"जब प्यार किया तो डरना क्या" गाने में लगे थे 10 करोड़

इस फ‍िल्‍म को रिलीज हुए 63 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी जब टीवी पर इसका प्रसारण होता है तो लोग मंत्रमुग्‍ध हो जाते हैं।

"जब प्यार किया तो डरना क्या" गाने में लगे थे 10 करोड़
Mughal-e-Azam

केटी न्यूज़/दिल्ली

हिंदी सिनेमा 110 साल से अधिक पुराना हो चुका है। इस लंबे समय में जब भी बेस्ट फ‍िल्‍मों की बात आती है तो मुगल-ए-आजम का नाम टॉप पर होता है। इस फ‍िल्‍म को रिलीज हुए 63 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी जब टीवी पर इसका प्रसारण होता है तो लोग मंत्रमुग्‍ध हो जाते हैं। यह फ‍िल्‍म कई मायने में खास थी। सितारों की अदाकारी से लेकर सेट तक, सब कुछ एक दम परफेक्‍ट था। डायरेक्‍टर के आस‍िफ ने'मुगल-ए-आजम' मुगल बादशाह मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर के बेटे सलीम और अनारकली की प्रेम कहानी पर बनाई थी

हिंदी सिनेमा की सबसे पहली शानदार और महंगी फिल्म बनाने वाले करीमुद्दीन आसिफ यानी की के.आसिफ ने उस जमाने में अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था।ये फ़िल्म थी आईकोनिक फ़िल्म मुगले-ए-आज़म। 'मुगल-ए-आजम' को बनाने में 14 साल लग गए और इस फिल्म की लागत तकरीबन 1.5 करोड़ बताई जाती है जो उस समय के हिसाब से बहुत ही ज्यादा थी।'मुगल-ए-आजम' फिल्म है 1960 में रिलीज हुई थी। यह फिल्म हिन्दी सिनेमा इतिहास की सफलतम फिल्मों में से एक है। के आसिफ के शानदार निर्देशन, भव्य सेटों, बेहतरीन संगीत के लिये आज भी याद किया जाता है।

के आसिफ के कुशल निर्देशन में बनी फिल्म मुगल-ए-आजम के सेटअप पर उस जमाने में करोड़ो खर्च किए गए थे। कहा जाता है कि भारी बजट खर्च करने की वजह से डायरेक्टर की आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ गयी थी। जिससे वे तनाव में रहने लगे थे। अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए भी उन्हें लोगों से उधार मांगना पड़ता था। इस फिल्म में जितने कपड़े पहने गए हैं उन्हें दिल्ली में सिला जाता था और सूरत में इन कपड़ों पर नक्काशी की जाती थी। ज्वेलरी हैदराबाद से बनाई जाती थी , वहीं मुकुम कोल्हापुर में बनते थे। इसके अलावा हथियार राजस्थान में और जूते आगरा में बनते थे। सिर्फ इतना ही नहीं इस फिल्म में 2000 ऊंटों, 4000 घोड़ों का उपयोग किया गया था। केवल इन्हीं ऊंटों और घोड़ों पर करीब 1.5 करोड़ थी।इस फ़िल्म का फेमस गाना जब प्यार किया तो डरना क्या को 105 बार लिखने के बाद फाइनल किया गया था। इतना ही नहीं कहा जाता है कि इस गाने को बनाने में करीब 10 करोड़ रूपये लगे थे।

हिंदी सिनेमा की सबसे आइकोनिक फिल्म को बनने में करीब 16 साल लग गए थे। यह फिल्म 1944 में बननी शुरू हुई थी और 1960 में रिलीज हुई थी। ऐसा इसलिए क्योंकि 1947 में भारत का बंटवारा हो गया था। इसके बाद देश के हालात काफी बदल गए थे और इसी का असर के.आसिफ की फिल्म पर भी पड़ा। इसी के बीच कई बार इस फिल्म की कास्ट भी बदल गई, जो कि फिल्म की देरी का अहम मुद्दा था।