तीन बच्चों समेत विवाहिता की मौत मामले में प्राथमिकी दर्ज, पुलिस की तफ्तीश तेज

नया भोजपुर में घटित एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। महज एक मोबाइल फोन की मांग पर हुए विवाद ने चार जिंदगियों को खत्म कर दिया। घटना में एक विवाहिता ने न सिर्फ खुद जहर खाकर आत्महत्या कर ली, बल्कि अपने तीन मासूम बच्चों को भी मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने मृतका के पिता के आवेदन पर पति सुनील कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

तीन बच्चों समेत विवाहिता की मौत मामले में प्राथमिकी दर्ज, पुलिस की तफ्तीश तेज

-- मृतका सविता के पिता ने पति पर दर्ज कराया एफआईआर, सामने आ रही है परिवार की लापरवाही 

केटी न्यूज/डुमरांव

नया भोजपुर में घटित एक दर्दनाक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। महज एक मोबाइल फोन की मांग पर हुए विवाद ने चार जिंदगियों को खत्म कर दिया। घटना में एक विवाहिता ने न सिर्फ खुद जहर खाकर आत्महत्या कर ली, बल्कि अपने तीन मासूम बच्चों को भी मौत के घाट उतार दिया। पुलिस ने मृतका के पिता के आवेदन पर पति सुनील कुमार सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

गुरूवार को नया भोजपुर पुलिस ने कीटनाशक बेचने वाले दुकानदार, बच्चों का प्राथमिक इलाज करने वाले डुमरांव पीएचसी के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आरबी प्रसाद तथा ग्रामीणों से पूछताछ कर इस लोमहर्षक घटना की गुत्थी सुलझाने का प्रयास कर रही है। नया भोजपुर थानाध्यक्ष चंदन कुमार खुद इस बहुचर्चित मामले की जांच कर रहे है।

 

पुलिस की प्रारंभिक जांच में परिवार की भारी लापरवाही सामने आई है। मिली जानकारी के अनुसार घटना के बाद परिवार ने पुलिस को सूचना नहीं दी। वहीं, बच्चों के साथ कीटनाशक खाने वाली महिला को घर में मरता छोड़ परिवार के लोग सिर्फ तीन बच्चांे को लेकर ही इलाज के लिए पीएचसी पहुंचे। सबसे अहम बात तो ये है कि बच्चों के जहर पीने की जानकारी के बावजूद परिवार ने पीएचसी केे चिकित्सा पदाधिकारी के समक्ष यह बात छिपा ली तथा कहा कि बच्चे उल्टी कर रहे है। जिस कारण उनका इलाज सही दिशा में नहीं हो सका। यही कारण है कि बच्चों की हालत बिगड़ी तथा सदर अस्पताल में इलाज के दौरान बच्चों समेत उनकी मां की मौत हो गई।

-- बोले चिकित्सा पदाधिकारी स्वजनों ने नहीं दी थी जहर पिलाने की जानकारी

इस मामले में पुलिस की पूछताछ में चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. आरबी प्रसाद ने बताया मंगलवार को ओपीडी के आखिरी क्षणों में नया भोजपुर के लोग तीन बच्चों को लेकर आए थे तथा यह नहीं बताए कि बच्चों को जहर पिलाया गया है, बल्कि सिर्फ इतना बताए कि बच्चे उल्टी कर रहे है। जिसके बाद मैने उल्टी रोकने की दवा दी तथा उन्हें हायर सेंटर ले जाने का सलाह दिया। चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि वे लोग किसी महिला को लेकर नहीं आए थे।

-- कई बिंदुओं पर जांच कर रही है पुलिस

थानाध्यक्ष चंदन कुमार ने बताया कि पुलिस इस मामले की काफी गहराई से जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि जांच में कई बिंदुओं को शामिल किया गया है। मसलन कीटनाशक दवा कितने दिन पहले खरीदी गई थी। क्या उस दौरान पति-पत्नी दोनों साथ गए थे। पीएचसी में सिर्फ बच्चों का ही प्राथमिक इलाज क्यो करवाया गया, जहर पीने वाली सविता को तत्काल अस्पताल क्यों नहीं पहुंचाया गया, पुलिस को इस घटना की जानकारी क्यों नहीं दी गई। इसके अलावे पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट तथा एफएसएल रिपोर्ट का इंतजार भी कर रही है। 

-- परिवार पर लग रहा है साक्ष्य मिटाने का आरोप

इन सभी घटनाओं के बीच मृतका के ससुराल वालों पर साक्ष्य मिटाने का आरोप भी लग रहा है। बुधवार को घटना स्थल से साक्ष्य इकट्ठा करने आई एफएसएल टीम ने जब घटना स्थल का मुआयना किया तो उसे यह बात समझते देर नहीं लगी कि परिवार द्वारा साक्ष्य मिटाने का भरपूर प्रयास किया गया है। बता दें कि जहरीला कीटनाशक पीने के बाद सविता तथा उसके तीनों बच्चे उल्टी किए थे। लेकिन उनके घर से बाहर निकलते ही परिवार द्वारा पूरे घर की सफाई कर दी गई थी। यही नहीं मृतका जो कपड़े पहनी थी, उसे भी धो दिया गया था, जिससे एफएसएल टीम को घटना स्थल से साक्ष्य इकट्ठा करने में मशक्कत करनी पड़ी।

-- क्या है घटनाक्रम

बता दें कि मंगलवार को नया भोजपुर निवासी व पेशे से राजमिस्त्री सुनील कुमार का अपनी पत्नी सविता के साथ विवाद हो गया था। इसके बाद सविता ने अपने तीन मासूम बच्चों के साथ खुद भी जहर घोलकर पी ली थी। देर शाम सदर अस्पताल में मां समेत दो बच्चों की जबकि पीएमसीएच में इलाज के दौरान एक वर्षीय बच्चे की मौत हो गई।

-- तीसरे दिन भी होते रही घटना की चर्चा

इस लोमहर्ष घटना की चर्चा तीसरे दिन भी गांव में होते रही। ग्रामीणों में इस घटना को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही थी। सिर्फ मोबाईल के लिए इतनी बड़ी घटना होना ग्रामीणों के गले नहीं उतर रही थी।गुरूवार को भी पीड़ित परिवार के घर मातमपूर्सी करने वालों को तांता लगा रहा। इस दौरान तीसरे दिन भी पीड़ित परिवार के घर चूल्हे नहीं जले। परिवार के सदस्यों को इस घटना के बाद मानों काठ मार गया है, कोई कुुछ बोलने को तैयार नहीं हो रहा है। पूरे दिन घर से रह-रहकर महिलाओं तथा बच्चों के रोने की आवाजे आ रही थी। जिससे मोेहल्ले में वीरानगी छाई रही।