डुमरांव में 77 सीसीटीवी कैमरे बंद, सुरक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल, अपराध अनुसंधान में पुलिस परेशान

डुमरांव शहर में अपराध नियंत्रण और निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे अब सवालों के घेरे में हैं। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर लगाए गए कुल 107 कैमरों में से 77 कैमरे बंद पाए गए हैं। थानाध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार को भौतिक सत्यापन कर इसकी पुष्टि की और नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र लिखकर जल्द मरम्मत कराने का आग्रह किया। सवाल यह उठ रहा है कि जब सुरक्षा की रीढ़ माने जाने वाले कैमरे ही ठप पड़ गए हैं तो अपराध नियंत्रण कैसे होगा।

डुमरांव में 77 सीसीटीवी कैमरे बंद, सुरक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल, अपराध अनुसंधान में पुलिस परेशान

-- एक साथ 77 कैमरे खराब होने से गुणवत्ता पर भी उठ रहे है सवाल, नगर परिषद ने लाखों रूपए खर्च कर लगाए है कैमरे

केटी न्यूज/डुमरांव

डुमरांव शहर में अपराध नियंत्रण और निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर लगाए गए सीसीटीवी कैमरे अब सवालों के घेरे में हैं। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर लगाए गए कुल 107 कैमरों में से 77 कैमरे बंद पाए गए हैं। थानाध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा ने मंगलवार को भौतिक सत्यापन कर इसकी पुष्टि की और नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र लिखकर जल्द मरम्मत कराने का आग्रह किया। सवाल यह उठ रहा है कि जब सुरक्षा की रीढ़ माने जाने वाले कैमरे ही ठप पड़ गए हैं तो अपराध नियंत्रण कैसे होगा।

बता दें कि डुमरांव थाना क्षेत्र में लगी आधुनिक तकनीक की यह व्यवस्था फिलहाल आईसीयू में पड़ी है। थानाध्यक्ष के मुताबिक, बंद पड़े कैमरे न केवल अनुसंधान में बाधा बन रहे हैं बल्कि अपराधियों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। हालात यह हैं कि हाल में हुई कई आपराधिक घटनाओं की जांच में पुलिस को सीसीटीवी फुटेज की आवश्यकता पड़ी, लेकिन बंद कैमरों ने पूरी पड़ताल को अधूरा कर दिया।

नया भोजपुर थाना क्षेत्र में स्थिति और भी चिंताजनक है। प्रभारी थानाध्यक्ष सुमन कुमार ने बताया कि दर्जनों कैमरों में केवल एक कैमरा ही चालू मिला। बाकी कैमरे चाहे स्टेशन रोड हों, महाराजा कोठी रोड या पुराना भोजपुर, सब जगह शो-पीस बने पड़े हैं। अपराधियों की आंखें खुली हैं लेकिन कैमरों की आंखें बंद हो गई है।

-- पुलिस की मजबूरी, पत्र लिख कर मांगनी पड़ रही मदद

थानाध्यक्ष संजय कुमार सिन्हा ने नगर परिषद को लिखे पत्र में साफ कहा है कि बंद पड़े कैमरे आपराधिक घटनाओं की जांच में गंभीर बाधा बन रहे हैं। जबकि नगर प्रशासन का दावा रहा है कि सीसीटीवी कैमरों की मदद से अपराधियों पर अंकुश लगाया जाएगा। अब सवाल उठ रहा है कि करोड़ों की लागत से लगाया गया यह सिस्टम अगर पुलिस को अपराधियों तक पहुंचाने में विफल है, तो जनता का पैसा आखिर किस काम आया।

-- कैमरों की गुणवत्ता और निगरानी पर भी सवाल

विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ कैमरे लगाना ही काफी नहीं है, बल्कि उनकी नियमित देखभाल और तकनीकी अपडेट भी जरूरी है। नगर परिषद द्वारा लगाए गए कैमरे कई बार अपराधियों को पकड़ने में सहायक साबित हुए हैं। कई बड़े कांडों में इनकी फुटेज से पुलिस को अहम सुराग मिले हैं। लेकिन अब अचानक इतनी बड़ी संख्या में कैमरों का ठप हो जाना न केवल तकनीकी खामी का मामला है, बल्कि यह नगर परिषद की कार्यशैली और गुणवत्ता पर भी गहरे सवाल खड़े करता है।

वहीं, लोगों का कहना है कि नगर परिषद कैमरों का इस्तेमाल महज अपनी उपलब्धि गिनाने के लिए कर रही है, जबकि वास्तविक निगरानी की स्थिति दयनीय है। कैमरों के रखरखाव पर खर्च तो दिखाया जा रहा है लेकिन उनकी उपयोगिता पर कोई ठोस व्यवस्था नहीं है।

-- नगर परिषद का दावा, दुर्गा पूजा से पहले सब दुरुस्त

कैमरों की खामियों को लेकर नगर परिषद भी दबाव में आ गया है। सिटी मैनेजर स्तुति कुमारी ने कहा कि सभी बंद पड़े कैमरों को जल्द दुरुस्त कराया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि दुर्गा पूजा से पहले तकनीकी खामियों को ठीक कर दिया जाएगा और सभी कैमरे चालू कर दिए जाएंगे।

-- जनता की अपेक्षा, निगरानी व्यवस्था हो प्रभावी

डुमरांव और नया भोजपुर के लोग चाहते हैं कि कैमरे केवल ओहदेदारों की उपलब्धि बनकर न रह जाएं। अपराधियों पर नकेल कसने और जनता को सुरक्षित माहौल देने में इनकी असली भूमिका दिखनी चाहिए। सीसीटीवी व्यवस्था तभी सार्थक होगी जब वह अपराध अनुसंधान में लगातार सहायक बने और किसी घटना के बाद उसकी फुटेज पुलिस के लिए निर्णायक साबित हो।

फिलहाल डुमरांव की हकीकत यही है कि नगर प्रशासन की लचर व्यवस्था ने पुलिसिया जांच को कमजोर किया है। अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और पुलिस जांच के लिए ठोस सबूत से वंचित है। ऐसे में जनता का सवाल बिल्कुल जायज है कि करोड़ों खर्च कर लगाए गए कैमरे अगर वक्त पर काम न आएं तो फिर उनका मकसद ही क्या है।