लाखनडिहरा में बालविवाह के खिलाफ जगी अलख, ग्रामीणों ने ली ‘बालविवाह न करने’ की शपथ
बालविवाह जैसी सामाजिक कुरीति को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से “बालविवाह मुक्त भारत” 100 दिवसीय अभियान के तहत डुमरांव प्रखंड के लाखनडिहरा ग्राम में एक विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में ग्रामीणों, महिलाओं और बच्चों को बालविवाह के दुष्परिणामों के साथ-साथ इससे जुड़े कानून और अधिकारों की विस्तार से जानकारी दी गई।
-- 100 दिवसीय अभियान के तहत विधिक सेवा प्राधिकार की पहल, बच्चों और अभिभावकों को बताया गया कानून और अधिकार
केटी न्यूज/डुमरांव
बालविवाह जैसी सामाजिक कुरीति को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से “बालविवाह मुक्त भारत” 100 दिवसीय अभियान के तहत डुमरांव प्रखंड के लाखनडिहरा ग्राम में एक विशेष जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में ग्रामीणों, महिलाओं और बच्चों को बालविवाह के दुष्परिणामों के साथ-साथ इससे जुड़े कानून और अधिकारों की विस्तार से जानकारी दी गई।कार्यक्रम जिला विधिक सेवा प्राधिकार, बक्सर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष काजल झाब एवं अवर न्यायाधीश सह सचिव नेहा दयाल के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।

शिविर का संचालन पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव एवं पीएलवी अनिशा भारती ने किया।पैनल अधिवक्ता मनोज कुमार श्रीवास्तव ने सरल और प्रभावी शब्दों में बालविवाह को समाज के लिए “दीमक” बताते हुए कहा कि यह एक स्वस्थ समाज को भीतर ही भीतर कमजोर कर देता है। उन्होंने कहा कि बालविवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 इसी कुरीति को समाप्त करने के लिए बनाया गया है। कम उम्र में विवाह न केवल बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को रोकता है, बल्कि उनके सपनों और भविष्य को भी अंधकार में धकेल देता है।

उन्होंने यह भी बताया कि बालविवाह से शिक्षा बाधित होती है, गरीबी और असमानता बढ़ती है तथा घरेलू हिंसा जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं। ऐसे में एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हर व्यक्ति का दायित्व है कि वह बालविवाह रोकने में सक्रिय भूमिका निभाए।शिविर में “बालविवाह मुक्त भारत पोर्टल” की जानकारी देते हुए बताया गया कि यह एक ऑनलाइन मंच है, जहां कोई भी नागरिक बालविवाह की शिकायत दर्ज कर सकता है और अपने क्षेत्र के बालविवाह निषेध अधिकारियों की जानकारी प्राप्त कर सकता है।

साथ ही 181, 1098 और 100 जैसे हेल्पलाइन नंबरों की भी जानकारी दी गई।कानून के अनुसार लड़कों के लिए न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित है। इससे पहले विवाह करना या कराना दंडनीय अपराध है, जिसके लिए सख्त कार्रवाई का प्रावधान है।कार्यक्रम के अंत में ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से बालविवाह न करने और न होने देने की शपथ ली। शिविर ने गांव में एक सकारात्मक संदेश छोड़ा कि जागरूकता से ही बालविवाह मुक्त समाज का सपना साकार हो सकता है।
