बंदरों के आतंक से दहशत में डुमरांववासी, हरिजी के हाता में दिन-भर चलता है “वानर दरबार”
डुमरांव नगर क्षेत्र का हरिजी का हाता इन दिनों मानो “वानर नगरी” में तब्दील हो गया है। सीपीएस स्कूल के आस-पास और थाना के पीछे वाली गलियों में पचास से अधिक बंदरों का झुंड रोजाना सुबह से शाम तक उत्पात मचाए रहता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इनके आतंक से परेशान हैं।

केटी न्यूज/डुमरांव।
डुमरांव नगर क्षेत्र का हरिजी का हाता इन दिनों मानो “वानर नगरी” में तब्दील हो गया है। सीपीएस स्कूल के आस-पास और थाना के पीछे वाली गलियों में पचास से अधिक बंदरों का झुंड रोजाना सुबह से शाम तक उत्पात मचाए रहता है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इनके आतंक से परेशान हैं।

सुबह-सुबह दूध लेने वाले, टहलने वाले और स्कूल जाने वाले लोग इन बंदरों के डर से घर से निकलने से कतराते हैं। स्कूली बच्चों का हाल तो सबसे खराब है। बस स्टॉप तक पहुंचने में उन्हें पहले बंदरों की पूरी टोली के गुजरने का इंतजार करना पड़ता है। कई बार बच्चे बंदरों के पीछे दौड़ने या उनसे बचने की कोशिश में घायल भी हो चुके हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, कुछ दिन पहले एक बच्ची के पैर में बंदर ने काट लिया था, जिससे वह बुरी तरह जख्मी हो गई थी।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि बंदरों का यह झुंड अब पहले से कहीं अधिक उग्र और निर्भीक हो गया है। छतों पर सूखते कपड़े, खुली खिड़कियों से रखे फल-सब्जियां, यहां तक कि लोगों के हाथों से थैले तक छीनने की घटनाएं आम हो गई हैं। स्थानीय निवासी रंजीत प्रसाद ने बताया कि बंदरों के कारण सुबह-शाम गलियों में निकलना किसी जंग से कम नहीं है।

नगर परिषद पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए लोगों ने कहा कि पिछले वर्ष प्रशासन ने बंदर पकड़ने वाली एजेंसी को बुलाकर सैकड़ों बंदरों को पकड़कर सासाराम के जंगलों में छोड़ा था। उसके बाद कुछ महीनों तक शांति रही, लेकिन अब वही परेशानी फिर लौट आई है। इस बार नगर परिषद की ओर से कोई पहल नहीं की गई है।लोगों ने बताया कि हम बच्चों को स्कूल भेजने से पहले गली में झांककर देखते हैं कि कहीं बंदर न बैठे हों। वहीं दुकानदारों का कहना है कि बंदरों के कारण ग्राहकों की आवाजाही भी प्रभावित हो रही है।

लोगों की मांग है कि नगर परिषद तत्काल इस पर ध्यान दे और पुनः बंदर पकड़ने की व्यवस्था शुरू करे, ताकि मोहल्ले के लोगों को राहत मिल सके। फिलहाल हरिजी के हाता में दिनभर “वानर दरबार” लगा रहता है और इंसान अपने ही घर में कैदी जैसा महसूस कर रहा है।
