फर्जी शिक्षकों पर पटना हाईकोर्ट की सख्ती के बावजूद ठप कार्रवाई
बक्सर का जिला शिक्षा कार्यालय एक बार फिर फर्जी शिक्षकों और भ्रष्टाचार के जाल में फंसता दिखाई दे रहा है। सहायक शिक्षक विक्रमादित्य राय के बकाया वेतन विवाद के बाद कई पुराने मामलों की धूल झाड़नी शुरू हुई है। इसी कड़ी में पटना उच्च न्यायालय में दायर सीडब्ल्यूजेसंख्या 14879/2009 (प्रीति वर्मा बनाम राज्य) एवं सीडब्ल्यूजेसंख्या 13327/2009 (विनोद कुमार पांडेय बनाम राज्य) मामलों में पारित आदेश का संदर्भ अब चर्चा के केंद्र में है।

-- निगरानी जांच में 27 फर्जी शिक्षक हुए थे उजागर, विक्रमादित्य प्रकरण ने खोली नई परतें
केटी न्यूज/बक्सर
बक्सर का जिला शिक्षा कार्यालय एक बार फिर फर्जी शिक्षकों और भ्रष्टाचार के जाल में फंसता दिखाई दे रहा है। सहायक शिक्षक विक्रमादित्य राय के बकाया वेतन विवाद के बाद कई पुराने मामलों की धूल झाड़नी शुरू हुई है। इसी कड़ी में पटना उच्च न्यायालय में दायर सीडब्ल्यूजेसंख्या 14879/2009 (प्रीति वर्मा बनाम राज्य) एवं सीडब्ल्यूजेसंख्या 13327/2009 (विनोद कुमार पांडेय बनाम राज्य) मामलों में पारित आदेश का संदर्भ अब चर्चा के केंद्र में है।
पटना हाईकोर्ट ने इन दोनों मामलों की सुनवाई के दौरान स्पष्ट निर्देश दिया था कि बक्सर ज़िले में फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति की गहन जांच निगरानी एवं अनुसंधान ब्यूरो द्वारा कराई जाए। आदेश के आलोक में की गई जांच में वर्ष 2004 तक कुल 27 नियुक्तियां फर्जी पाई गई थीं। जांच रिपोर्ट में तत्कालीन अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका पर भी उंगली उठाई गई थी। जांच में नाम आने वालों में विनोद कुमार पांडेय, सेवा वाराणसी शिक्षक साहित्य सहित कई विभागीय अधिकारी शामिल थे। रिपोर्ट में विभाग के प्रधान सचिव को इनके विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की गई थी।
-- कार्रवाई ठप होने से बढ़ा फर्जी शिक्षकों का मनोबल
निगरानी जांच के बाद अपेक्षित कार्रवाई न होने का सीधा नतीजा यह हुआ कि फर्जी शिक्षकों का नेटवर्क और मजबूत हो गया। शिक्षा विभाग में संरक्षण पाकर इनकी संख्या इससे अधिक बताई जा रही है। सूत्र बताते हैं कि कई फर्जी नियुक्त व्यक्तियों के रिश्तेदार आज भी शिक्षा विभाग में संविदा अथवा स्थायी पदों पर कार्यरत हैं। यही वजह है कि केस का रुख मोड़ने और फाइलें दबाने का खेल वर्षों से जारी है।
राजकीय बुनियादी विद्यालय सरेंजा के सहायक शिक्षक विक्रमादित्य राय उर्फ विक्रमा राय के बकाया वेतन विवाद ने इस दबे हुए मामले को फिर सतह पर ला दिया। कंप्यूटर ऑपरेटर आदित्य रंजन उर्फ सोनू, जिस पर पहले से फर्जी शिक्षक बनने का आरोप था, का नाम इसी क्रम में फिर से सुर्खियों में आया। हैरानी की बात यह है कि वर्ष 2013 में एफआईआर दर्ज होने के बावजूद वह डीईओ कार्यालय में संविदा पर डाटा ऑपरेटर के रूप में कार्यरत है।
-- ईमेल-पासवर्ड तक फर्जी नेटवर्क के पास
विभागीय सूत्र बताते हैं कि शिक्षा विभाग का ईमेल और पासवर्ड तक इन लोगों के पास है, जबकि नियमित कर्मचारियों को इससे दूर रखा गया है। इस कारण विभाग से जुड़ी हर गोपनीय जानकारी पहले ही फर्जी शिक्षकों तथा तथाकथित माफियाओं के नेटवर्क तक पहुंच जाती है। अधिकारी स्तर पर लिए गए निर्णय और आदेश भी इनके रिश्तेदारों तक लीक कर दिए जाते हैं।
-- पूरे शहाबाद में सक्रिय है फर्जीवाड़े का गिरोह
केटी न्यूज को मिली जानकारी के अनुसार, बक्सर के शिक्षा विभाग में कार्यरत एक अन्य कंप्यूटर ऑपरेटर की बहन शीला कुमारी का मामला विभाग के लिए नासूर बन चुका है। शीला का मामला भोजपुर जिले का है। इस प्रकरण में सचिवालय स्तर पर भी कुछ कर्मियों पर कार्रवाई की जा चुकी है, लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
विभागीय सूत्रों का कहना है कि विक्रमादित्य मामले की परत-दर-परत जांच हुई तो शिक्षा विभाग में वर्षों से जारी फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार की परतें खुल सकती हैं। यह मामला महज़ एक-दो व्यक्तियों तक सीमित नहीं, बल्कि संगठित गिरोह की तरह पूरे शिक्षा कार्यालय को अपनी गिरफ्त में लिए हुए है। जानकारों का कहना है कि यह गिरोह न सिर्फ बक्सर में बल्कि पूरे शाहाबाद में सक्रिय है।
अब बड़ा सवाल यह है कि हाईकोर्ट की सख्ती और निगरानी जांच की रिपोर्ट के बावजूद वर्षों से ठप पड़ी कार्रवाई को क्या नया मोड़ मिलेगा, या फिर यह मामला भी विभागीय सांटगांठ की भेंट चढ़कर दफन हो जाएगा। फिलहाल विक्रमादित्य व आदित्य रंजन प्रकरण ने उम्मीद की एक नई किरण जगाई है, लेकिन उस उम्मीद का भविष्य अभी धुंधला है।
बयान
इन सभी मामले की जांच पूरी गंभीरता से कराई जाएगी। शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार को बढ़ावा नहीं दिया जाएगा। फर्जी लोगों को संरक्षण देने वालों की भी जांच होगी और उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। - संदीप रंजन, डीईओ, बक्सर.