पूर्वजों की याद में पौधरोपण, ब्रह्मपुर में अनोखी पहल

ब्रह्मपुर प्रखंड के रघुनाथपुर गांव में शुक्रवार को एक अनोखी पहल देखने को मिली। जदयू जिला महासचिव विंध्याचल शाही की माताजी के श्राद्ध कर्म को सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित न रखते हुए उसे पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा गया। इस अवसर पर आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम ने लोगों को यह संदेश दिया कि पूर्वजों की स्मृति को जीवित रखने का सबसे सुंदर तरीका प्रकृति की सेवा है।

पूर्वजों की याद में पौधरोपण, ब्रह्मपुर में अनोखी पहल

-- श्राद्ध कर्म को बनाया पर्यावरण संरक्षण का माध्यम, नेताओं और समाजसेवियों ने लिया संकल्प

केटी न्यूज/ब्रह्मपुर

ब्रह्मपुर प्रखंड के रघुनाथपुर गांव में शुक्रवार को एक अनोखी पहल देखने को मिली। जदयू जिला महासचिव विंध्याचल शाही की माताजी के श्राद्ध कर्म को सिर्फ धार्मिक अनुष्ठानों तक सीमित न रखते हुए उसे पर्यावरण संरक्षण से जोड़ा गया। इस अवसर पर आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम ने लोगों को यह संदेश दिया कि पूर्वजों की स्मृति को जीवित रखने का सबसे सुंदर तरीका प्रकृति की सेवा है।

कार्यक्रम का नेतृत्व पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, दक्षिण बिहार प्रांत के जनसंवाद सह प्रमुख शैलेश ओझा ने किया। उन्होंने कहा कि पूर्वजों की याद में लगाया गया पौधा सिर्फ हरियाली ही नहीं लाता, बल्कि परिवार और समाज को उससे भावनात्मक रूप से जोड़ता है। ऐसे पौधों की देखभाल लोग जिम्मेदारी से करेंगे और यह परंपरा समाज में एक सकारात्मक संदेश फैलाएगी। ओझा ने इसे ष्स्मृति शेष पौधारोपणष् बताते हुए कहा कि यह सामाजिक सद्भावना के वातावरण को मजबूत करेगा।

इस मौके पर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित बिहार सरकार के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री एवं विधान परिषद सदस्य श्रीभगवान कुशवाहा ने लोगों से अपील की कि श्राद्ध या किसी भी स्मृति दिवस पर कम से कम एक पौधा अवश्य लगाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि वृक्षों की कटाई और पर्यावरण की उपेक्षा इसी तरह जारी रही तो आने वाली पीढ़ियां बड़े संकट का सामना करेंगी।

कुशवाहा ने कहा, ष्धरती को हरा-भरा बनाए रखने के लिए पेड़ों को बचाना और लगाना हमारी जिम्मेदारी है। जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम इसी दिशा में सरकार का प्रयास है। पौधरोपण कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रदीप राय, जदयू महासचिव अजय उपाध्याय, राहुल सिंह, विनोद ओझा, डॉ. ललन मिश्रा, मनोज चौधरी सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में पर्यावरण संरक्षण को अपनी प्राथमिकता बनाने का संकल्प लिया।

यह आयोजन न केवल श्रद्धांजलि का प्रतीक रहा, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति को संजोने का संदेश भी छोड़ गया। रघुनाथपुर की यह पहल अन्य समाजों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है कि धार्मिक और सामाजिक अवसरों को पर्यावरण बचाने की मुहिम से कैसे जोड़ा जा सकता है।