विरोध चल रहा था। हालांकि, इसको लेकर भूमि के मुआवजा का मामला लारा कोर्ट में चल रहा है। वही कई किसान भूमि का मुआवजा भी ले लिए है।
इधर, इस मामले में जिला प्रशासन को उच्च न्यायालय द्वारा दिये गए निर्देश के आलोक में अनुमंडल पदाधिकारी धीरेन्द्र मिश्रा, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, जिला भूअर्जन पदाधिकारी व अंचल पदाधिकारी आरती कुमारी भारी पुलिस बल के साथ चौसा महादेवा घाट के समीप निर्माणधीन पम्प हाउस पहुंचे, जहा भूमि पूजन के साथ पाइप लाइन का निर्माण प्रारम्भ किया गया।
वही निजी भूमि वाले किसान भी वहां पहुंचे जिनके द्वारा उनकी भूमि में काम न करने की मांग की जा रही है। अनुमंडल पदाधिकारी ने कहा सरकारी भूमि पर अभी कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि कोर्ट के निर्देश के आलोक में वाटर पाइप लाइन का निर्माण कार्य प्रारम्भ किया गया।
हालांकि, किसानों के विरोध की बात पर उन्होंने कहा ये मामले भी सुलझा लिए जाएंगे। वही, दूसरी ओर मुरा बाबा के पास धरना देने वाले किसान निर्माण प्रारम्भ होने की खबर की जानकारी पर विरोध में वे सब धरनास्थल को बदलकर मुख्य गेट से 100 गज पीछे टेंट लगा धरना पर बैठ गए। हालांकि, मुख्य गेट खुले रहे, जहा मजदूर के साथ अन्य काम करने वाले लोग आते-जाते रहे।
फिर से हो सकता है टकराव
बताया जा रहा है कि किसान काफी अपनी जमीन का व्यवसायिक मुआवजा मिले बिना प्रशासन के हर फरमान को दरकिनार कर रहे है। ऐसे में वाटन पाइप लाइन के निर्माण के दौरान जब सरकारी जमीन के बाद रैयतदारों की जमीन पर काम शुरू होगा तो किसान उसका मजबूती से विरोध कर सकते है। जिस कारण एक बार फिर से प्रशासन व स्थानीय किसानों के बीच टकराव की नौबत आ सकती है। पूर्व की घटनाओं को देखते हुए इस बार प्रशासन भी काफी फूंक फूंक कर कदम बढ़ा रहा है।
पॉवर प्लांट के निर्माण के साथ ही शुरू हो गया था विरोध
बता दें कि स्थानीय किसानों का यह विरोध नया नहीं है। बल्कि, पॉवर प्लांट के निर्माण के साथ ही यह विरोध शुरू हो गया था। किसान अपनी जमीन के लिए व्यवसायिक दर से मुआबजे की मांग कर रहे है। इसको ले पिछले दो वर्षों से अधिक समय से किसानों का आंदोलन जारी है। जबकि कई बार इस मामले में प्रशासनिक स्तर पर समझौते के द्वारा मामले को सुलझाने का प्रयास किया गया। लेकिन, सफलता नहीं मिल सकी है।