टीबी की पुष्टि होने पर सूचक के रूप में दिए जाएंगे पांच सौ रूपए
-जीविका दीदियों को मिली टीबी की पहचान, इलाज और बचाव की जानकारी
- सिमरी प्रखंड के नियाजीपुर में जीविका दीदियों को दिया गया प्रशिक्षण
- जीविका दीदियों द्वारा सामुदायिक स्तर पर लोगों को किया जाएगा जागरूक
केटी न्यूज/बक्सर
जिले के लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत जागरूकता अभियान में अब जीविका दीदियों को शामिल किया गया। ताकि, ग्राम व पंचायत स्तर पर लोगों को टीबी के प्रति जागरूक और मरीजों की निगरानी की जा सके। इस क्रम में सिमरी प्रखंड के नियाजीपुर खुर्द पंचायत स्थित स्थानीय नियाजीपुर बाजार में जिला टीबी सेंटर के कर्मियों द्वारा जीविका दीदियों को एक दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। जिसमें जीविका दीदियों को टीबी के लक्षणों की पहचान, इलाज, बचाव और निक्षय पोषण योजना के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई। जिससे जीविका दीदियां अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर भ्रमण के दौरान टीबी मरीजों की पहचान करें और पंचायत के लोगों को सजग और जागरूक कर सकें। प्रशिक्षण में बीपीएम धर्मेंद्र कुमार के अलावा 25 ग्राम संगठनों की अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष आदि शामिल हुईं।
टीबी की पुष्टि होने पर सूचक के रूप में दिए जाएंगे 500 रुपए :
प्रशिक्षण के दौरान एसटीएलएस बबलू कुमार ने बताया, टीबी के इलाज में सबसे जरूरी है टीबी के लक्षणों की पहचान। टीबी के लक्षण मिलने पर पीएचसी में भेज कर टीबी के लक्षण वाले मरीजों की जांच होगी और अगर टीबी रोग की पुष्टि होती है तो उसका उपचार प्रारंभ होगा। वहीं, मरीज में टीबी की पुष्टि होने पर सूचक के रूप में उन्हें 500 रुपए भी दिए जाएंगे।
यह संक्रामक रोग है इसलिए समय से पहचान कर अगर इलाज प्रारंभ हो जाए तो मरीज ठीक हो सकता है। साथ ही, उसके द्वारा किसी और को संक्रमित करने की संभावना नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि टीबी मरीजों की जांच और दवा दोनों सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दी जाती है। वहीं, इलाज के दौरान मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत प्रतिमाह 500 रुपए भी दिए जाते हैं। जिससे वो पौष्टिक भोजन कर स्वयं को सुपोषित कर सके।
लक्षण वाले मरीजों को जांच के लिए करें प्रेरित :
एसटीएस पिंकी कुमारी ने जीविका दीदियों को बताया कि स्वयं सहायता समूह या आस-पड़ोस में किसी भी व्यक्ति को लगातार दो सप्ताह या उससे अधिक दिनों तक खांसी या बलगम के साथ खून का आना, शाम को बुखार आना या वजन कम होने की शिकायत होने पर उनकी जांच कराएं। लक्षण वाले मरीजों को स्वास्थ्य केंद्र भेजकर या ले जाकर बलगम की जांच कराना सुनिश्चित करना चाहिए।
उन्होंने बताया कि सामुदायिक स्तर पर जागरूकता से ही टीबी जैसी बीमारी को समाज से मिटाना संभव है। जीविका समूह की दीदियों का योगदान काफी अहम माना जाता है। ग्रामीण स्तर पर रहने वाले खासकर झुग्गी झोपड़ी, ईट भट्ठा, घुमंतू लोग को जागरुक किया जाए। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जीविका समूह से जुड़ी दीदियों का उन्मुखीकरण कर सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करना है।