धरती के दूजे भगवान के प्रयासों से बच गई खून से लथपथ महिला की जान, मिली वाहवाही

डॉक्टर को यूं ही नहीं धरती के दूजे भगवान की संज्ञा दी जाती है। लोगों को मौत के मुंह से बचा उन्हें नई जीवन देने वाले भगवान की संज्ञा के हकदार होते है। बुधवार को एक बार फिर से अपने इस उपमा को चरितार्थ कर दिखाया है शहर के चर्चित डॉ. विनिश कुमार ने।

धरती के दूजे भगवान के प्रयासों से बच गई खून से लथपथ महिला की जान, मिली वाहवाही

ट्रेन से गिर गंभीर रूप से जख्मी महिला को तत्काल इलाज दे डॉ. विनिश ने बचाई जान, परिजनों ने जताया आभार

केटी न्यूज/डुमरांव

डॉक्टर को यूं ही नहीं धरती के दूजे भगवान की संज्ञा दी जाती है। लोगों को मौत के मुंह से बचा उन्हें नई जीवन देने वाले भगवान की संज्ञा के हकदार होते है। बुधवार को एक बार फिर से अपने इस उपमा को चरितार्थ कर दिखाया है शहर के चर्चित डॉ. विनिश कुमार ने। स्थनीय स्टेशन पर ट्रेन में सवार होने के दौरान उक्त महिला प्लेटफार्म से नीचे गिर गई थी तथा खून से लथपथ हो मौत को गले लगाने ही वाली थी कि संयोग से उसी समय सदर अस्पताल बक्सर के चिकित्सक डॉ. विनीश भी वहां मौजूद थे। वे उसी ट्रेन से बक्सर जा रहे थे।

उन्होंने तत्काल यात्रियों के सहयोग से महिला को उठवा पहले प्लेटफार्म पर ही प्राथमिक इलाज देना शुरू किए। फिर उसकी बिगड़ती स्थिति को देख स्टेशन के पास स्थित एक निजी अस्पताल में ले गए। वहां इलाज देने के दौरान ही उन्होंने एंबुलेंस बुलवा महिला को साथ लेकर अनुमंडलीय अस्पताल पहुंचे। जहां उनके साथ अन्य डॉक्टरों ने तत्परता से इलाज कर महिला को खतरे से बाहर निकाला। तब जाकर उसकी पहचान हो सकी तथा परिजनों को सूचना दी गई। मौके पर पहुंचे परिजनों ने उसे बेहतर इलाज के लिए हायर सेंटर ले जाने से पहले डॉक्टर विनिश को तहे दिल से धन्यवाद दिए। आखिर उनके प्रयासों से ही उक्त महिला की जान बची थी।

मिली जानकारी के अनुसार मलियाबाग निवासी 32 वर्षीय रेशमा खातून अपने गांव से लखनउ जाने के लिए निकली थी। वह दोपहर में श्रमजीवी एक्सप्रेस के एस-2 बोगी में सवार हो रही थी। इसी दौरान पैर फिसलने के कारण वह गिर गई तथा उसे गंभीर चोट लगी। संयोग बढ़िया था कि वह ट्रेन के नीचे नहीं गिरी थी। इसके बाद शुरू हुआ डॉ. विनीश का प्रयास और उन्होंने आखिरकार उस महिला को खतरे से बाहर निकाल उसकी जान बचा ही ली। बता दें कि वे स्वस्थ्य होने के बाद बुधवार को ही अपनी ड्यूटि ज्वाइन करने सदर अस्पताल जा रहे थे।

लेकिन महिला की गंभीर स्थिति को देख वे सरकारी ड्यूटि छोड़ कर्तव्य निर्वहन में जुट गए। उनके इस प्रयास की लोगों ने जमकर सराहना की है तथा मरीजों के प्रति उनकी संजीदगी तो अन्य डॉक्टरों के लिए अनुकरणीय बताया। गौरतलब हो कि डॉ. विनिश कोराना काल में भी मरीजों के बेहतर इलाज व अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहने के लिए काफी सुर्खियां बटोरे थे। उस विषम परिस्थिति में भी उन्होंने खुद के जान की परवाह छोड़ मानवता की जो सेवा की उसे लोग आजतक याद करते है। वही, एक बार फिर से उन्होंने यह साबित कर दिखाया है

कि डॉक्टर को धरती के दूजे भगवान की संज्ञा क्याे दी जाती है। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो यदि उसके इलाज में थोड़ा सा भी विलंब हुआ रहता तो खून अधिक गिरने के चलते उसकी जान भी जा सकती थी। लेकिन उन्होंने बिना एक पल गवांए उसके जख्म पर पट्टी बांध खून गिरने को रोक तथा अन्य जरूरी दवाएं व प्राथमिक इलाज दे उसकी जान बचा लिए।