शौर्य की मिसाल बने चौसा के वीर पुत्र राजेश चौबे को दी गई अश्रुपूरित विदाई

चौसा नगर पंचायत के नारायणपुर गांव में बुधवार को तिरंगे में लिपटा वीर सपूत, सीआरपीएफ जवान राजेश चौबे (35) जब अपने गांव पहुंचा, तो पूरा माहौल गमगीन हो उठा। लेकिन साथ ही हर चेहरे पर बेटे की शहादत पर गर्व भी झलक रहा था। इस दौरान नम आंखों से लोगों ने वीर राजेश अमर रहे के नारे लगाए, जबकि अंतिम संस्कार के पहले साथी जवानों ने गॉर्ड ऑफ ऑनर दे अपने साथी को अंतिम विदाई दी।

शौर्य की मिसाल बने चौसा के वीर पुत्र राजेश चौबे को दी गई अश्रुपूरित विदाई

-- नारायणपुर गांव में उमड़ा जनसैलाब, सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

केटी न्यूज/चौसा

चौसा नगर पंचायत के नारायणपुर गांव में बुधवार को तिरंगे में लिपटा वीर सपूत, सीआरपीएफ जवान राजेश चौबे (35) जब अपने गांव पहुंचा, तो पूरा माहौल गमगीन हो उठा। लेकिन साथ ही हर चेहरे पर बेटे की शहादत पर गर्व भी झलक रहा था। इस दौरान नम आंखों से लोगों ने वीर राजेश अमर रहे के नारे लगाए, जबकि अंतिम संस्कार के पहले साथी जवानों ने गॉर्ड ऑफ ऑनर दे अपने साथी को अंतिम विदाई दी।

शव जैसे ही घर के आंगन में पहुंचा, रोने-बिलखने की आवाज़ गूंज उठी। मां पूनम देवी और पत्नी ब्यूटी चौबे बार-बार बेसुध हो जा रही थीं। मासूम बेटियां कृतिका (4) और इशिका (2), अभी इतनी छोटी हैं कि पिता के खोने का दर्द समझ नहीं पा रहीं, लेकिन उनके भोले सवाल और मासूमियत देख कर हर किसी की आंखें छलक पड़ीं।

-- भारत माता की जय” से गूंजा गांव

गांव की संकरी गलियों में लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं सभी अपने प्रिय बेटे को अंतिम विदाई देने पहुंचे। रास्ते भर “भारत माता की जय” और “शहीद राजेश अमर रहें” के नारों से वातावरण गुंजायमान हो उठा। मानो हर गली, हर कोना उनकी शौर्य गाथा सुना रहा हो। राजेश चौबे की अंतिम यात्रा जनसमुदाय का ऐसा दृश्य थी, जिसे देखकर हर किसी के मन में देशभक्ति का ज्वार उमड़ आया। ग्रामीणों ने कहा  कि आज नारायणपुर ने अपना सच्चा लाल खो दिया है। राजेश का बलिदान गांव ही नहीं, पूरे बक्सर जिले के लिए गर्व की बात है।

-- छोटे भाई ने दी मुखाग्नि

चौसा श्मशान घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। सीआरपीएफ के जवानों ने सलामी देकर शहीद को अंतिम विदाई दी। छोटे भाई मुकेश चौबे ने नम आंखों से अपने बड़े भाई को मुखाग्नि दी। उस क्षण वहां मौजूद हर व्यक्ति स्तब्ध और भावुक था।

-- बचपन से ही जिम्मेदार और देशभक्त थे राजेश

गांववालों ने बताया कि राजेश बचपन से ही जिम्मेदार और दूसरों की मदद करने वाले थे। स्कूली दिनों से ही उनमें अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की झलक दिखती थी। नौकरी में भर्ती होने के बाद भी जब वे गांव आते, तो हमेशा परिवार और समाज के लिए समय निकालते थे। उनकी वीरगति प्राप्त करने से पूरा क्षेत्र शोकाकुल है। ग्रामीणों का कहना है कि देशसेवा राजेश का सपना था, उसका मानना था कि देश की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। आज उनकी शहादत ने इस विचार को साकार कर दिया।

-- गर्व और ग़म का संगम

राजेश की विदाई ने जहां गांव को अश्रुपूरित कर दिया, वहीं उनकी शहादत ने हर किसी के मन में गर्व का अहसास भी जगाया। अब नारायणपुर गांव का हर बच्चा यह कह सकता है कि उसने अपने बीच से एक सच्चा वीर देखा है, जो देश की मिट्टी पर कुर्बान हो गया।