करगहर में दीपावली की धूम: पारंपरिक मिट्टी के दीप और मूर्तियों की खरीदारी में लोगों का उत्साह

करगहर (रोहतास) में दीपावली का स्वागत जोर-शोर से किया जा रहा है। प्रखंड के करगहर बाजार और विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की साफ-सफाई और रंग-रोगन में लोग जुट गए हैं।

करगहर में दीपावली की धूम: पारंपरिक मिट्टी के दीप और मूर्तियों की खरीदारी में लोगों का उत्साह

केटी न्यूज़/रोहतास

करगहर (रोहतास) में दीपावली का स्वागत जोर-शोर से किया जा रहा है। प्रखंड के करगहर बाजार और विभिन्न व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की साफ-सफाई और रंग-रोगन में लोग जुट गए हैं। दीपावली में उपयोग होने वाले सामान की स्थायी और अस्थायी दुकानों को सजाया जा रहा है। भगवान गणेश-लक्ष्मी की प्रतिमाएं, छोटी मूर्तियां, बरतन, उपहार, मिठाई, कपड़े और वाहनों की दुकानों को तैयार किया जा रहा है। बाजार में खरीद-बिक्री की तैयारियां जोरों पर हैं, और उत्साह का माहौल बना हुआ है।

दीपावली के लिए लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं, मिट्टी के खिलौने और दीपकों का निर्माण भी तेज हो गया है। मूर्तिकार एक महीने पहले से ही इस कार्य में जुटे हैं, और निर्माण की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जबकि कुछ व्यवसायी छोटी मूर्तियां और खिलौने अन्य शहरों जैसे बनारस, पटना और कोलकाता से मंगाते हैं, स्थानीय स्तर पर भी बड़े पैमाने पर निर्माण हो रहा है। सार्वजनिक पूजा स्थलों के लिए माता लक्ष्मी और काली की प्रतिमाएं भी बनाई जा रही हैं।

मूर्तिकारों के अनुसार, लक्ष्मी-गणेश की छोटी प्रतिमाएं 20 से 150 रुपये और बड़ी प्रतिमाएं 1500 से 5000 रुपये तक की हैं। महंगाई का असर इस व्यवसाय पर भी पड़ा है, लेकिन मिट्टी के खिलौने और दीपकों की पारंपरिक अहमियत बरकरार है। बदलते समय के साथ नए डिज़ाइन में दीपक बनाए जा रहे हैं, जिसकी मांग बढ़ रही है।

बाजारों में चाइनीज इलेक्ट्रॉनिक सामान का प्रभाव अब कम हो रहा है। लोग परंपरागत मिट्टी के दीपों, खिलौनों और मूर्तियों को पसंद कर रहे हैं, भले ही बाजार इलेक्ट्रॉनिक सामान से भरा पड़ा हो। पिछले कुछ वर्षों में मिट्टी के सामान की बिक्री कम हो गई थी, लेकिन अब लोग फिर से पारंपरिकता की ओर लौट रहे हैं। दीपावली में मिट्टी की मूर्तियां पर्यावरण के लिए भी बेहतर मानी जाती हैं।