मलेशिया में फंसे धर्मेन्द्र की वतन वापसी के लिए मांगा जा रहा है मोटी रकम, परिजन चिंतित

मलेशिया में फंसे धर्मेन्द्र की वतन वापसी के लिए मांगा जा रहा है मोटी रकम, परिजन चिंतित

- बूढ़े मां बाप के साथ ही मासूम बच्चें भी देख रहे है पिता की राह

- 15 अक्टूबर को मलेशिया गया था धर्मेन्द्र

केटी न्यूज/डुमरांव

मलेशिया में बिहार व यूपी के करीब दो दर्जन मजदूरों के साथ फंसे डुमरांव के महरौरा निवासी धर्मेन्द्र राम का पूरा परिवार सदमें में है। कहा तो वह परिवार की माली हालत सुधारने तथा अपने बच्चों के बेहतर परवरिश का ख्वाब लिए हजारों किलोमीटर दूर मलेशिया गया था। इसके लिए उसके एजेंट ने एक लाख रूपए भी लिए थे तथा वहा अच्छी नौकरी व मोटी पगार मिलने का लालच दिया था। लेकिन वहा जाने के बाद धर्मेन्द्र से जबरन जूठे बर्तन धुलवाने तथा शौचालय की सफाई जैसे काम करवाए जाने लगे। जब उसने ऐसा करने से मना किया तो उसे मारा पीटा गया और निर्वस्त्र कर दिया गया। किसी तरह वह अन्य मजदूरों के साथ भागकर मलेशिया में ही रहने वाले ब्रह्मपुर इलाके के मनौव्वर आलम के यहा शरण लिया है। धर्मेन्द्र ने फोन पर परिजनों से आपबीती सुनाई तो परिजन भी चिंतित हो उठे है। नयें साल के पहले दिन केशव टाईम्स की टीम महरौरा पहुंच धर्मेन्द्र के पीड़ित परिजनों से मुलाकात किया। इस दौरान परिजनों ने मलेशिया में धर्मेन्द्र पर ठाए गए सितम तथा एजेंट की करतूतों का पूरा चिट्ठा ही खोल दिया। उसके पिता प्रतापचंद राम, माता पनवा देवी पत्नी गुड़िया देवी के साथ ही 9 वर्षीय रोहित, 8 वर्षीय रंजीत तथा 4 वर्षीय रौनक भी अपने पिता की बांट जो रहे है। रंजीत को गए साढ़े तीन महीने हो गए। इस दौरान वहा से पैसा भेजने की बात तो दूर उसे खाने के भी लाले पड़े है। धर्मेन्द्र की वापसी निश्चित नहीं होने से परिवार की चिंता बढ़ते ही जा रही है। 

काम नहीं मिलने से पेट पालना भी मुश्किल

धर्मेन्द्र की पत्नी गुड़िया ने बताया कि पहले भी वह दो बार खाड़ी देशों में काम करने गए थे। पहली बार दो वर्षों के लिए ओमान में जबकि दूसरी बार एक वर्ष के लिए कतर में रहे थे। तब उन्हें काम और पैसा भी अच्छा मिला था। इसी को देखते हुए वे तीसरी बार 15 अक्टूबर 2022 को मलेशिया गए थे। एजेंट ने उनसे एक लाख रूपए भी लिए थे और बताया था कि भारतीय मुद्रा में 40 हजार रूपए प्रतिमाह मिलेगा। लेकिन वहा जाने के बाद एजेंट के बताए मुताबिक काम नहीं मिला। बल्कि धर्मेन्द्र समेत बिहार व यूपी के दो दर्जन युवकों से कभी सिमेंट फैक्ट्री में काम करवाया गया तो कभी होटल में जूठे बर्तन साफ करवाए गए। यही नहीं हद तो ये हो गई कि उनसे शौचालय तक साफ करवाया जाने लगा। जिसका विरोध करने पर मारा पीटा गया और पासपोर्ट तथा वीजा छिन लिया गया है। अब वहा से घर आने के लिए फिर से पैसे की डिमांड की जा रही है। धर्मेन्द्र की मां पनवा देवी की मानें तो एजेंट उससे 80 हजार रूपए की डिमांड कर रहे है। पैसा देने के बाद ही उसे वहा से भेजा जाएगा। गरीब परिवार के पास न तो इतना पैसा है और न ही उन्हें यह पता है कि इसकी शिकायत कहा दर्ज कराया जाए। थक हारकर अब पूरा परिवार मीडिया से उम्मीद लगाए बैठा है। 

इंप्लायमेंट की जगह टूरिस्ट वीजा दे भेजा गया है विदेश

धर्मेन्द्र को विदेश भेजने वाले एजेंट ने उसके साथ बड़ा धोखा किया है। उसे विदेश भेजने के नाम पर मोटी रकम लेने के बाद इंप्लायमेंट वीजा की जगह टूरिस्ट वीजा थमाया गया है। इस कारण भी उसे वहा काम मिलने में मुश्किलें हो रही है। पिता प्रतापचंद ने बताया कि एजेंट ने बताया था कि वहा जाने के बाद एक सप्ताह में इस वीजा को इंप्लायमेंट वीजा में कनर्वट करा दिया जाएगा। लेकिन महीनों बाद भी ऐसा नहीं हो सका है। जिस कारण अब उसकी घर वापसी भी मुश्किल लग रही है। 

गलत तरीके से विदेश भेजने वालों पर नहीं होती है कार्रवाई

यह पहला मामला नहीं है जब विदेश में जाकर स्थानीय मजदूर फंसे है। बल्कि जानकारों कील मानें तो भोले भाले ग्रामीण मजदूरों को विदेश में अच्छी नौकरी व मोटा तनख्वाह का लालच दे विदेश भेजने वाले गिरोह का एक मजबूत नेटवर्क है। जो स्थानीय स्तर से लेकर महानगरों तक फैला हुआ है। ऐसे लोग पासपोर्ट व वीजा बनवाने के साथ ही वहा की कंपनियों से टाइअप होने की बात भी कहते है। लेकिन वहां जाने पर पता चलता है कि एजेंट के बताए अनुसार न तो वहा नौकरी मिलती है और न ही पैसा। इसके पहले भी जिले में कई ऐसे मामले सामने आ चुके है। बावजूद प्रशासन गलत तरीके से विदेश भेजने वालों पर ठोस कार्रवाई नहीं करती है। जिसका खामियाजा गरीब मजदूरों को भुगतना पड़ रहा है।