बैंक प्रबंधन की लापरवाही से बी.टेक में नामांकन से वंचित हो गई दो छात्राएं
डुमरांव स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा की लापरवाही से दो युवतियों के इंजिनियर बनने का सपना अधूरा रह गया है। खास यह कि केन्द्र सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दे रखा है तथा बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक संकट बाधा न बने इसके लिए केन्द्र सरकार ने एजुकेशन लोन का प्रावधान भी किया है। भारत सरकार के लक्ष्मी पोर्टल द्वारा एजुकेशन लोन के तहत न्यूनतम आठ से अधिकतम 24 लाख रूपए का लोन दिया जा रहा है, बावजूद दो बच्चियों को बैंक प्रबंधन का कोपभाजन बनना पड़ जाए, यह गंभीर मामला है।

-- प्रबंधनन की लापरवाही से हवा-हवाई साबित हुआ केन्द्र सरकार का बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ का स्लोगन
-- एजुकेशन लोन के अलावे दारोगा पिता का पर्सनल लोन भी बैंक ने नहीं किया क्लीयर
केटी न्यूज/डुमरांव
डुमरांव स्थित बैंक ऑफ बड़ौदा की लापरवाही से दो युवतियों के इंजिनियर बनने का सपना अधूरा रह गया है। खास यह कि केन्द्र सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दे रखा है तथा बच्चों की पढ़ाई में आर्थिक संकट बाधा न बने इसके लिए केन्द्र सरकार ने एजुकेशन लोन का प्रावधान भी किया है। भारत सरकार के लक्ष्मी पोर्टल द्वारा एजुकेशन लोन के तहत न्यूनतम आठ से अधिकतम 24 लाख रूपए का लोन दिया जा रहा है, बावजूद दो बच्चियों को बैंक प्रबंधन का कोपभाजन बनना पड़ जाए, यह गंभीर मामला है।
मामला डुमरांव थाने में पद स्थापित एएसआई मनोज कुमार के पुत्रियों मान्या सिंह व मांडवी सिंह का है। मनोज ने मीडिया को बताया कि उनकी लड़कियों का नामांकन एमआईटी मुरादाबाद में बी.टेक में होने वाला था, इसके लिए साल में 3.5 लाख रूपए की फीस कॉलेज को जमा करना था। मैने बैंक से एजुकेशन लोन के लिए एक महीना पहले से प्रक्रिया शुरू की थी,
लेकिन बैंक प्रबंधन द्वारा टाल-मटोल किया जाता रहा तथा अलग-अलग कागजातों के बहाने मुझे तथा मेरी बेटियों को परेशान किया जा रहा था। इस दौरान बैंक प्रबंधन के कहने पर मैने तीन बार अपनी बेटियों को मुरादाबाद से डुमरांव बुलाया तथा जरूरी कागजात व दस्तखत करवाए। इसके बाद भी एजुकेशन लोन पास नहीं हुआ। बैंक प्रबंधन ने साफ कहा कि वे ब्रांच से दो लाख रूपए तक का ही लोन स्वीकृत कर सकते है। इसके बाद मैने कहा कि ठीक है आप दो लाख रूपए ही दे दीजिए।
वहीं, दारोगा मनोज ने बेटियों की पढ़ाई के लिए ही 9 सितंबर को पर्सनल लोन का आवेदन भी किया तथा लोन स्वीकृत करने वाले क्लर्क सत्य नारायण प्रसाद व बैंक मैनेजर से व्यक्तिगत रूप से भी मिल आरजू-मिन्नत की और बताया कि 13 सितंबर को नामांकन का आखिरी दिन है, बावजूद 13 सितंबर की कौन कहे 16 सितंबर तक भी न तो मेरी बेटियों का एजुकेशन लोन स्वीकृत हुआ और न ही मेरा पर्सनल लोन, जिस कारण मेरी दोनों बेटियां इस साल नामांकन कराने से वंचित हो गई है।
दारोगा मनोज का कहना है कि वे इस मामले में चुप नहीं बैठेंगे तथा जानबूझकर बेटियों का एक साल बर्बाद करने वाले बैंक ऑफ बड़ौदा प्रबंधन के खिलाफ कोर्ट में जाएंगे। वहीं, इस संबंध में बैंक ऑफ बड़ौदा, डुमरांव शाखा के प्रबंधक मो. इमरान का कहना है कि उनके क्लर्क की लापरवाही से ऐसा हुआ है, उसे लोन सेक्शन से हटा दिया गया है।