फर्जीवाड़ा या न्याय की लड़ाई: शिक्षक के वेतन विवाद ने खोली शिक्षा विभाग की पोल

बक्सर जिला शिक्षा कार्यालय का रवैया एक बार फिर कटघरे में है। कोर्ट के आदेश के बावजूद शिक्षक विक्रमादित्य राय उर्फ विक्रमा राय का बकाया वेतन भुगतान नहीं हो पाया है। लंबे संघर्ष के बाद जब न्यायालय ने वेतन भुगतान का आदेश दिया, तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नींद टूटी। लेकिन जैसे ही पुराने दस्तावेजों की जांच शुरू हुई, मामला और उलझ गया।

फर्जीवाड़ा या न्याय की लड़ाई: शिक्षक के वेतन विवाद ने खोली शिक्षा विभाग की पोल

-- कोर्ट की फटकार के बाद विभाग में हड़कंप, आठ शिक्षकों पर फर्जी बहाली का आरोप, 15 अक्टूबर को कटघरे में खड़े होंगे शिक्षा विभाग के अधिकारी 

केटी न्यूज/बक्सर

बक्सर जिला शिक्षा कार्यालय का रवैया एक बार फिर कटघरे में है। कोर्ट के आदेश के बावजूद शिक्षक विक्रमादित्य राय उर्फ विक्रमा राय का बकाया वेतन भुगतान नहीं हो पाया है। लंबे संघर्ष के बाद जब न्यायालय ने वेतन भुगतान का आदेश दिया, तो शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नींद टूटी। लेकिन जैसे ही पुराने दस्तावेजों की जांच शुरू हुई, मामला और उलझ गया।

दरअसल, 16 नवंबर 2013 को चौसा की तत्कालीन बीडीओ पुष्पा राय ने राजपुर थाना में आठ सहायक शिक्षकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि इन शिक्षकों ने जालसाजी और धोखाधड़ी से नौकरी हासिल की है। इस एफआईआर में विक्रमादित्य राय का भी नाम शामिल है। यही दस्तावेज अब वेतन भुगतान पर सबसे बड़ा रोड़ा बन गया है।

विक्रमादित्य राय बक्सर जिले के राजकीय बुनियादी विद्यालय सरेंजा में सहायक शिक्षक पद पर तैनात थे। लेकिन उन्हें नियमित वेतन नहीं मिल पा रहा था। मजबूर होकर उन्होंने 2017 में कोर्ट की शरण ली।

सिविल कोर्ट ने उनके पक्ष में आदेश पारित कर बकाया वेतन का भुगतान करने को कहा। मगर शिक्षा विभाग ने आदेश का अनुपालन नहीं किया। इसके बाद विक्रमादित्य ने फिर परिवाद दायर किया। जनवरी 2025 में कोर्ट ने एक बार फिर विभाग को वेतन भुगतान का आदेश दिया, लेकिन हालात जस के तस रहे।

आखिरकार, 15 अक्टूबर को सिविल कोर्ट के मुंसफ-02 ने शिक्षा विभाग के डायरेक्टर प्राइमरी व सेकेंड्री, आरडीडी, डीईओ और बीईओ को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया। इससे पहले जनवरी माह में भी नोटिस जारी हो चुका था।

-- अधिकारियों की लापरवाही या सुनियोजित देरी

शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर आरोप है कि वे मामले को जानबूझकर लटकाते रहे। कोर्ट में पेशी के दौरान विभागीय अधिकारी बिना तैयारी पहुंचे और अपना पक्ष मजबूत तरीके से नहीं रख पाए। नतीजतन, न्यायालय ने न केवल वेतन भुगतान का आदेश दिया बल्कि अधिकारियों को फटकार भी लगाई।

शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इस बात को स्वीकार कर रहे है कि मामला संवेदनशील है और कोर्ट का आदेश मिला है। उन्होंने कहा कि सभी दस्तावेज वरीय अधिकारियों को भेज दिए गए हैं। जांच पूरी होने के बाद ही नियमानुसार निर्णय लिया जाएगा। वहीं, डीईओ संदीप रंजन ने भी माना कि कोर्ट से नोटिस मिला है। उन्होंने कहा कि पूरे मामले की जांच की जा रही है। दस्तावेजों की समीक्षा के बाद आगे की कार्रवाई होगी।

-- फर्जी बहाली का भूत बना रोड़ा

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विक्रमादित्य राय को उनका बकाया वेतन मिलेगा या फिर 2013 की एफआईआर उनके हक पर भारी पड़ेगी फर्जी बहाली का यह मामला शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। वर्षों तक न्यायालय के आदेशों का पालन न करना और अब पुराने केस का हवाला देकर वेतन रोकने के विभाग की कवायद पर देखना है कि कोर्ट क्या निर्णय दे रहा है। 

-- जनता में गुस्सा, विभाग पर सवाल

स्थानीय शिक्षकों और जनता का कहना है कि विभाग भ्रष्टाचार के पुराने मामलों की आड़ में शिक्षकों को उनके अधिकार से वंचित कर रहा है। यदि नियुक्ति फर्जी थी, तो इतने वर्षों तक विभाग मौन क्यों था तथा कोर्ट में मजबूत पक्ष क्यों नहीं रखा गया और अगर सेवा वैध थी, तो फिर वेतन रोकना न सिर्फ नियमों के खिलाफ है बल्कि मानवाधिकारों का भी उल्लंघन है।

बता दें कि शिक्षक का बकाया वेतन भुगतान का मामला अब न्यायालय बनाम शिक्षा विभाग की टकराहट में बदल गया है। 15 अक्टूबर को जब अधिकारी कोर्ट में पेश होंगे, तब यह स्पष्ट होगा कि विभाग अपनी गलती सुधारता है या फिर एक बार फिर लापरवाही और फर्जीवाड़े की ढाल ओढ़कर मामले को उलझाता है, यह देखना दिलचस्प बन गया है।