मां भारती के रत्न फौजी

मां भारती के रत्न फौजी
डॉक्टर अशोक कुमार, पूर्व सदस्य बिहार लोक सेवा आयोग पटना

हम देश के हैं फौजी

ठहरे हैं सीना ताने।

मेरी असीम ताकत का

दुश्मन भी लोहा माने।

बर्फ गिरे या धुंध पड़े,

तनिक हम नहीं घबराते।

लांघे जो मेरी सरहद

उनके हम छक्के छुड़ाते।

जो मिटे देश की खातिर,

हम ऐसे हैं परवाने।

हम भारत के फौजी हैं,

ठहरे हैं सीना ताने।

होली हो या ईद मनें,

गुरु पर्व क्रिसमस भले।

जश्ने आजादी हो या,

दीपावली के दीप जले।

बन प्रहरी राष्ट्र के,

खुशियों के रखें खजाने।

हम भारत के फौजी हैं,

ठहरे हैं सीना ताने।

याद घरों की आए तो,

धरती मां को नमन करें।

अपनों की खातिर ही तो,

फूलों से हम चमन भरें।

हंसते मुखड़े ही हमको

लगते सुंदर नजराने।

हम भारत के फौजी हैं,

ठहरे हैं सीना ताने।

कंधों पर बंदूक लिए,

हर घंटे हर पहर खड़े।

गांव गांव बस्ती बस्ती,

दुश्मन से हर शहर लड़े।

देख तिरंगा अपना हम,

भूलें सब घाव पुराने।

हम भारत के फौजी हैं,

ठहरे हैं सीना ताने।

न सोना न चांदी मांगे,

मांगें सिर्फ यही गहने।

काम आएं देश के तो,

तिरंगे का कफन पहनें।

छाप सको तो ये छापो,

तुम मेरे नए तराने।

हम भारत के फौजी हैं,

ठहरे हैं सीना ताने।

जय हिन्द,वंदे मातरम्।