धान की फसल की कटाई नहीं, रबी बुआई का समय निकलता जा रहा, खेतों में पानी और किसानों की बढ़ी चिंता

जिला समेत प्रखंड में इस वर्ष लगातार बारिश और खेतों में पानी जमाव के कारण धान की फसल की कटाई गंभीर संकट में पड़ गई है। खेतों में अब भी पानी भरा होने से कटाई मशीनों का प्रवेश संभव नहीं हो पा रहा है, जबकि हाथ से कटाई करना किसानों के लिए समय, श्रम और लागत तीनों ही दृष्टि से बेहद कठिन साबित हो रहा है। वहीं दूसरी ओर रबी मौसम की बुआई का उपयुक्त समय तेजी से निकलता जा रहा है, जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है।

धान की फसल की कटाई नहीं, रबी बुआई का समय निकलता जा रहा, खेतों में पानी और किसानों की बढ़ी चिंता

केटी न्यूज/बक्सर 

जिला समेत प्रखंड में इस वर्ष लगातार बारिश और खेतों में पानी जमाव के कारण धान की फसल की कटाई गंभीर संकट में पड़ गई है। खेतों में अब भी पानी भरा होने से कटाई मशीनों का प्रवेश संभव नहीं हो पा रहा है, जबकि हाथ से कटाई करना किसानों के लिए समय, श्रम और लागत तीनों ही दृष्टि से बेहद कठिन साबित हो रहा है। वहीं दूसरी ओर रबी मौसम की बुआई का उपयुक्त समय तेजी से निकलता जा रहा है, जिससे किसानों की चिंता और बढ़ गई है।

किसानों का कहना है कि धान की फसल तैयार होने के बावजूद खेतों में पानी भरा है। कई जगहों पर जलजमाव इतना अधिक है कि फसल कटने के बजाय सड़ने लगी है। सबसे अधिक परेशानी उन किसानों को हो रही है जिनकी फसल मैंथा और निचले भूभाग वाले इलाकों में है। यहां खेतों में जमा पानी निकालने के लिए किसान पम्पिंग सेट का सहारा ले रहे हैं, जिससे डीजल, किराया और संचालन की लागत और बढ़ गई है।

ग्राम पंचायतों के किसानों ने बताया कि जहां खरीफ की फसल अब तक घर नहीं पहुंची, वहीं रबी फसल की बुवाई की उम्मीद भी धुंधली होती जा रही है। गेहूं, चना, मसूर और मटर की बुआई के लिए नवंबर का अंतिम सप्ताह और दिसंबर का शुरुआती समय अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन मौजूदा हालात से खेत तैयार नहीं हो पा रहे हैं। किसानों ने आशंका जताई है कि यदि अगले एक सप्ताह में खेतों की स्थिति सामान्य नहीं हुई तो रबी की बुआई पर सीधा प्रभाव पड़ेगा, जिससे सालभर की आमदनी पर गहरा असर होगा।

किसानों ने कृषि विभाग और प्रशासन से मांग की है कि खेतों से पानी की निकासी, जल निकास नालों की सफाई, तथा प्रभावित किसानों के लिए राहत और अनुदान पर तत्काल पहल की जाए। उनका कहना है कि मौसम, लागत और समय, तीनों के दबाव में खेती करना लगातार जोखिमपूर्ण होता जा रहा है और यदि स्थिति ऐसी ही रही तो खेती छोड़ने की नौबत आ जाएगी।कृषि विशेषज्ञों ने भी माना है कि देर से कटाई और बुआई दोनों से उत्पादन में भारी गिरावट की संभावना है। जिले में बड़ी संख्या में किसान इस संकट से जूझ रहे हैं और समाधान की प्रतीक्षा कर रहे हैं।