बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2024 शिक्षकों को लाभ देने के बदले सजा देने के लिए बनायी गई है

शिक्षक संघ डुमरांव के मीडिया प्रभारी उपेन्द्र पाठक ने नई बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2024 को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर किया है। उन्होंने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि नई नियमावली में शिक्षकों के सेवा संहिता में सुधार जैसे कि सेवा निरंतरता, समस्थानिक इंडेक्स में वेतन निर्धारण, ऐच्छिक स्थानांतरण, ग्रेच्युटी, ग्रूप बीमा, सेवांत लाभ, पूर्व की सेवा पर प्रोन्नति इत्यादि लाभप्रद प्रावधानों का कहीं कोई उल्लेख नहीं है।

बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2024 शिक्षकों को लाभ देने के बदले सजा देने के लिए बनायी गई है

- शिक्षकों को अपराधी समझ रही है सरकार 

केटी न्यूज/डुमरांव

शिक्षक संघ डुमरांव के मीडिया प्रभारी उपेन्द्र पाठक ने नई बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2024 को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर किया है। उन्होंने प्रेस बयान जारी कर कहा है कि नई नियमावली में शिक्षकों के सेवा संहिता में सुधार जैसे कि सेवा निरंतरता, समस्थानिक इंडेक्स में वेतन निर्धारण, ऐच्छिक स्थानांतरण, ग्रेच्युटी, ग्रूप बीमा, सेवांत लाभ, पूर्व की सेवा पर प्रोन्नति इत्यादि लाभप्रद प्रावधानों का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। जबकि 12 पृष्ठों की नियमावली में 10 पृष्ठों में सिर्फ शिक्षकों को सजा देने के प्रावधानों का ही उल्लेख किया गया है। 

वरीय शिक्षक नेता संजय सिंह ने कहा कि यह सेवा शर्त नियमावली के बदले दंडात्मक कारवाई नियमावली प्रतीत हो रही है। चालू महीने में लाखों शिक्षकों ने स्थानांतरण के लिए ऑनलाइन अप्लाई किये हैं, परन्तु स्थानांतरण का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है। स्थानांतरण स्पष्ट उल्लेख नहीं होने के कारण जिन सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण शिक्षकों ने स्थानांतरण के लिए अप्लाई किये है, इस नियमावली के प्रकाशित होते ही वे सभी निराश हो गये हैं। उन्हें लगता है कि कहीं उनका स्थानांतरण अब कानूनी पेंच में न फंस जाए। 

वहीं शिक्षक नेता पूर्णानंद मिश्र ने कहा कि विशिष्ट शिक्षकों की सेवा संपुष्टि के लिए समय सीमा निश्चित ही नहीं की गई है। ऐसे में सेवा संपुष्टि को अधर में लटक दिया गया है। इससे शिक्षकों को भारी क्षति हो सकती है। अनुमंडल अध्यक्ष नवनीत कुमार ने कहा कि विगत 21 वषों से निरंतर सेवा करने वाले शिक्षकों के पूर्व की सेवा की कोई चर्चा नहीं है। बल्कि पूर्व की सेवा शून्य हो गई। इससे अब तक की सेवा पर मिलने वाला प्रोन्नति, वित्तीय लाभ, समस्थानिक इंडेक्स में वेतन निर्धारण सहित अन्य लाभ भी समाप्त हो गया है। नई नियमावली में सेवा संहिता के नाम पर सिर्फ और सिर्फ दंड संहिता का व्याख्यान है। यह नियोजित शिक्षकों के लिए लाभदायक नहीं है बल्कि, अपने हितों को लेकर आन्दोलन करने तथा हक को लेकर आवाज बुलंद करने वाले शिक्षकों को रोकने का तुगलकी पुलिंदा है। नियामवली में शिक्षकों को प्रोत्साहित करने वाला कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है, सिर्फ उनपर कार्रवाई करने के लिए दंडात्मक प्रावधानों को जोड़ा गया है। जैसे शिक्षक कोई बहुत बड़ा अपराधी है और सारी सरकारी ताकत इस अपराधी को पकड़ कर सजा दिलाने में झोंक दिया गया है। वास्तव में यह नियमावली शिक्षकों को परेशान करने तथा दोहन करने के उद्देश्य से बनाई गई है। इसके अलावे भी कई अन्य शिक्षक नेताओं ने नई नियमावली की कड़े शब्दों में निंदा की है तथा इसे वापस लेने की मांग राज्य सरकार से की है।