एस जयशंकर ने बना दिया अनोखा रिकॉर्ड, अब तक कोई दूसरा नेता नहीं कर पाया ऐसा
एस जयशंकर ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी बार कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। सोमवार, 10 जून 2024 से उन्होंने विदेश मंत्रालय में काम भी शुरू कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने एक अनोखा रिकॉर्ड बना दिया है। जयशंकर लगातार दो कार्यकाल शुरू करने वाले देश के पहले विदेश मंत्री बन गए हैं।
केटी न्यूज़, ऑनलाइन डेस्क: नई दिल्ली: एस जयशंकर ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दूसरी बार कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली। सोमवार, 10 जून 2024 से उन्होंने विदेश मंत्रालय में काम भी शुरू कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने एक अनोखा रिकॉर्ड बना दिया है। जयशंकर लगातार दो कार्यकाल शुरू करने वाले देश के पहले विदेश मंत्री बन गए हैं। आजादी के बाद से अब तक कोई भी व्यक्ति विदेश मंत्री के तौर पर एक कार्यकाल के बाद दूसरा कार्यकाल शुरू नहीं कर पाया है।
नेहरू का अपवाद
देश के पहले प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरू एक अपवाद थे। उन्होंने लगातार 16 वर्षों तक शीर्ष पद पर रहते हुए विदेश मंत्रालय का कार्यभार भी संभाला था। हाल के दशकों में, स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान पांच वर्षों तक विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी निभाई थी। इसके अलावा, सरदार स्वर्ण सिंह को दो बार विदेश मंत्री बनाया गया, लेकिन उनका कार्यकाल अलग-अलग (जुलाई 1964-नवंबर 1966 और जून 1970-अक्टूबर 1974) रहा।
राजग और संप्रग सरकार में विदेश मंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में गठित राजग सरकार के कार्यकाल में और बाद में डॉ. मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली संप्रग सरकार (वर्ष 2004 से वर्ष 2014) के दौरान किसी को भी पूरे कार्यकाल के लिए विदेश मंत्री नहीं बनाया गया था। इस दौरान जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा, नटवर सिंह, प्रणब मुखर्जी, एसएम कृष्णा, सलमान खुर्शीद अलग-अलग समय पर विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी संभालते रहे। इसके अलावा, वाजपेयी और मनमोहन सिंह ने भी विदेश मंत्रालय का अतिरिक्त कार्यभार संभाला था।
जयशंकर का विदेश सेवा का अनुभव
एस जयशंकर देश के पहले ऐसे विदेश मंत्री हैं जिन्होंने विदेश मंत्रालय में एक लंबी सेवा दी है और भारत के विदेश सचिव के तौर पर भी अपनी सेवा दे चुके हैं। अपने पहले कार्यकाल (2019-2024) में उन्होंने भारतीय कूटनीति का एक तेज-तर्रार लेकिन व्यावहारिक चेहरा पेश किया है, जिससे तेजी से बदलती वैश्विक व्यवस्था में भारत के हितों को सही परिप्रेक्ष्य में रखा जा सका है।
अमेरिका और रूस के साथ संबंध
जयशंकर ने एक तरफ अमेरिका को भारत का सबसे करीबी रणनीतिक साझेदार देश के तौर पर स्थापित करने में मदद की, तो दूसरी तरफ अमेरिकी विरोध के बावजूद रूस जैसे पुराने रणनीतिक साझेदार के साथ संबंधों को मजबूत किया है। पिछले दो वर्षों में भारत ने जिस तरह से ग्लोबल साउथ (विकासशील व गरीब देशों) का नेतृत्व करने का दावा वैश्विक मंच पर सफलतापूर्वक पेश किया है, उसका श्रेय भी जयशंकर को जाता है।
द्विपक्षीय मुलाकात
सोमवार को जयशंकर ने पीएम मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचे विदेशी मेहमानों, जैसे बांग्लादेश के पीएम शेख हसीना, नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, भूटान के पीएम शेरिंग तोग्बे और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के साथ द्विपक्षीय मुलाकात की। इन नेताओं की पहले ही पीएम मोदी के साथ संक्षिप्त द्विपक्षीय बैठक हो चुकी थी।
संबंधों को प्रगाढ़ बनाने की बात
जयशंकर ने इन सभी नेताओं को भारत की पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को प्राथमिकता देने की नीति जारी रखने के बारे में बताया। बाद में सोशल मीडिया साइट एक्स पर जयशंकर ने इन सभी देशों के साथ भारत के करीबी संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की बात कही। इस साल के अंत तक पीएम मोदी और जयशंकर की अलग-अलग कुछ पड़ोसी देशों की आधिकारिक यात्रा पर जाने की संभावना है।
जयशंकर के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ ही भारत की विदेश नीति में निरंतरता और स्थिरता की उम्मीद की जा रही है। उनकी कूटनीतिक दक्षता और अनुभव भारत के वैश्विक हितों को सुरक्षित और समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।