बंद हो गया वेतन नहीं बैठे बच्चा के डॉक्टर, मरीज बेहाल
- अनुमंडलीय अस्पताल गायब रहे बच्चा के डाक्टर, लौट गए मरीज
- अल्ट्रासाउंड कक्ष का नहीं खुला ताला, इंतजार करते रहे मरीज
केटी न्यूज/डुमरांव
स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन के लाख प्रयास के बावजूद अनुमंडलीय अस्पताल की व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। आए दिन अस्पताल से डॉक्टरों के गायब रहने का मामला सामने आता है। उनपर कार्रवाई भी की जा रही है। बावजूद उनकी कार्य संस्कृति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला। अनुमंडलीय अस्पताल के ओपीडी सेवा में बच्चा को लेकर दिखाने आए मरीज डॉक्टर के नहीं रहने से बैंरंग वापस लौट गए।
वहीं अल्ट्रासाउंड कराने आयी गर्भवती महिलाएं चार घंटा इंतजार कर लौटी। न ही बच्चा के डाक्टर की ओपीडी सेवा में कहीं अता पता था और न अल्ट्रासाउंड करने वाले विशेषज्ञ चिकित्सक की।जबकि दोनों विशेषज्ञ चिकित्सकों की सोमवार में ड्îूटी रहती है। ऐसे में समझा जा सकता है कि अस्पताल की ओपीडी सेवा से डाक्टर किस तरह से बगैर कोई सूचना के गायब रहते हैं।
ऐसे में दिखाने के लिए अस्पताल आए मरीज और उनके अभिभावकों को कितनी परेशनी होती होग इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है। विदित हो कि सोमवार और बुधवार को अल्ट्रासाउंड का दिन फिक्सड किया गया है, अल्ट्रासाउंड के लिए। पिछले सप्ताह भी डॉक्टर के नहीं आने से अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाया था। जिससे इस बार गर्भवती महिलाए काफी उम्मीद लेकर आई थी कि इस बार उनका अल्ट्रा साउंड हो जाएगा।
लेकिन, एक बार फिर उन्हें निराशा हाथ लगी। सप्ताह में दो दिन कार्य अवधि के बाद भी डाक्टरों की इस लापरवाही से मरीजों क्या स्थिति रहती होगी इसका सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। बता दें कि दो बच्चा के डाक्टरों ने अनुमंडलीय अस्पताल में लगभग डेढ़ माह पहले अपना योगदान किया था। योगदान करने के बाद एक चिकित्सक डा. राजेश कुमार तो कभी ओपीडी सेवा में आए ही नहीं।
वहीं दूसरे चिकित्सक डा. सतीश कुमार दो दिन ओपीडी सेवा किए फिर गायब हुए तो लौटे ही नहीं। इस तरह से इनका लाभ लेने से अनुमंडल के लोग वंचित रह जाते हैं। हालांकि मिली जानकारी के अनुसार दोनों चिकित्सकों के योगदान करने से मरीज ओपीडी सेवा में दिखाने के लिए जरूर पहुंचते हैं, लेकिन उन्हें बैरंग लौट जाना पड़ जाता है। अल्ट्रासाउंड कराने के लिए गर्भवती महिलाओं को सोमवार और बुधवार को भीड़ लग जाता है, लेकिन इनके नहीं आने से मायूश हो
महिलाएं घंटों इंतजार के बाद वापस लौट जाती हैं। यह सिलसिला विगत डेढ़ महीने से चलते आ रहा है। सीएस डॉ. एससी सिन्हा द्वारा डीएस को वेतन काटने का आदेश देते हुए स्पष्टीकरण पूछने का आदेश दिया गया है। इस आदेश का अस्पताल डीएस डा. गिरीश कुमार सिंह द्वारा पालन भी किया जा रहा है, लेकिन इनपे कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है।
बड़ा सवाल, आखिर कैसे सुधरेगी व्यवस्था
लगातार डेढ़ महीने से विशेषज्ञ डॉक्टरों की घोर कमी झेल रहे अनुमंडलीय अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के लिए बक्सर डीएम अंशुल अग्रवाल तथा सीएस डॉ. सुरेश चंद्र सिन्हा लगातार अनुमंडलीय अस्पताल का निरीक्षण कर डॉक्टरों को समय से ड्यूटि करने तथा मरीजों का समुचित इलाज करने का निर्देश दे रहे है। लेकिन, डॉक्टरों पर इसका कुछ भी असर नहीं पड़ रहा है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा गायब रहने वाले डॉक्टरों का वेतन भी रोक दिया गया है। लेकिन इससे भी मरीजों को कुछ फायदा मिलने वाला है। ऐसे में बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर अनुमंडलीय अस्पताल की व्यवस्था कैसे सुधरेगी।