आंवला वृक्ष की पूजा कर अक्षय नवमी ब्रत को हर्षोल्लास रूप से मनाया
हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का विशेष महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार अक्षय नवमी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। 10 नवंबर 2024 रविवार को अक्षय नवमी पर्व मनाया गया। बता दें की इस दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है।
आंवला खाने और वितरण करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ती होती है
केटी न्यूज, डुमरांव
हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का विशेष महत्व माना जाता है। पंचांग के अनुसार अक्षय नवमी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाई जाती है। 10 नवंबर 2024 रविवार को अक्षय नवमी पर्व मनाया गया। बता दें की इस दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन इसकी पूजा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही अक्षय पुण्य की भी प्राप्ति होती है। इसलिये इसका नाम अक्षय नवमी पड़ा है। दान, पूजा-अर्चना, भक्ति के साथ सेवा की जाती है। ऐसा करने से इसका पुण्य कई जन्म तक मिलता है। लिहाजा नगर के लगभग एक दर्जन बगीचे में श्रद्धालुओं ने अक्षय नवमी पर्व को धूमधाम से मनाया। नगर सहित आसपास के क्षेत्रों के बाग बगीचे में लोग सपरिवार पहुंच सबसे पहले आंवला वृक्ष की पूजा दूध, जल, अक्षत, सिंदूर व चंदन अर्पित कर, फिर पेड़ के नीचे बैठकर मौली बांधकर भगवान विष्णु जाप कर धूप, दीप से आरती करते हुए हाथ जोड़ उसकी परिक्रमा किया।
पूजा अर्चना करने के बाद सपरिवार लोग बैठ लजीज ब्यंजनों को खाते हुए जमकर लूफ्त उठाया। रविवार को सुबह से ही बाग-बगीचों में काफी चहल-पहल थी। घर के नौजवान जिस बगीचे में आंवला का वृक्ष लगा हुआ था, उसकी जानकारी पहले ही ले चुके थे। लिहाजा वहां पहुंच विधिवत पूजा-पाठ में जुट गए। कुछ समय के बाद परिवार की महिलाएं और बड़े-बुजुर्ग भी पहुंच गए। यों कहा जाए की पूरा परिवार एक साथ बैठ पहले पूजा-अर्चना किया भी आंवला पेड़ की छांव में बैठ खाने का आनंद उठाया। नगर के जंगलीबाबा शिव मंदिर, काली मंदिर, मां डुमरेजिन मंदिर, बड़ाबाग, जंगलबाजार रोड के कई बगीचे सहित अन्य धार्मिक स्थानों पर जहां आंवला के वृक्ष लगे हुए थे, पूजा-पाठ के साथ शंख की जहां ध्वनी गुंज रही थी, फिर कुछ देर के बाद लजीज ब्यंजनों के बनने की खुश्बु आने लगी थी। इस अवसर पर दोस्त-मित्र भी पहुंच लजीज ब्यंजनों को चखा।