मणियां में स्मृति समारोह में विद्वानों ने कुरीतियों से मुक्ति और श्रेष्ठ समाज निर्माण पर दिया जोर

नावानगर प्रखंड के दयानंद आर्य प्लस टू उच्च विद्यालय, मणियां में ऐसा दृश्य देखने को मिला जब प्राचीन संस्कृति की गूंज के बीच समाज सुधार का संदेश प्रतिध्वनित हुआ। अवसर था विद्यालय के संस्थापक आचार्य विश्वनाथ सिंह की 38वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम “वेदो की ओर लौटे” का।

मणियां में स्मृति समारोह में विद्वानों ने कुरीतियों से मुक्ति और श्रेष्ठ समाज निर्माण पर दिया जोर

-- समारोह में वक्ताओं ने वेदों की ओर लौटने का किया आह्वान

केटी न्यूज/नावानगर

नावानगर प्रखंड के दयानंद आर्य प्लस टू उच्च विद्यालय, मणियां में ऐसा दृश्य देखने को मिला जब प्राचीन संस्कृति की गूंज के बीच समाज सुधार का संदेश प्रतिध्वनित हुआ। अवसर था विद्यालय के संस्थापक आचार्य विश्वनाथ सिंह की 38वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम “वेदो की ओर लौटे” का।

समारोह की शुरुआत हरिनारायण आर्य और सिद्धेश्वर शर्मा के आचार्यत्व में अग्निहोत्र एवं वेदोपदेश से हुई। पवित्र ध्वनियों के बीच उपस्थित लोग आत्मिक शांति का अनुभव करते दिखे। इसके बाद कृषि पदाधिकारी वशिष्ठ सिंह की अध्यक्षता में सभा आयोजित हुई, जिसमें स्वर्गीय आचार्य तथा उनके सहयोगी रहे आत्मा सिंह की स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया।

सभा के दौरान वक्ताओं ने स्पष्ट कहा कि आज समाज में फैली कुरीतियां, अंधविश्वास और पाखंड हमारी सबसे बड़ी चुनौतियां हैं। छात्राओं की प्रस्तुतियों ने इस संदेश को और प्रभावी बना दिया। नाट्य दृश्यों के माध्यम से उन्होंने बाल विवाह, दहेज, कन्या भ्रूण हत्या और बुजुर्गों की उपेक्षा जैसे मुद्दों पर करारा प्रहार किया। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को झकझोरने का काम किया।

वक्ताओं ने चिंता जताई कि आज के दौर में वृद्धों का अनादर, बेटियों का अपमान और युवाओं का नैतिक पतन आम होता जा रहा है। इस संकट से बाहर निकलने का रास्ता वेदों की ओर लौटने में है। उन्होंने कहा कि वेद केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानवता को मार्गदर्शन देने वाले शाश्वत सत्य हैं। इन्हीं से प्रेरणा लेकर भारत फिर से विश्वगुरु बन सकता है।

इस अवसर पर डुमरांव विधायक डॉ. अजीत कुमार सिंह ने आर्य समाज और विशेषकर आचार्य विश्वनाथ सिंह के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आचार्य ने अपना जीवन समाज उत्थान और शिक्षा प्रसार को समर्पित कर दिया। उनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने उनके समय में थे।

सभा में उपस्थित विद्वानों ने भी आचार्य के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। हरिनारायण साहू, अयोध्या सिंह, केदार सिंह, ललन सिंह, जितेंद्र सिंह, यज्ञानंद सिंह, बिंदेश्वरी सिंह, नंदकुमार सिंह, मुकेश सिंह, सुनील सिंह और गौरीशंकर सिंह समेत कई प्रबुद्धजन मौजूद रहे। सभी ने एक स्वर में कहा कि आचार्य की शिक्षा और विचारों को विद्यालय ही नहीं, पूरे समाज में उतारना आज की जरूरत है।

कार्यक्रम का समापन वेदों की शिक्षाओं को जीवन में उतारने और समाज सुधार के संकल्प के साथ हुआ। उपस्थित छात्र-छात्राओं ने भी प्रण किया कि वे शिक्षा के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को आत्मसात करेंगे और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रयासरत रहेंगे।