सड़क से वंचित हरनाथपुर के लोग बोले, अबकी बार वोट नहीं...
बक्सर जिले के ब्रह्मपुर अंचल के ग्राम हरनाथपुर, वार्ड संख्या 03 (अनुसूचित जाति टोला) के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। “अधूरा करनामेपुर लिंक पथ” से गांव को जोड़ने की मांग वर्ष 2012 से लगातार की जा रही है, मगर बिहार सरकार और जिले के आला अफसरों की बेरुखी ने इसे अब तक ठंडे बस्ते में डाल रखा है। नतीजा यह है कि ग्रामीणों का सब्र अब जवाब देने लगा है और वे आगामी चुनाव में वोट बहिष्कार करने की तैयारी में जुट गए हैं।

-- 12 साल से अधूरी पड़ी मांग, सरकारी मशीनरी की बेरुखी से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश
केटी न्यूज/ब्रह्मपुर
बक्सर जिले के ब्रह्मपुर अंचल के ग्राम हरनाथपुर, वार्ड संख्या 03 (अनुसूचित जाति टोला) के ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। “अधूरा करनामेपुर लिंक पथ” से गांव को जोड़ने की मांग वर्ष 2012 से लगातार की जा रही है, मगर बिहार सरकार और जिले के आला अफसरों की बेरुखी ने इसे अब तक ठंडे बस्ते में डाल रखा है। नतीजा यह है कि ग्रामीणों का सब्र अब जवाब देने लगा है और वे आगामी चुनाव में वोट बहिष्कार करने की तैयारी में जुट गए हैं।
गांव को जोड़ने के लिए रैयती भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया बिहार सरकार की “लिज नीति 2014” के तहत पूरी होनी थी। इसको लेकर जिला भू-अर्जन पदाधिकारी, बक्सर ने ज्ञापांक 94 दिनांक 27 जनवरी 2024 से लेकर ज्ञापांक 206 दिनांक 01 फरवरी 2025 तक अलग-अलग पत्राचार किया। मगर नतीजा हर बार शून्य ही रहा। न तो भूमि अधिग्रहण की ठोस कार्यवाही हुई और न ही ग्रामीणों को यह भरोसा दिलाया गया कि जल्द सड़क बनेगी।
ग्रामीण बताते हैं कि एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने पर भी अधिकारी सिर्फ कागजी खानापूर्ति में लगे हैं। तत्कालीन अपर समाहर्ता, बक्सर ने भी 19 अप्रैल 2024 को अपने पत्र (ज्ञापांक 03-0934) में मामले को संज्ञान में लिया था, लेकिन स्थानीय अंचलाधिकारी, ब्रह्मपुर के ‘अलग मन्तव्य’ के चलते अब तक प्रक्रिया अटक कर रह गई है।
-- समाज के सबसे पिछड़े तबके के साथ भेदभाव
गांव का वार्ड नंबर 03 अनुसूचित जाति टोला है। ग्रामीणों का आरोप है कि शायद इसी कारण उनकी मांगों को नजरअंदाज किया जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार जब-तब विकास और सबको न्याय की बातें करती है, लेकिन यहां के लोगों को तो ऐसा लगता है मानो वे इस राज्य के नागरिक ही नहीं हैं।
ग्रामीण रामलाल पासवान ने नाराजगी जताते हुए कहा कि 12 साल से हम लोग सिर्फ कागजों पर घुमाए जा रहे हैं। बच्चे बारिश में कीचड़ से होकर स्कूल जाते हैं, बीमार को अस्पताल ले जाना किसी जंग से कम नहीं। सरकार हमारी पीड़ा क्यों नहीं सुन रही।
-- ग्रामीणों ने बजाया वोट बहिष्कार का बिगुल
लगातार उपेक्षा से आहत ग्रामीण अब संगठित होकर बैठकों का दौर चला रहे हैं। तय किया गया है कि अगर सड़क निर्माण की प्रक्रिया जल्द शुरू नहीं हुई तो पूरा टोला आगामी चुनाव में मतदान से दूरी बना लेगा। यह कदम केवल असंतोष का नहीं, बल्कि प्रशासन की संवेदनहीनता के खिलाफ खुली चुनौती माना जा रहा है।
-- आखिर किसकी है जिम्मेदारी
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क निर्माण में हो रही देरी की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकार और संबंधित विभागों की है। यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और विस्फोटक हो सकती है। गांव के लोग अब आंदोलन की राह पर हैं। उनका कहना है कि वे सड़क की मांग को लेकर बार-बार लिखित आवेदन, ज्ञापन और धरना तक कर चुके हैं। मगर जब समाधान नहीं निकला तो वोट बहिष्कार ही उनका अंतिम हथियार बन गया है।
सरकारी तंत्र की संवेदनहीनता के चलते यह मुद्दा अब केवल सड़क निर्माण का नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकार की लड़ाई बन चुका है। सवाल यह है कि क्या सरकार अंतिम पायदान पर खड़े इन नागरिकों की आवाज सुनेगी, या फिर चुनावी बहिष्कार की चेतावनी को हल्के में लेगी।