बलिया महोत्सव में कवि सम्मेलन: देशभक्ति और श्रृंगार की गूंज, अनामिका जैन अम्बर ने भरी जोश!
बलिया। बलिया महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार रात हुए कवि सम्मेलन में राष्ट्रवाद का जज्बा छाया रहा। प्रसिद्ध कवियत्री अनामिका जैन अम्बर ने अपनी कविताओं से देशभक्ति की भावना भर दी।
केटी न्यूज़/ बलिया
बलिया। बलिया महोत्सव के दूसरे दिन सोमवार रात हुए कवि सम्मेलन में राष्ट्रवाद का जज्बा छाया रहा। प्रसिद्ध कवियत्री अनामिका जैन अम्बर ने अपनी कविताओं से देशभक्ति की भावना भर दी। उन्होंने 'अमर है जो युगों से वो सनातन मिट नहीं सकता' और 'ये कश्मीर हमारा था अब वो कश्मीर हमारा है' जैसे गीत प्रस्तुत किए।
अनामिका ने सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन की शुरुआत की और मां शारदे के 108 नामों को कविता में पिरोकर सुनाया, जिससे सभी श्रोताओं की आंखों में आंसू आ गए। इसके बाद उन्होंने 'मांग रहे थे जो प्रमाण राम के होने का...' के माध्यम से सनातन पर प्रहार करने वालों को एक करारा जवाब दिया। अनामिका ने युवाओं को 'मेरे अंदाज को अपना अलग अंदाज दे देना, चली आऊंगी मैं सब छोड़कर आवाज दे देना...' से दीवाना बना दिया।
युवा कवि सूरजमणि ने भी अपने गीतों से सबको गुदगुदाया। उन्होंने 'जिसकी खातिर दुनिया से हमने सारी दुनियादारी छोड़े...' सुनाकर माहौल में श्रृंगार का रंग भर दिया। हास्य कवि शम्भू शिखर ने जैसे ही माइक संभाला, दर्शकों ने तालियां बजाना शुरू कर दिया। उन्होंने 'दुल्हन ने फेरे पंडित जी के साथ ले लिए...' सुनाकर सबको हंसने पर मजबूर कर दिया।
मशहूर शायर वसीम बरेलवी ने अपने पहले ही शेर 'जैसा दिखाई देने की करते हो कोशिशें वैसे नहीं हो तुम...' से श्रोताओं के दिलों में जगह बना ली। फिर जब उन्होंने कहा, 'तू ही चाहे तो मुझे रोक ले, वरना मेरे जाने से तेरे शहर का क्या जाता है...' तो तालियों की गड़गड़ाहट रुकने का नाम नहीं ले रही थी। उन्होंने 'मैंने खुद को बड़ी मुश्किल से बचाए रखा है, वरना दुनिया तेरा हो जाने में क्या रखा है...' सुनाकर भी खूब वाहवाही बटोरी। जब बरेलवी ने 'मेरे गांव की मिट्टी तेरी महक बड़ी अलबेली...' सुनाया तो सभी श्रोताओं ने अपनी जड़ों से जुड़ाव महसूस किया।
मध्यप्रदेश से आई कवियत्री मनिका दूबे ने अपनी श्रृंगार रस की कविताओं से युवाओं को खास रूप से प्रभावित किया। उन्होंने 'अमरता वीरता का देश भारत, सभी से भिन्न है परिवेश भारत... मरेंगे तो रहेगा शेष भारत...' के माध्यम से बागी धरती के बागपन को झकझोर दिया। उनकी सर्वश्रेष्ठ रचना 'शहर के शोर में वीरानियां हैं, यहां तुम हो मगर तन्हाइयां हैं। वहीं पे बैठ के अरसा गुजारूं, जहां तेरी मेरी परछाइयां हैं...' ने युवाओं के दिलों में गहरी छाप छोड़ी।
ओज के कवि गजेन्द्र सोलंकी ने 'कभी सागर की गहराई में जाने की तमन्ना है... सुना है चांद पर भी घर बनाने की तमन्ना है... अगर नफरत भी हो दिल में, जुबां से वार मत करना...' के जरिए माहौल में श्रृंगार का रंग घोल दिया। कवि राजेश रेड्डी ने 'खिलौना कहां मिट्टी का फना होने से डरता है। यहां हर शख्स हर पल हादसा होने से डरता है...' सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी।
कवि सम्मेलन में वरिष्ठ कवि विष्णु सक्सेना, सुरेन्द्र शर्मा, अंजुम रहबर और कीर्ति काले ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार, एसपी विक्रांत वीर, सीडीओ ओजस्वी राज और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह के अनुज धर्मेंद्र सिंह ने दीप प्रज्वलित कर इस कवि सम्मेलन की विधिवत शुरुआत की।