पेंच में फंसा प्रगति यात्रा के पूर्व स्कूलों में कराए गए सौंदर्यीकरण के भुगतान का मामला

15 फरवरी को प्रगति यात्रा पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बक्सर आने से पूर्व तत्कालीन डीएम अंशुल अग्रवाल के मौखिक आदेश पर जिले के विद्यालयों में जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण का काम कराया गया था, लेकिन अब इसके भुगतान में विभागीय पेंच फंस गया है।

पेंच में फंसा प्रगति यात्रा के पूर्व स्कूलों में कराए गए सौंदर्यीकरण के भुगतान का मामला

- तत्कालीन डीएम के मौखिक आदेश पर कराया गया था सौंदर्यीकरण का काम, जांच के लिए पांच सदस्यीय टीम का हुआ है गठन

केटी न्यूज/बक्सर

15 फरवरी को प्रगति यात्रा पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बक्सर आने से पूर्व तत्कालीन डीएम अंशुल अग्रवाल के मौखिक आदेश पर जिले के विद्यालयों में जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण का काम कराया गया था, लेकिन अब इसके भुगतान में विभागीय पेंच फंस गया है। 

दिलचस्प तो यह है कि खुद शिक्षा विभाग को यह पता नहीं है कि इस दौरान किन-किन विद्यालयों में सौंदर्यीकरण या जीर्णोद्धार का काम कराया गया है। इसके जांच के लिए डीईओ ने पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है, लेकिन इस टीम ने डीईओ से ही इस मामले में स्पष्टीकरण पूछ दिया है। इधर अधिकारियों के खींचतान में विद्यालयों में कराए गए कार्यों का भुगतान लंबित होने से संबंधित संवेदकों की मुश्किलें बढ़ गई है।

यह मामला अब विभागीय स्तर पर गंभीर रूप लेता जा रहा है। कार्य कराने वाले संवेदकों को चार माह बीत जाने के बावजूद उनके कार्य के एवज में भुगतान नहीं मिल सका है, जिससे संवेदकों में नाराजगी है।बता दें कि पूर्व जिलाधिकारी के मौखिक आदेश पर संवेदकों ने विभिन्न विद्यालयों में रंगाई-पुताई, भवन मरम्मत, शौचालय की सफाई, पानी की व्यवस्था, फर्नीचर मरम्मत समेत अन्य कार्य तत्परता से कराया था, ताकी मुख्मंत्री के सामने किसी को शर्मसार नहीं होना पड़े, लेकिन अब विभाग द्वारा उनका भुगतान नहीं किया जा रहा है। 

इस मामले में डीईओ अमरेंद्र पांडेय ने करी तीन माह बाद एक पांच सदस्यीय तकनीकी कमिटी का गठन किया है, जो कार्यों के मूल्यांकन के बाद ही भुगतान की सिफारिश करेगी। कमिटी का नेतृत्व समग्र शिक्षा के डीपीओ शारिक अशरफ कर रहे हैं। कमिटी में चार अभियंताओं को भी शामिल किया गया है, जो भौतिक निरीक्षण के साथ-साथ प्राक्कलन और कार्यों की वस्तुस्थिति का आकलन करेंगे।

हालांकि, गठित कमिटी ने कार्य प्रारंभ करने से पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी से ही पूछा है कि उनके द्वारा जारी पत्र में यह स्पष्ट नहीं है कि किन-किन विद्यालयों में कार्य कराए गए हैं और किन-किन कार्यों की जांच अपेक्षित है। इस स्थिति में बिना सूची के मूल्यांकन संभव नहीं हो पा रहा है। कमिटी ने सूची उपलब्ध कराने की मांग की है, ताकि निरीक्षण कार्य शुरू किया जा सकें।

इधर विभागीय सूत्रों की माने तो इस सूची को उपलब्ध कराना विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता हैं। वहीं, संवेदकों को अपने भुगतान के लिए और इंतजार करना पड़ेगा।