मौसम की मार के बीच किसानों को मिला मार्गदर्शन, रबी गोष्ठी में वैज्ञानिक खेती पर जोर
प्रखंड मुख्यालय स्थित ई-किसान भवन के प्रांगण में शनिवार को आयोजित रबी किसान गोष्ठी केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि मौसम की अनिश्चितता से जूझ रहे किसानों के लिए दिशा तय करने का मंच बनकर उभरी। गोष्ठी में खेती को घाटे से उबारने और उत्पादन बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक व व्यावहारिक उपायों पर खुलकर चर्चा हुई।
केटी न्यूज/राजपुर
प्रखंड मुख्यालय स्थित ई-किसान भवन के प्रांगण में शनिवार को आयोजित रबी किसान गोष्ठी केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि मौसम की अनिश्चितता से जूझ रहे किसानों के लिए दिशा तय करने का मंच बनकर उभरी। गोष्ठी में खेती को घाटे से उबारने और उत्पादन बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक व व्यावहारिक उपायों पर खुलकर चर्चा हुई।कार्यक्रम का उद्घाटन बीस सूत्री अध्यक्ष फुटूचन्द सिंह एवं बीडीसी अलीशेर शाह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। अध्यक्षता कृषि समन्वयक रामनिवास यादव ने की, जबकि संचालन एटीएम योगेश मिश्रा ने किया।

बीस सूत्री अध्यक्ष फुटूचन्द सिंह ने साफ शब्दों में कहा कि इस वर्ष समय पर बीज वितरण हुआ है, लेकिन मौसम की मार ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खासकर दलहन फसलों की पैदावार पर खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने किसानों से मौसम के अनुकूल खेती अपनाने और हिम्मत न हारने की अपील की।कृषि समन्वयक संजय कुमार सिंह ने सरकार की योजनाओं को रेखांकित करते हुए बताया कि बड़े और छोटे कृषि यंत्र किसानों को ऑनलाइन आवेदन और लॉटरी प्रक्रिया के जरिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी समस्या पर किसान सीधे विभाग से संपर्क कर सकते हैं।गोष्ठी में पराली जलाने पर विशेष चेतावनी दी गई।

कृषि समन्वयक धनंजय राय ने बताया कि पराली जलाने से मिट्टी के आवश्यक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे उपज घटती है। उन्होंने बीजोपचार, जैविक विधि, राइजोबियम कल्चर के उपयोग और रासायनिक दवाओं से बचने की सलाह दी। वहीं दिलीप कुमार ने गेहूं में खरपतवार नियंत्रण के लिए सही समय और दवाओं की जानकारी दी।गोष्ठी में बड़ी संख्या में किसानों की उपस्थिति यह दर्शाती है कि बदलते मौसम में अब किसान परंपरागत नहीं, बल्कि वैज्ञानिक खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। यह आयोजन किसानों के लिए सिर्फ जानकारी नहीं, बल्कि संकट के समय संबल बनकर सामने आया।
