तंबाकू सिर्फ लत नहीं, यह मौत की दस्तक है - डॉ. हितेश

राज हाई स्कूल डुमरांव के छात्रों ने वर्ल्ड हेड एंड नेक कैंसर डे के मौके पर एक अनोखे जागरूकता अभियान की शुरुआत की। यह कार्यक्रम न केवल एक शैक्षणिक गतिविधि रहा, बल्कि समाज में स्वास्थ्य के प्रति चेतना जगाने वाला भी सिद्ध हुआ।

तंबाकू सिर्फ लत नहीं, यह मौत की दस्तक है - डॉ. हितेश

-- छात्रों ने लिया कैंसर जागरूकता का बीड़ा, तंबाकू से दूरी की ली शपथ

-- डुमरांव के राज हाई स्कूल में आयोजित हुआ था कार्यक्रम, होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल की टीम ने किया था आयोजन

केटी न्यूज/डुमरांव

राज हाई स्कूल डुमरांव के छात्रों ने वर्ल्ड हेड एंड नेक कैंसर डे के मौके पर एक अनोखे जागरूकता अभियान की शुरुआत की। यह कार्यक्रम न केवल एक शैक्षणिक गतिविधि रहा, बल्कि समाज में स्वास्थ्य के प्रति चेतना जगाने वाला भी सिद्ध हुआ।

कार्यक्रम का आयोजन होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल की टीम द्वारा किया गया, जिसमें डुमरांव अनुमंडलीय अस्पताल के डॉ. हितेश रंजन, डॉ. सुषमा कुमारी, स्टाफ नर्स संध्या कुमारी और डेटा ऑपरेटर सोनू कुमार शामिल थे। कार्यक्रम की शुरुआत एक प्रेरणादायक प्रस्तुति से हुई जिसमें तंबाकू सेवन के दुष्परिणामों को सरल भाषा में समझाया गया। बताया गया कि कैसे यह आदत धीरे-धीरे मुंह, गले और गर्दन के कैंसर का कारण बन सकती है।

डॉ. हितेश रंजन ने छात्रों से संवाद करते हुए कहा कि तंबाकू सिर्फ लत नहीं, यह मौत की दस्तक है। उन्होंने कैंसर के शुरुआती लक्षण जैसे मुंह में बार-बार छाले, गले में लगातार खराश या निगलने में तकलीफ के बारे में भी जानकारी दी और उन्हें नजरअंदाज न करने की सलाह दी।

इस दौरान एक प्रैक्टिकल सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें छात्रों ने तंबाकू उत्पादों की पैकेजिंग पर लगी डरावनी तस्वीरें देखीं और उनके पीछे छिपी वास्तविकता को जाना। यह दृश्य बेहद प्रभावशाली रहा और छात्रों पर गहरा असर डाला।

कार्यक्रम का सबसे अहम क्षण वह था जब सभी छात्रों ने एकजुट होकर तंबाकू से दूर रहने और दूसरों को भी जागरूक करने की शपथ ली। अपने संबोधन में डॉ. सुषमा कुमारी ने कहा कि आज की पीढ़ी यदि सजग हो जाए, तो एक स्वस्थ्य समाज का निर्माण संभव है। कैंसर अब लाइलाज नहीं रहा, बशर्ते समय रहते जांच और इलाज हो।

राज हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक अनुराग मिश्र ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसी मुहिम स्कूलों से शुरू होनी चाहिए। कैंसर के खिलाफ जंग केवल अस्पतालों में नहीं, समाज के हर कोने में लड़ी जानी चाहिए। वहीं, इस जागरूकता कार्यक्रम ने छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ जीवन के प्रति संवेदनशील बनाने का कार्य किया।