मदरसों में नहीं मिल रही है शिक्षा, बंद हो फंडिंग, एनसीपीसीआर ने की सरकार से सिफारिश

देशभर में हजारों अवैध मदरसों के खिलाफ जारी कार्रवाई जारी है।राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिख मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद करने की सिफारिश की है।

मदरसों में नहीं मिल रही है शिक्षा, बंद हो फंडिंग, एनसीपीसीआर ने की सरकार से सिफारिश
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केटी न्यूज़/दिल्ली

देशभर में हजारों अवैध मदरसों के खिलाफ जारी कार्रवाई जारी है।राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग  ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिख मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद करने की सिफारिश की है।एनसीपीसीआर ने मदरसा बोर्डों को बंद करने का भी सुझाव दिया है।

एनसीपीसीआर ने एक और रिपोर्ट जारी की है, जिसमें दावा किया है कि 2023-24 में 11 लाख से ज्यादा बच्चे बाल विवाह के प्रति संवेदनशील थे।जिन्हें एनसीपीसीआर ने बाल विवाह से बचाने के लिए ऐहतियाती कदम उठाए। ये भी सिफारिश की है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भर्ती कराया जाए।मुस्लिम समुदाय के बच्चे जो मदरसा में पढ़ रहे हैं, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर-मान्यता प्राप्त, उन्हें औपचारिक स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए और आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार निर्धारित समय और पाठ्यक्रम की शिक्षा दी जाए। 

एनसीपीसीआर ने एक और रिपोर्ट जारी की है,जिन लोगों ने इन मदरसों पर कब्जा कर लिया है, वे कहते थे कि वे भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान पूरे भारत में इस्लाम का प्रचार करना चाहते थे।7-8 राज्यों में मदरसा बोर्ड हैं। मदरसा बोर्डों को बंद करने की सिफारिश की है क्योंकि उनके जरिए चंदा इकट्ठा किया जा रहा है। इस फंडिंग को रोका जाना चाहिए और मदरसा बोर्ड को भंग किया जाना चाहिए और इन मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू बच्चों को फौरन स्कूलों में एनरोल किया जाना चाहिए।

सपा नेता अखिलेश यादव ने एनसीपीसीआर के मदरसा बोर्ड बयान पर रिएक्शन देते हुए कहा, ये देश सबका है, संविधान सबके लिए हैं। ये बीजेपी के लोग धर्म जाति, कपड़ों के आधार पर बांटना चाहती है।