विधिक जागरूकता शिविर में दी गई ट्रांसजेंडरों को उनके अधिकारों की जानकारी
प्रखंड के लाखनडिहरा पंचायत में शुक्रवार को विधिक जागरूकता शिविर को आयोजन किया गया। इस विधिक जागरूकता शिविर में ट्रांस जेंडरों को उनके अधिकारों, एकीकरण व पुनर्वास की विस्तार से जानकारी दी गई। यह शिविर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर के तत्वावधान में आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष हर्षित सिंह और अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल की प्रमुख भूमिका रही। कार्यक्रम में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव और पीएलवी अनिशा भारती ने ग्रामीणों एवं ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को उनके संवैधानिक अधिकारों, कानूनी सुरक्षा और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी।

- लाखनडिहरा पंचायत में आयोजित हुआ था विधिक जागरूकता शिविर
केटी न्यूज/बक्सर
प्रखंड के लाखनडिहरा पंचायत में शुक्रवार को विधिक जागरूकता शिविर को आयोजन किया गया। इस विधिक जागरूकता शिविर में ट्रांस जेंडरों को उनके अधिकारों, एकीकरण व पुनर्वास की विस्तार से जानकारी दी गई। यह शिविर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर के तत्वावधान में आयोजित किया गया था, जिसमें प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष हर्षित सिंह और अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल की प्रमुख भूमिका रही। कार्यक्रम में पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव और पीएलवी अनिशा भारती ने ग्रामीणों एवं ट्रांसजेंडर समुदाय के सदस्यों को उनके संवैधानिक अधिकारों, कानूनी सुरक्षा और सरकारी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि समाज में आज भी ट्रांसजेंडरों को उपेक्षा, भेदभाव और हिंसा का सामना करना पड़ता है, जिससे वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मूलभूत अधिकारों से वंचित रह जाते हैं।
शिविर के दौरान अधिवक्ता मनोज ने बताया कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में लगभग 4.88 लाख ट्रांसजेंडर हैं, जिनकी साक्षरता दर मात्र 56.07 प्रतिशत है। इस समुदाय को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सशक्त प्रयासों की आवश्यकता है। शिविर में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 15 अप्रैल 2014 को दिए गए ऐतिहासिक नालसा जजमेंट का उल्लेख किया गया, जिसमें ट्रांसजेंडरों को तीसरे लिंग के रूप में मान्यता दी गई और उन्हें समान संवैधानिक अधिकार दिए गए। इस फैसले के बाद ट्रांसजेंडरों के साथ होने वाले भेदभाव, हिंसा और जबरन मजदूरी को अपराध घोषित किया गया है। शिविर के दौरान यह भी सामने आया कि ट्रांसजेंडरों को स्वास्थ्य सेवाओं और रोजगार के अवसरों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
शिविर में उपस्थित पंचायत प्रतिनिधियो में मुखिया मुखलाल महतो, उप मुखिया रम्भा देवी और ऋषिकेश दुबे ने ट्रांसजेंडरों के सामाजिक पुनर्वास और सम्मानजनक जीवन के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता बताई। परिवारों द्वारा अस्वीकार किए जाने की समस्या पर भी चर्चा हुई। कई ट्रांसजेंडर बच्चों को उनके माता-पिता छोटी उम्र में ही घर से निकाल देते हैं, जिससे उनका बचपन असुरक्षित हो जाता है। इस मौके पर समाज से मानसिकता बदलने और ट्रांसजेंडर समुदाय को मुख्यधारा में शामिल करने की अपील की। यह जागरूकता शिविर न सिर्फ ट्रांसजेंडर समुदाय को उनके अधिकारों से अवगत कराने में सहायक रहा, बल्कि समाज को समानता और गरिमा के मूल्यों की भी याद दिलाता है।